पत्नि की पुण्यतिथि पर व्यापारी कैलाश दुल्हानी ने किया आदिवासियों को कंबल वितरण

वारासिवनी. नगर के प्रतिष्ठित किराना व्यवसायी एवं व्यापारी संघ पदाधिकारी कैलाश दुल्हानी ने 22 जनवरी शनिवार को धर्मपत्नी स्व. रिद्धि दूल्हानी की तृतीय पुण्यतिथि पर सेवाभाव का परिचय देते हुए दूरस्थ अंचल वन ग्राम सोनेवानी, चिखलाबड्डी एवं नवेगांव मंे कड़कड़ाती ठंड के बीच गरीब आदिवासी महिला, पुरूषों एवं बच्चों एवं बाहर से आये बांस कटाई कार्य मंे लगे मजदूरों को कंबल वितरण किया. इस दौरान कैलाश दुल्हानी के साथ अन्य पदाधिकारियांे मे अभिषेक सुराना, विकास पंडोरिया, सिकंदर मिश्रा, दीपक जैैन आदि ने सेवा के कार्य में कंबल वितरण कार्य मे सहयोग प्रदान किया. जानकारी अनुसार कैलाश दुल्हानी की धर्मपत्नि स्व. रिध्दि दुल्हानी का कैंसर से पीड़ित होने के कारण 22 जनवरी 2019 को देहांत हो गया था. जिसके बाद से प्रतिवर्ष कैलाष दुल्हानी अपनी पत्नि की पुण्यतिथि पर जनसेवा कर श्रद्धाजंली अर्पित करते है. जहां गत वर्षों में स्कूलों में पंखों का वितरण, नन्हे मुन्नों को चरण पादुका का वितरण किया गया था. वहीं इस वर्ष पत्नि के पुण्यतिथि पर 125 कंबलों का वितरण किया गया. कंबलों को पाकर उनकी आंखों मे अपनेपन एवं कृतज्ञता के भाव देखे गये.  

कैलाश दुल्हानी ने पूछे जाने पर बताया कि उनकी पत्नी स्व. रिद्धि दुल्हानी की तीसरी पूण्यतिथी पर परंपरा अनुसार लालबर्रा क्षेत्र के जंगल के ग्राम सोनेवानी, नवेगांव आदि के साथ साथ जंगल मे कटाई कार्य कर रहे मजदूरो को लगभग 125 कंबलो का वितरण किया गया है. इसी तरह सामाजिक सेवा के कार्य में नगर के वार्ड क्रमांक तीन में आंगनवाडी मे भोजन बनाने के बर्तन सहित अन्य जरूरत की सामग्रियांे का भी वितरण किया जायेगा. साथ ही व्यापारी परिवार की मानव सेवा समिति को व्हील चेयर, वाकर, हाइड्रोलिक पलंग भी दो दिवस के भीतर प्रदान किये जायेंगे.  

नवेगांव निवासी संगीता धूर्वे ने बताया कि आज अचानक वारासिवनी से आकर भाईयो ने कंबल प्रदान किया है. यह कंबल अन्य कटाई कार्य कर रहे सभी उपस्थित मजदूरो को प्रदान किया गया है. निःसंदेह निःशुल्क जरूरत की सामग्री कंबल को प्राप्त कर सभी जरूरतमंदो को बेहद खुशी हो रही है. जंगल की बेहद ठंडी में यह कंबल सभी लोगो को बेहद उपयोगी साबित होगा.  

मस्तराम मडावी ने बांस कटाई कार्य के दौरान कंबल प्राप्त करने के बाद कहा की इस वस्तु की उन्हे बेहद जरूरत महसूस हो रही थी. किंतु जंगल से निकलकर नगरो मे जाकर खरीदने का समय नही मिल पा रहा था. आज अचानक जरूरत की वस्तु मिलने से मन प्रसन्नता महसूस कर रहा है. जंगल मे पहली बार किसी ने आकर हमारी सुध ली है.  


Web Title : BUSINESSMAN KAILASH DULHANI DISTRIBUTES BLANKETS TO TRIBALS ON WIFES DEATH ANNIVERSARY