वारासिवनी में भाजपा के पूर्व विधायक डॉ. योगेन्द्र निर्मल ने लिया चुनावी नामांकन फार्म, लांजी में पूर्व विधायक रमेश भटेरे के दृढ़संकल्प में अनिश्चितता के बादल

बालाघाट. जिले में भाजपा के तीन विधानसभा में घोषित प्रत्याशियो को लेकर विरोध सार्वजनिक तौर से टिकिट घोषणा के बाद नजर आ रहा है. हालांकि कटंगी में विरोध लगभग-लगभग विराम की स्थिति में है लेकिन सबसे ज्यादा विरोध लांजी और वारासिवनी विधानसभा में दिखाई दे रहा है, यहां पार्टी से ज्यादा विरोध प्रत्याशियों को लेकर है, चूंकि इन दोनो ही स्थानो पर पार्टी ने जिन्हें प्रत्याशी बनाया है, उन्हें स्थानीय संगठन स्वीकार नहीं कर रहा है, यही कारण है कि इन दोनो ही स्थानों पर पार्टी का निष्ठावान कार्यकर्ता अलग राह पर है, वह घोषित प्रत्याशियों के साथ खड़ा नजर नहीं आ रहा है. जिससे इन दोनो ही स्थानों पर भाजपा को अपनो को मनाने की सबसे बड़ी चिंता है.  

लांजी विधानसभा में तो पूर्व विधायक रमेश भटेरे ने एक-दो नहीं बल्कि तीन बड़ी सभा समर्थक भाजपा नेता, पदाधिकारी एवं कार्यकर्ताओं की करा चुके है लेकिन वह अब भी कोई फैसला नहीं ले सके है, जबकि उनके समर्थको ने उन्हें निर्दलीय चुनाव लड़ाकर जीताने तक का संकल्प ले लिया है, बावजूद उनके चुनाव लड़ने के दृढ़संकल्प में अब अनिश्चितता के बादल दिखाई दे रहे है. बताया जाता है कि विगत दिनों पूर्व विधायक रमेश भटेरे बालाघाट पहुंचे थे और यहां उन्होंने मंत्री गौरीशंकर बिसेन से मुलाकात की. इस दौरान मंत्री गौरीशंकर बिसेन ने पूर्व विधायक रमेश भटेरे को चुनाव नहीं लड़ने की बात कही है. चूंकि लांजी में पार्टी प्रत्याशी की घोषणा के बाद लगातार पूर्व विधायक रमेश भटेरे के आक्रामक तेवर के चलते, संगठन और सत्ता के लोग कोई भी उनके साथ खुलकर सामने नहीं आ रहा है और जैसे की यह चर्चा जोरो पर है कि संगठन ने मंत्री गौरीशंकर बिसेन को चुनाव लड़ने से फ्री करने के साथ ही उन्हें, जिले में प्रत्याशियों को लेकर रूठो को मनाने की बड़ जिम्मेदारी सौंपी है. जिससे लगता है कि विगत दिनों मंत्री गौरीशंकर बिसेन की समझाईश का असर पूर्व विधायक रमेश भटेरे के दिल और दिमाग पर हो गया है और संभवतः जिस तरह से उनके आक्रामक तेवर में 19 अक्टूबर के बाद गिरावट देखी जा रही है, उससे यह संभावना प्रबल होती जा रही है कि चुनाव के नाम निर्देशन फार्म की प्रकिया के अंतिम समय तक पूर्व विधायक रमेश भटेरे, लौट के बुद्धु घर को आए, की कहावत को चरितार्थ कर सकते है, क्योंकि उनका उज्जवल भविष्य, पार्टी में ही संभव है, पार्टी से बाहर जाकर चुनाव में ऊपर-नीचे होने पर आवेश में लिया गया उनका निर्णय, कुल्हाड़ी पर पैर मारने जैसा हो सकता है.  

दूसरी ओर जिले में पार्टी के प्रति समर्पित भाव के लिए जानने वाले वारासिवनी विधानसभा में लगभग यह तय हो गया है कि पूर्व विधायक डॉ. योगेन्द्र निर्मल, निर्दलीय चुनाव लड़ सकते है, एक मीडिया हाउस को दिए गए अपने बयान कि वह भाजपा प्रत्याशी प्रदीप जायसवाल के साथ एक जन्म तो क्या अगले जन्म मंे भी मंच शेयर नहीं कर सकते का बयान, अब उनके और कांग्रेस प्रत्याशी के किसी भी प्रकार के सामंजस्य और समन्वय की संभावनाओं को खत्म करने जैसा है और क्षेत्रीय समर्पित संगठन, केन्द्रीय और प्रदेश नेतृत्व के खिलाफ, नाराज नजर आ रहा है, माना जाता है कि जिले के वारासिवनी में भाजपा का निष्ठावान संगठन, जिस तरह से अपनी पार्टी के प्रति समर्पित है, उसी तरह से वह पूर्व विधायक डॉ. योगेन्द्र निर्मल के प्रति भी समर्पित है और यदि पूर्व विधायक डॉ. योगेन्द्र निर्मल चुनाव लड़ते है तो वर्तमान भाजपा का संगठन उनके समर्थन में होगा. फिलहाल वे चुनाव लड़ते है या नहीं, यह तो नाम निर्देशन फार्म जमा करने और नामांकन वापसी के बाद साफ हो जाएगा लेकिन एक तरह से नाम निर्देशन फार्म लेकर वारासिवनी भाजपा संगठन ने पूर्व विधायक डॉ. योगेन्द्र निर्मल के माध्यम से एक बार फिर दबाव बनाने का काम किया है. तो दूसरी ओर क्षेत्र में एक अच्छा जनाधार रखने वाले पूर्व विधायक डॉ. योगेन्द्र निर्मल ने भाजपा प्रत्याशी प्रदीप जायसवाल को हराने की एक तरह से कसम खा ली है. जिससे यह, संभावना ज्यादा प्रबल दिखाई दे रही है कि वह चुनाव में दांव खेल सकते है.


Web Title : FORMER BJP MLA YOGENDRA NIRMAL FILES NOMINATION FROM WARASIWANI