माँ की पूजा नही बचा सकी बेटे की जान

इटखोरी/चतरा 15 : माताएँ अपने संतान के दीर्घायु, निरोगी काया तथा उसके कल्याण के लिये जीवित पुत्रिका यानी जिउतिया का पर्व बहुत श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाती है.

चतरा इटखोरी की रहने वाली एक माँ ने भी अपने संतान के लिये जिउतिया का पर्व बहुत श्रद्धा और विश्वास के साथ किया था, पर उस माँ की पूजा अपने संतान को यमराज के चुंगल से नही बचा पाई और जिउतिया पर्व के पारण के दिन ही उसका बेटा बीच सड़क पर तड़प-तड़प कर मर गया.

जिउतिया पर्व के दिन हुये इस मौत से मृत बेटे की माँ दहाड़े मार-मार कर रो रही है,जिसकी रोने की आवाज सुनकर हर किसी का कलेजा पसीज आया. असमय हुये इस मौत से पुरे इलाके मे मातम का माहौल बना हुआ है.  

चौबीस घंटे निर्जला उपवास रखकर सभी माताएँ अपने पुत्र के दीर्घायु के लिये ईश्वर से कामना करती है,पर आज चतरा के इटखोरी मे एक माता की ह्रदय विदारक चीख से पूरा माहौल गमगीन हो उठा है.

उस माँ को क्या पता था,कि उसका लाल उसके कलेजे के टुकड़े को उसकी पूजा भी मौत के मुह से नही बचा पायेगी. घटना बीते गुरुवार देर शाम कि है,जब इटखोरी गाँव निवासी शिपुल अपने दो अन्य साथी  मोहम्मद उमर और टिंकू विश्वकर्मा के साथ अपने अपाची बाइक पर सवार होकर चौपारण अपने निजी काम गया हुआ है.

चौपारण से अपने घर इटखोरी वापस लौटने के क्रम मे चौपारण थाना क्षेत्र के बारा मोड के पास एक जानवर को बचाने मे शिपुल की मोटरसाइकल दुर्घटनाग्रस्त हो गई.

इस दुर्घटना मे शिपुल की मौत घटनास्थल पर हीं हो गई,जब्कि उसके दो साथी उमर व टिंकू गंभीर रूप से घायल हो गये. इटखोरी गर्ल्स हाईस्कूल के पास रहने वाले बासुदेव रजक के 18 वर्षीय पुत्र शिपुल कुमार की मौत के बाद, उसका शव पोस्टमार्टम के बाद घर लाया गया.

शव घर आते ही उसके परिजनो का रो-रो कर बुरा हाल हो गया है. मृतक की माँ की चित्कार से पुरा माहौल गमगीन बना हुआ है. वह अपने पुत्र की दीर्घायु, निरोगी काया तथा उसके कल्याण के लिये जीवित पुत्रिका व्रत रखी हुई थी,मगर भगवान को कुछ और ही मंजूर था.

जिस वक्त शिपुल की मौत हुई थी,उस वक्त उसकी माँ निर्जला उपवास रखकर जिउतिया व्रत को लेकर गाँव की महिलाओ के साथ मंदिर मे कथा सुन रही थी. अपने बेटे की मौत की खबर पाकर बीच मे ही वह आधी पूजा छोडकर बेहोश हो गई.

उसे बेहोशी की हालत मे ही चौपारण अपने मृतक बेटे के शव के पास ले गया जहाँ उसके चित्कार से पूरा माहौल गमगीन हो गया. शिपुल का शव घर आते ही यहाँ मौजूद सभी के आँखो से आँसू छलक पड़े.

आनन-फानन मे शिपुल के शव को मुहाने नदी के शमशान घाट पर उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया. घटना की सुचना पाकर शिपुल के घर पर बडी संख्या मे गाँव वालो की भीड उमड पडी है. जिसने भी इस घटना के बारे मे सुना उसे एक बार के लिये अपने कानो पर विश्वास नही हुआ.  

Web Title : MOTHER PRAYER COULD NOT SAVE THE LIFE OF THE SON

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