हजारीबाग ओपेन जेल में पारिवारिक माहौल में गुनाहों के दाग धो रहे बंदी, 9 साल पहले हुई थी अनूठी पहल

झारखंड: झारखंड के पहले और एकमात्र ओपन जेल हजारीबाग में 16 बंदी परिवार सहित रह रहे हैं. कुल 34 लोग यहां हैं. मुख्यधारा से विमुख हो चुके लोगों को फिर से मुख्य धारा में लाने के लिए सरकार की ओर से ओपेन जेल हजारीबाग में 18 नवंबर 2013 से रखने की व्यवस्था की गई. इसका मुख्य उद्देश्य उग्रवाद और अपराध की राह से लौटने वालों के लिए पारिवारिक माहौल देना रहा है. पिछले साढ़े नौ साल में इस जेल से कई लोगों में बदलाव की पहल शुरू हुई है.

कुख्यात और दुर्दांत माने जाने वाले लोग अब गृहस्थ जीवन जी रहे हैं. सुधार की प्रक्रिया धीरे-धीरे आगे बढ़ रही है. यहां पर लोग अपने परिवार के अधिकतम पांच सदस्यों के साथ रह सकते हैं. परिवार के लोगों के रहने के लिए क्वार्टर की सुविधा है. साथ ही उनके बाहर आने जाने के लिए खुला माहौल है, पर यहां जो बंदी सजा काट रहा है, वह बाहर आ नहीं सकता. करीब 12 एकड़ के इस परिक्षेत्र में कभी कुख्यात माने जाने वाले उग्रवादी परिवार के साथ रह रहे हैं.

नक्सली कमांडर कुंदन पाहन भी यहां पर रह रहा है. उस पर 128 संगीन मामले दर्ज थे. वह अब आलू, प्याज, अदरख, पटल, बीट उपजाने पर ध्यान दे रहा है. विदित हो कि सरकार की आत्मसमर्पण नीति से प्रभावित होकर 15 लाख का इनामी कुंदन पाहन ने 14 मई 2017 को रांची में पुलिस के सामने सरेंडर किया था. होटवार जेल से उसे बाद में हजारीबाग ओपन जेल शिफ्ट किया गया. वह यहां अपनी पत्नी के साथ रह रहा है.

Web Title : HAZARIBAGH OPEN JAIL: A UNIQUE INITIATIVE WAS TAKEN 9 YEARS AGO TO WASH AWAY THE STAIN OF CRIME IN THE FAMILY ATMOSPHERE

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