झारखंड: गुमला में जंगल बचाने के लिए 200 गांवों के लोग बनाते हैं सीड्स बॉल; जानिए इसके फायदे

बढ़ती गर्मी, घटते वन, विलुप्त होते पेड़ और बिगड़ते पर्यावरण संतुलन को लेकर लोग धीरे-धीरे जागरूक हो रहे हैं. प्रकृति और पर्यावरण संतुलन के लिए लोग उपाय भी कर रहे हैं. झारखंड के गुमला जिले के कई गांवों के लोग प्रतिदिन समय निकाल कर सीड्स बॉल तैयार कर रहे हैं, ताकि खाली व बंजर पड़े जंगल व खेतों में इसे डाला जा सके. इसके लिए प्रदान संस्था ने वन विभाग के साथ एमओयू किया है. जिले के छह प्रखंड बसिया, कामडारा, गुमला, घाघरा व पालकोट प्रखंड क्षेत्र के 200 गांवों के महिला-पुरुष सीड्स बॉल का निर्माण कर रहे हैं, ताकि उजड़ते जंगलों में हरियाली लाई जा सके. अभी यह प्रयास अगले पांच सालों के लिए किया जा रहा है.

क्या है सीड्स बॉल
बीज, मिट्टी और खाद के छोटे-छोटे गुच्छों को सीड बॉल कहा जाता है. हल या अन्य कृषि उपकरणों से जमीन तैयार किए बिना बीजों से पौधे उगाने की यह पुरानी विधि है. बीजों को सीधे वन क्षेत्र में रोपने से कीड़ों एवं अन्य जीव-जन्तुओं, पक्षियों से हानि की आशंका बनी रहती है. सीड बॉल्स को विशिष्ट व नियंत्रित तरीके से फैलाने और नए पौधों को जीवन देने के लिए बनाया जाता है. प्रदान के को-ऑर्डिनेटर मेराज बताते हैं कि सीड्स बॉल निर्माण के लिए फेंके गए बीजों का उपयोग किया जाता है, जैसे आम, सखुआ, बैर, जामुन आदि. दो-तीन बीज हाथ में लेकर काली मिट्टी, केंचुआ खाद, गो-मूत्र, घान का भूसा मिलाकर छोटे-छोटे बॉल बनाए जाते हैं.

संस्था कार्यकर्ता लोगों को कर रहे हैं जागरूक
प्रदान के कार्यकर्ता जिले के छह प्रखंडों के दो सौ गांवों के लोगों को जागरूक करने में जुटे हैं. इसके लिए प्रत्येक गांव में 15 सदस्यीय वन सुरक्षा समिति बनाई गई है, जो जंगल बचाने के साथ-साथ जंगलों में आग नहीं लगाने के लिए भी लोगों को जागरूक करती है. बसिया की तोषी देवी बताती हैं कि पेड़-पौधों व जंगल से ही हमारा अस्तित्व है. जड़ी-बूटी हो या जीव-जन्तु, सभी जंगल से ही जुड़े हैं. पेड़-पौधे नहीं होंगे तो हमारा अस्तित्व भी समाप्त हो जाएगा. वहीं, दामिनी देवी ने कहा कि पेड़-पौधों की कटाई का प्रतिकूल प्रभाव हमारे जीवन पर पड़ रहा है. गर्मी लगातार बढ़ रही है. असमय बारिश हो रही है, जिससे खेती-किसानी में भी परेशानी हो रही है. इसलिए लोगों को जंगल लगाने व बचाने की आवश्यकता है. इसमें सीड्स बॉल से बड़ी मदद मिलती है.

Web Title : JHARKHAND: PEOPLE FROM 200 VILLAGES MAKE SEEDS BALLS TO SAVE FOREST IN GUMLA; KNOW ITS BENEFITS

Post Tags: