निजी स्कूल संचालकों ने आयुष मंत्री एवं प्रशासन को सौंपा ज्ञापन,बिना टीसी के स्कूलो में न दिया जायें प्रवेश, आदेश के निरस्त की मांग

बालाघाट. निजी स्कूल संचालकों ने 23 जुलाई को जिला शिक्षा अधिकारी एवं जिला शिक्षा केन्द्र परियोजना समन्वयक के आयुष राज्यमंत्री रामकिशोर कावरे के 6 जुलाई 2021 को लिखे गये पत्र, निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम और राज्य शिक्षा केन्द्र भोपाल का पत्र के संदर्भ में 22 जुलाई जुलाई को निकाले गये ‘शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत स्थानांतरण प्रमाण पत्र (टीसी) के बिना शासकीय शालाओं में प्रवेश देने के संबंध में आदेश का विरोध करते हुए इसे निरस्त करने की मांग की है. जिसको लेकर निजी स्कूल संचालकों ने निजी स्कूल संचालक निरंजन बिसेन के नेतृत्व में राज्यमंत्री रामकिशोर कावरे और प्रशासन को ज्ञापन भी सौंपा. इस दौरान अन्य निजी स्कूल संचालक उपस्थित थे.

क्या है आदेश

22 जुलाई को जिला शिक्षा अधिकारी और जिला शिक्षा केन्द्र परियोजना समन्वयक द्वारा एक आदेश जिले के सभी शासकीय प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालय के प्रधानपाठक और हाईस्कूल एवं हायर सेकेंडरी स्कूल के प्राचार्यो को जारी किया है. जिसमें शिक्षा का अधिकार अधिनियम का हवाला देते हुए स्थानांतरण प्रमाण पत्र के बिना शासकीय शालाओं में प्रवेश देने के आदेश जारी किये गये है. आदेश में कहा गया है कि कोरेाना महामारी के कारण जिन पालकों की आर्थिक स्थिति खराब है एवं अशासकीय शालाओं की फीस पूर्ति करने में असमर्थ है, ऐसे अभिभाावकों के बच्चो को जिले के समस्त स्कूलो में शिक्षा का अधिकार अधिनियम अधिनियम के निहित प्रावधानो के तहत धारा 2 के  खंड (ढ) के उपखंड के अनुसार अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के लिए किसी भी अन्य विद्यालय में स्थानांतरण करने का अधिकार होगा. अतः बिना स्थानांतरण प्रमाण पत्र के अध्ययनरत शाला से प्राप्त अनापत्ति प्रमाण पत्र के आधार पर प्रवेश देना सुनिश्चित करें एवं संबंधित शाला से निकट भविष्य में स्थानांतरण प्रमाण पत्र प्रापत करना होगा, ताकि कोई भी छात्र शिक्षा के अधिकार से वंछित न रहे.

निजी स्कूल संचालक बता रहे आदेश को नियम विरूद्ध

राज्यमंत्री रामकिशोर कावरे और प्रशासन को जिला शिक्षा अधिकारी एवं जिला शिक्षा केन्द्र परियोजना समन्वयक को संदर्भित पत्रानुसार जारी किये गये आदेश को निजी स्कूल संचालक नियम विरूद्ध बता रहे है. निजी स्कूल संचालकों का कहना है कि लोक शिक्षण संचालनालय ने 20 दिसंबर 2020 में उक्त संबंध में स्पष्ट किया है कि मध्यप्रदेश शिक्षा संहिता (विद्यालयीन शाखा) 1973 के अध्याय 3 जो कि पूर्व माध्यमिक एवं उच्च शालाओं के प्रबंध से संबंधित है के अध्याय 47(2) जो प्रवेश से संबंधित है, में स्पष्ट उल्लेख है कि किसी भी विद्यार्थी के अभिभावक जो किसी भी मान्यता प्राप्त शाला में स्थानांतरण होने पर विद्यार्थी को प्रवेश दिलाना चाहते है, उसमें प्रवेश संबंधित आवेदन के साथ-साथ शाला का स्थानांतरण प्रमाण पत्र प्रस्तुत करेगा. जहां छात्र ने अंतिम बार अध्ययन किया हो. जो स्पष्ट करता है कि बिना स्थानांतरण प्रमाण पत्र के प्रवेश दिये जाने की कार्यवाही अनुचित है. राज्य शिक्षा केन्द्र ने भी निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 में समग्र शिक्षा अभियान के तहत 6 से 18 आयु वर्ग के समस्त बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा में जोड़ने के लिए प्रावधान निहित किये है. जिस आधार पर निजी स्कूल संचालकों का कहना है कि जिला शिक्षा अधिकारी एवं जिला शिक्षा केन्द्र द्वारा जारी किया गया आदेश विधि संगत नहीं है, संचालकों का कहना है कि माननीय हाईकोर्ट ने भी आदेश जारी किया है. जिससे बिना स्थानांतरण प्रमाण पत्र प्रवेश दिया जाना, न केवल नियम विरूद्ध बल्कि न्यायालय के आदेश की अवमानना भी है. जिसको तत्काल निस्त किया जायें और बिना स्थानांतरण प्रमाण पत्र के शालाओं में प्रवेश नहीं दिया जायें. साथ ही गलत आदेश पारित करने वाले जिला शिक्षा अधिकारी और परियोजना समन्वयक पर नियमानुसार कार्यवाही की जायें.


Web Title : PRIVATE SCHOOL OPERATORS SUBMIT MEMORANDUM TO AYUSH MINISTER AND ADMINISTRATION, NOT TO BE ADMITTED TO SCHOOLS WITHOUT TC, DEMAND CANCELLATION OF ORDER