तो आत्महत्या करने मजबूर न हो जाये किसान,मौसम की बेरूखी से तीन तहसीलों में सूखा के हालत, बैहर तहसील को सुखाग्र्रस्त घोषित करने की मांग

बालाघाट. बालाघाट जिले में इस वर्ष मानसुन फीका रहा. जिसके कारण लोगों को सावन से लेकर भादो में अब गर्मी जैसा अहसास हो रहा है, जिले में मौसम की बेरूखी ऐसी कि पूरे जिले के तहसील में बीते वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष रिकॉर्ड वर्षा काफी कम है. एक जानकारी के अनुसार इस वर्ष जिले में गत वर्ष से 438 मि. मी. कम वर्षा हुई है. कम वर्षा के कारण इसका असर खरीफ फसल पर पड़ा है. हालांकि जिले के सिचिंत और स्वयं की सिंचाई सुविधा वाले किसानों को उतनी परेशानी नहीं है लेकिन असिंचित और केवल मानसुन पर निर्भर रहने वाले आदिवासी अंचल के बैहर तहसील का लगभग 80 प्रतिशत कृषि भू-भाग और बिरसा एवं परसवाड़ा तहसील का कुछ भाग पूरी तरह से प्रभावित है. यहां लगाई गई खरीफ की फसल पानी के अभाव में सुख गई है. जिससे किसानांे की कमर टूट गई है, किसी तरह रबी की फसल में ओलावृष्टि से प्रभावित फसलों से अभी किसान उभर भी नहीं पाये थे कि बारिश के धोखे ने उन्हें तोड़कर रख दिया. किसान फसल लगाने महंगे दामो में खरीदे गये बीज और खाद्य तथा फसल खराब होने से किसान न केवल चिंतिंत और परेशान है बल्कि वह आर्थिक रूप से भी टूट गया है. ऐसी स्थिति में क्षेत्र के किसानों को यदि जल्द ही सरकार का सहारा नहीं मिला तो वह आत्महत्या करने मजबूर न हो जाये.

मानसुन की बेरूखी से बैहर तहसील में 80 प्रतिशत कृषि के सूख जाने से प्रभावित किसान, 3 सितंबर को बिना किसी राजनीतिक दल के समर्थन लिए स्वयं के खर्चे से लंबी दूरी का रास्ता तय कर जिला मुख्यालय पहुंचे और मुख्यमंत्री के नाम जिला प्रशासन को दिये गये ज्ञापन में बैहर तहसील को सुखाग्रस्त घोषित किये जाने और प्रभावित किसानो को मुआवजा दिये जाने की मांग की. जिला मुख्यालय पहुंचे किसानों में बड़ी संख्या में महिला किसान भी शामिल थी.  

किसानों पर दोहरी मार

बताया जाता है कि रबी की फसल के दौरान अत्यधिक ओलावृष्टि के दौरान बैहर क्षेत्र के किसानों की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई थी. जिसका भी मुआवजा उन्हें अब तक नहीं मिला है. वहीं खरीफ में खेतो में लगी फसल सुख गई है. जिससे अब फसल से धान की उम्मीद बेमानी है, रबी में पड़ी मार के बाद फिर खरीफ में मौसम की मार ने किसानों को तोड़कर रख दिया है. जिससे किसान अब क्षेत्र को सूखाग्रस्त कर मुआवजा की मांग कर रहे है.

पानी नहीं मिलने से सुख गई धान, पलायन कर रहे किसान

जिला मुख्यालय पहुंची महिला किसान मेहतरीनबाई मरकाम, अपने सिर पर सुखी फसल को टोकरी में लेकर जिला प्रशासन को दिखाने पहुंची थी, कि पानी नहीं मिलने से खेत में लगी फसल कैसे सुख गई है, ताकि फसल को देखकर शासन, प्रशासन का मन पसीजे और वह प्रभावित किसानों को फसल खराब होने का मुआवजा प्रदान कर जीने के लिए संबल प्रदान करें. मीडिया से चर्चा करते हुए मेहतरीनबाई ने बताया कि शुरूआती बरसात में खेत में परहा लगाया था लेकिन उसके बाद बारिश नहीं होने से पूरी फसल सुख गई है. सुखी फसल को लेकर वह प्रशासन को दिखाने पहुंची है ताकि प्रशासन यह देखकर शासन को इसकी जानकारी पहुंचाकर हम गरीब आदिवासी किसानों को मुआवजा दिलवाकर जीने का भरोसा दिलाये. वहीं कृषक मंशाराम मड़ावी का कहना है कि बैहर क्षेत्र में बारिश नहीं होने से लगभग 80 प्रतिशत मानसुन पर आश्रित खेतो की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई है. जिससे किसान परेशान है, दूसरी तरफ महंगे दामो में बीज और खाद्य खरीदने से वह वैसे ही कर्ज में दबे है, ऐसे में कर्ज और फसल की चिंता किसानों को खाये जा रही है. खेतो में लगी फसल के बर्बाद होता देख परेशान, किसान साल भर के परिवार के जीवनयापन के लिए पलायन कर रहे है. हमारी सरकार से मांग है कि बैहर तहसील को सुखाग्रस्त घोषित कर वहां काम प्रारंभ करवाये और फसल खराब होने से प्रभावित किसानों को मुआवजा दिया जायें. उन्होंने कहा कि जल्द ही किसानों को लेकर सरकार ने कोई निर्णय नहीं लिया तो पलायन के साथ ही किसान आत्महत्या करने भी मजबूर हो सकते है. आदिवासी अंचल बैहर से पानी नहीं मिलने से खराब हो चुकी फसलों से किसानों को हुए नुकसान की जानकारी देने पहंुचे आदिवासी किसानों के साथ अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद जिलाध्यक्ष भुवनसिंह कोर्राम भी मौजूद थे.

पूरे जिले में कम हुई वर्षा

01 जून से प्रारंभ हुए चालू वर्षा सत्र में 02 सितम्बर तक बालाघाट जिले में 686 मि. मी. औसत वर्षा रिकार्ड की गई है. जबकि गत वर्ष इसी अवधि में 1124 मि. मी. वर्षा रिकार्ड की गई थी. इस प्रकार जिले में गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष 438 मिमी वर्षा कम हुई है. चालू वर्षा सत्र के दौरान 01 जून से 02 सितम्बर तक बालाघाट तहसील में 861 मि. मी., वारासिवनी तहसील में 850 मि. मी., बैहर तहसील में 717 मि. मी., लांजी तहसील में 446 मि. मी., कटंगी तहसील में 550 मि. मी., किरनापुर तहसील में 829 मि. मी., खैरलांजी तहसील में 308 मि. मी., लालबर्रा तहसील में 868 मि. मी., बिरसा तहसील में 733 मि. मी., परसवाड़ा तहसील में 772 मि. मी. एवं तिरोड़ी तहसील में 613 मि. मी. वर्षा रिकॉर्ड की गई है. जबकि गत वर्ष 2020 में इसी अवधि में बालाघाट तहसील में 1164 मि. मी., वारासिवनी तहसील में 1074 मि. मी., बैहर तहसील में 1331 मि. मी., लांजी तहसील में 1068 मि. मी., कटंगी तहसील में 937 मि. मी., किरनापुर तहसील में 1282 मि. मी., खैरलांजी तहसील में 400 मि. मी., लालबर्रा तहसील में 1437 मि. मी., बिरसा तहसील में 1326 मि. मी., परसवाड़ा तहसील में 1344 मि. मी. एवं तिरोड़ी तहसील में 1004 मि. मी. वर्षा रिकॉर्ड की गई थी.


Web Title : FARMERS SHOULD NOT BE FORCED TO COMMIT SUICIDE, DROUGHT CONDITIONS IN THREE TEHSILS DUE TO WEATHER CONDITIONS, DEMAND TO DECLARE BEHAR TEHSIL AS DRY.