झारखंड में भाजपा और राजद के अंदर मचेगा घमासान, इस सीट पर टिकट की लॉबिंग तेज

राज्य की एकमात्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित पलामू संसदीय सीट पर इस बार लोकसभा चुनाव काफी दिलचस्प होगा. राजद के पूर्व नेता और इस सीट से पिछले तीन संसदीय चुनाव लड़ चुके घूरन राम भाजपा में शामिल हो गए हैं. इससे भाजपा और राजद दोनों के अंदर का राजनीतिक समीकरण पूरी तरह से बदल गया है. दोनों पार्टियों के अंदर टिकट की लॉबिंग के लिए नेताओं की सक्रियता बढ़ गई है. सबसे ज्यादा राजनीतिक घमासान तो प्रदेश भाजपा के अंदर देखने को मिल सकता है. वहीं, राजद के कई नेता इस सीट पर अपनी दावेदारी पेश कर सकते हैं.

भाजपा के वर्तमान सांसद बीडी राम के टिकट जाने की चर्चा पहले से ही राजनीतिक गलियारों में है. अब घूरन राम के आने के बाद सांसद बीडी राम के सामने भी चुनौती और बढ़ गई है. भाजपा सूत्रों की मानें तो भाजपा द्वारा उम्मीदवारों को टिकट देने में 70 साल से अधिक उम्र के साथ-साथ स्वास्थ्य जैसे कई बिंदुओं का ध्यान दिया जाता है. बीडी राम की आयु 70 साल से अधिक हो चुकी है. इसके अलावा इस सीट पर पलामू के पूर्व सांसद जोरावर राम के बेटे राकेश पासवान के उतरने से त्रिकोणीय मुकाबला बनता दिख रहा है. राकेश पासवान इस सीट पर बहुजन समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ सकते हैं.

राजद की तरफ से कई दावेदार 

पलामू सीट पर 2009, 2014 और 2019 का संसदीय चुनाव लड़ चुके घूरन राम का भाजपा छोड़ने के बाद राजद के अंदर कई नेताओं का नाम चुनाव लड़ने के लिए सामने आ रहा है. इसमें पूर्व सांसद कामेश्वर बैठा, धनंजय पासवान जैसे सरीके नेता प्रमुखता से शामिल हैं. कामेश्वर बैठा पूर्व में भी पलामू संसदीय सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. वह झामुमो के टिकट पर 2009 में लोकसभा चुनाव जीते थे. उनका कहना है कि लोकसभा चुनाव को लेकर वे जोरों से तैयारी कर रहे हैं. पार्टी का आशीर्वाद मिला तो वे फिर से यहां चुनाव लड़ेंगे. वहीं, धनंजय पासवान राजद के अनुसूचित जाति प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष हैं. उनका कहना है कि संगठन और पलामू के हर कार्यकर्ता की मांग है कि वे इस बार राजद के टिकट पर पलामू सीट पर चुनाव लड़ें.

भाजपा के अंदर भी कई संभावित उम्मीदवार

वहीं, भाजपा के अंदर भी टिकट की मांग पर जबर्दस्त घमासान मच सकता है. इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि घूरन राम के भाजपा में शामिल होने के पीछे की उनकी मंशा टिकट लेना होगा. भाजपा के अंदर कुछ और चेहरे भी हैं, जो यहां से चुनाव लड़ने के लिए लॉबिंग कर रहे हैं. इसमें पूर्व सांसद ब्रजमोहन राम, रघुवर दास सरकार में अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष रह चुके शिवधारी राम, प्रभात भुइयां सरीके नेता का नाम शामिल है. टिकट के लिए ये नेता लगातार विभिन्न क्षेत्रों का दौरा भी कर रहे हैं. प्रभात भुइयां पूर्व में बाबूलाल मरांडी की पार्टी झारखंड विकास मोर्चा से चुनाव लड़ भी चुके हैं. हालांकि उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. जब वे झारखंड विकास मोर्चा से चुनाव लड़े थे तो बाबूलाल मरांडी इसके केंद्रीय अध्यक्ष थे. अभी भी बाबूलाल मरांडी झारखंड प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष हैं.

2019 में महागठबंधन के हिस्से में थी पलामू संसदीय सीट

2019 के लोकसभा चुनाव में पलामू संसदीय सीट महागठबंधन के पाले में था. तब इस सीट पर घूरन राम राजद के टिकट पर चुनाव लड़े थे. उन्हें भाजपा उम्मीदवार बीडी राम ने करारी शिकस्त थी. वोटों की बात करें तो राजद को केवल 22. 9 प्रतिशत वोट ही मिला था. वहीं, भाजपा के हिस्से में 62. 4 प्रतिशत वोट आया थी. पलामू संसदीय सीट में छह विधानसभा सीटें छत्तरपुर, डाल्टनगंज, बिश्रामपुर, हुसैनाबाद, गढ़वा और भवनाथपुर आती हैं. इसमें केवल छतरपुर विधानसभा ही अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. लेकिन इस सीट पर भी राजद, भाजपा से काफी पीछे रहा था. इस विधानसभा सीट पर भाजपा को एक लाख से अधिक वोट मिले थे. वहीं, इस विधानसभा में राजद को 39 हजार वोट मिले थे.

जातीय समीकरण ही पलामू सीट की जीत करती है सुनिश्चित

जातीय समीकरण और वोटों के हिसाब से पलामू संसदीय सीट पर अनुसूचित जाति काफी अहम भूमिका निभाती है. वोटों के हिसाब से देखें तो यहां एससी जाति की संख्या करीब 27 प्रतिशत के करीब है. इसमें राम (15. 1), भुइयां (5 प्रतिशत), पासवान (2. 4), प्रसाद (2. 1), बैठा (1. 2), मांझी (0. 6), मोची (0. 3 ) प्रमुखता से शामिल हैं.

 

Web Title : IN JHARKHAND, THERE WILL BE A RUCKUS WITHIN BJP AND RJD, LOBBYING FOR TICKET IN THIS SEAT INTENSIFIES

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