बस स्टैंड के विस्तारीकरण में उजाड़ दिया मुलना उद्यान, अब अतिक्रमणकारियों के कब्जे में जमीन, आखिर कब मिलेगा मुलना जी को सम्मान

बालाघाट. जिले के सबसे बड़े दानवीर दीवान बहादुर मुलना जी की यादो को संजोये रखने 25 जनवरी 2013 को तत्कालीन भाजपा शासनकाल में जिले के प्रभारी एवं स्कूल शिक्षा मंत्री नानाभाऊ मोहोड़, तत्कालीन पीएचई एवं सहकारिता मंत्री गौरीशंकर बिसेन, तत्कालीन नपाध्यक्ष रमेश रंगलानी, पूर्व विधायक अशोकसिंह सरस्वार, महिला मोर्चा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्रीमती लता एलकर, तत्कालीन भाजपा जिलाध्यक्ष उदयसिंह नगपुरे, समाजसेवी भानुभाई त्रिवेदी, अधि. एम. पी. राव, तत्कालीन नपाध्यक्ष श्रीमती आशा बिसेन और तत्कालीन केन्द्रीय बैंक अध्यक्ष राजकुमार रायजादा की नाम पट्टिा लगे शिलालेख के साथ प्रतिमा का अनावरण और मुलना उद्यान के जीर्णोद्धार का लोकार्पण किया गया.  

लेकिन क्या पता था कि कालांतर में उनकी याद को संजोये रखने बनाये गये उद्यान, लाल फीताशाही की भेंट चढ़ जायेगा और केवल प्रतिमा अकेले रह जायेगी. उक्त कार्यक्रम के बाद आज 7 साल में मुलना जी के नाम से बनाये गये उद्यान और उनकी प्रतिमा की हालत क्या है, यह किसी से छिपी नहीं है. तत्कालीन कलेक्टर दीपक आर्य द्वारा बस स्टैंड से जाने वाली बसों के मोड के विस्तारीकरण लिए उद्यान को उजाड़ दिया, जो आज भी वैसा ही उजड़ा है, अभी गत 25 अक्टूबर को ही उनकी समाधिस्थल पर पहुंचे और उनके नाम से दान किये गये भवन में आयोजित कार्यक्रम में उनकी यादों को संजोये रखने बड़े-बड़े वादों किये गये, लेकिन उनकी जयंती के बाद उनकी याद को संजोये रखने को लेकर कोई प्रयास नहीं होने से एक बार फिर मुलना जी की यादों को जिम्मेदार भुल गये है, ऐसा प्रतित होता है.  

जबकि जिले के सबसे बड़े दानवीर मुलना जी के नाम से बनाये गये उजाड़ उद्यान और उनकी प्रतिमा स्थल के आसपास फैली गंदगी, उनकी दिव्यात्मा, उन्हें कचोट रही होगी कि जिस बालाघाट को उन्होने अपना सर्वस्व दान कर दिया, आज वहीं बालाघाट उन्हें भुल गया है. गौरतलब हो कि विगत दिनों ही कांग्रेस नेताओं ने उनकी समाधि स्थल के पास पसरी गंदगी और गंदे पानी को लेकर आवाज बुलंद की थी. जिसके बाद आनन-फानन में नगरपालिका के स्वास्थ्य विभाग ने गंदे पानी की निकासी के लिए जेसीबी चलाकर व्यवस्था को दुरूस्त किया था. हालांकि अभी भी स्थिति सुधरी नहीं है. मुख्यालय के जागरूक लोगो ने प्रशासन और जिले के जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों से मांग की है कि उनकी यादों को चिरस्थायी बनाने के लिए न केवल उनके नाम से बनाये गये उद्यान को पुनः बनाकर उसका सौन्द्रयीकरण कर उनकी प्रतिमा को संरक्षित किया जायें, ताकि उन्हें देखकर लोगों को प्रेरणा मिल सके.

इस मामले में शहर के युवा जागरूक श्रमजीवी पत्रकार संघ जिलाध्यक्ष इंद्रजीत भोज ने कहा कि दीवान बहादुर मुलना जी जैसे दानवीर, आज तक जिले की भूमि पर जन्म नहीं ले सका है, लेकिन यह दुर्भाग्य है कि प्रशासन और जिले की जनता जिले के सबसे बड़े दानवीर की स्मृतियों को संरक्षित नहीं कर सकी. बस स्टैंड में कभी उनकी याद में बना दीवान बहादुर मुलना मैदान आज अतिक्रमण के मकड़जाल में फंसा है, जहां गंजेड़ी और शराबी बैठते है. भले ही प्रशासन की बस स्टैंड के सौन्द्रयीकरण और विस्तारीकरण की मंशा हो लेकिन किसी दानदाता की स्मृति में बने उद्यान को उजाड़कर विस्तारीकरण किया जायें और उसकी स्मृति को सीमित कर दिया जायें तो यह गलत है. हमारी मांग है कि प्रशासन जिले के सबसे बड़े दानवीर दीवान बहादुर मुलना जी की याद में बनाये गये उद्यान का पुनः निर्माण कर उसका सौन्द्रयीकरण करें और उनकी प्रतिमा को संरक्षित करें. ताकि आने वाली पीढ़ियों को जिले के दानवीर बहादुर मुलना जी के बारे में जानकारी मिल सकें और वे उन्हें समझे.  


Web Title : MULNA GARDEN RAZED IN EXPANSION OF BUS STAND, NOW LAND IN POSSESSION OF ENCROACHERS, WHEN WILL MULNA JI FINALLY GET RESPECT