बसो में ओवरलोड सवारी और तेज भागते वाहन, बस हादसो के बाद भी सबक नहीं, बेपरवाह परिवहन विभाग

बालाघाट. मध्यप्रदेश में सड़क परिवहन निगम बंद होने के बाद बस यातायात पूरी तरह निजी हाथों में जाने की ही यह परिणति है कि लोग आए दिन सड़क दुर्घटनाओं में काल के गाल में समा रहे हैं. बीते दिवस बालाघाट जिले के परसवाड़ा से विवाह समारोह के बाद वापस लौट रही बस खाई में जा गिरी जिसमें लगभग 50-60 से ज्यादा लोग सवार थे. बस खाई में गिरने से सभी घायल हो गए, वहीं एक महिला को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा. जिसके बाद भी बस मंे ओवरलोड सवारियां चल रही है, जिसपर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है. जिले से लेकर लांजी क्षेत्र में अंधाधुंध रफ्तार से दौड़ रही निजी बसों के अनियंत्रित होकर पलटने और दुर्घटना कारित होने का डर हमेशा बना रहता है. वहीं क्षेत्र की जनता को बेहतर परिवहन सेवा मुहैया कराने के सरकारी दावों की पोल खुलती दिखाई दे रही है. प्रदेश की जनता पन्ना जिले में हुए उस बस हादसे को अभी तक भूली नहीं है, जिसमें कई लोग बस में लगी आग में जलकर स्वाहा हो गए थे. उस घटना के बाद बालाघाट जिले के लांजी क्षेत्र में दौड़ रही अनियंत्रित बसों को नियंत्रित करने व यातायात और यात्री सुरक्षा नियमों का सख्ती से पालन सुनिश्चित कराने को लेकर बड़ी-बड़ी बातें की गई थीं. लेकिन परसवाड़ा में हुए बस हादसे ने एक बार फि र यह साबित कर दिया कि पिछली दुर्घटनाओं से हमने कोई सबक नहीं लिया है.

विभागीय लापरवाही से मिल रही संचालकों को छूट.. .

विभागीय लापरवाही का आलम यह है कि यात्री बस वैध परमिट के बगैर ही सड़क पर निर्बाध दौड़ रही है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि हमारी व्यवस्था में कितनी खामियां हैं. अब तक का अनुभव बताता है कि हादसे के बाद दो-चार दिन तक तो इस पर चर्चा होती है, प्रशासन व्यवस्था को चाकचौबंद करने की बात भी करता है, लेकिन फिर वही ढाक के तीन पात! अगर पिछली दुर्घटनाओं से सबक लिया गया होता, बसों के रखरखाव की पड़ताल की गई होती, परमिट जारी करने समेत सड़क परिवहन के नियमों का सख्ती से पालन कराया गया होता तो एक के बाद एक सड़क हादसों में लोगों को मौत का शिकार नहीं होना पड़ता.

बस स्टेंड में टपरियों में संचालित हो रहे ट्रेवल्स

लांजी नगर में निजी बस संचालकों की दादागिरी और मनमानी इस कदर हावी है कि बस स्टैंड से छूटने से लेकर नगर की सीमा समाप्त होने तक पूरे रास्ते बस  को इतनी रफ्तार से चलाते हैं की सड़क पर चलने वाले रहागिर अपनी मौत को अपने सामने से गुजरते हुए देखते हैं. इनके द्वारा बसों में इतनी ठूंस-ठूंस कर सवारी भरी जाती है इससे बाकी यात्रियों को कितनी परेशानी होती है, इससे उन्हें कोई सरोकार नहीं. खासकर हैदराबाद रूट पर चलने वाली बसों में सवारियों को ठूंस-ठूंसकर भरा जाता है. एक तो वर्तमान में शादी विवाह का समय और सड़को पर लोगों का आना जाना और हैदराबाद जाने वाली स्लीपर बड़ी बसें, उनमें क्षमता से अधिक यात्री और उस पर भी अधिक फेरे लगाने के चक्कर में अनियंत्रित रफ्तार से बसों को दौड़ाने से कभी न कभी तो दुघर्टना होगी ही.

मलाई के कारण नहीं दिख रही जनता की भलाई

आपसी प्रतिस्पर्धा और ज्यादा से ज्यादा लाभ कमाने के चक्कर में निजी यात्री बसें सवारियों के जीवन से खिलवाड़ कर रही हैं. परिवहन विभाग एक बार परमिट जारी करने के बाद कभी इन बसों की ओर पलटकर देखता भी नहीं कि लोग इनमें कितनी मुश्किलों में सफर करते हैं. सड़क परिवहन व्यवस्था को चाक चौबंद करते हुए निजी बस ऑपरेटरों की मनमानी और धांधली पर अंकुश लगाना जरूरी है. परंतु बालाघाट का परिवहन विभाग पूरी तरह कुंभकर्णीय नींद में सो चुका है साथ ही परिवहन कार्यालय में परमिट के लिये और अधिकारी को मिलने वाली मलाई के कारण आमजनों की भलाई नजर नहीं आ रही है जिसका खामियाजा भविष्य में क्षेत्र के लोगों को अपनी जान से हाथ धोकर भुगतना पड़ेगा.


Web Title : OVERLOADED RIDES AND FAST RUNNING VEHICLES IN BUSES, NO LESSON EVEN AFTER BUS ACCIDENTS, UNCARING TRANSPORT DEPARTMENT