महाशिवरात्रि पर बाबा कोटेश्वर धाम में सुबह से ही भक्तों का तांता

बालाघाट. देवो के देव महादेव का पूजन सावन मास और महाशिवरात्रि पर विशेष माना जाता है, जिसमें सबसे ज्यादा खास महाशिवरात्रि का होता है, जिसमें परमपिता परमेश्वर भगवान शिव और आदिशक्ति माता पार्वती का मिलन होता है. अर्द्धनारेश्वर बनने के बाद भगवान महादेव के इस पर्व पर, देवालयों की अपनी गाथा है. जिसमें बालाघाट जिले के लांजी स्थित कोटेश्वर धाम, उनमें से एक है.  

यह मंदिर अपने आप में इसलिए भी अलग है कि यह मंदिर श्मशान स्थल पर होने के साथ ही नरसिंह मंदिर होने से यह शिवधाम पूजन और तंत्र-साधना के साधकों के लिए खास स्थल है.  

इतिहास में दर्ज जानकारी की मानें तो 18 सौ ईसवी में अस्तित्व में आये बरामदे का निर्माण 1902 में ब्रिटिश शासनकाल में तत्कालीन तहसीलदार रामप्रसाद दुबे की निगरानी में होने की बात कही जाती है. जहां प्रतिवर्ष सावन और महाशिवरात्रि पर खासी भीड़ होती है. महाशिवरात्रि से ही लांजी मुख्यालय मंे मेले का भी आयोजन किया जाता है. लगभग सप्ताह तक चलने वाले इस मेले में दूर-दराज के व्यापारी, यहां आते है. पुरात्व विशेषज्ञों की मानें तो मंदिर में कल्चुरीकालीन कलाकृतियां है. जो मंदिर का इतिहास बयां करती है.  

महाशिवरात्रि पर बाबा कोटेश्वर धाम में सुबह से ही भक्तों का तांता लगा रहा. बाबा कोटेश्वर के दर्शन करने शिवभक्त कतारों से पहुंचे और बाबा के दर्शन कर मनोकामना पूर्ति का आशीर्वाद मांगा. एक जानकारी के अनुसार अल सुबह से देररात्रि तक हजारों दर्शकों ने बाबा कोटेश्वर धाम में भगवान के दर्शन, पूजन और आशीर्वाद का लाभ लिया.


Web Title : DEVOTEES THRONG BABA KOTESHWAR DHAM ON MAHASHIVRATRI