समाजसेवी संयोग कोचर से पुणे में फंसे युवा पहुंचे बालाघाट

बालाघाट. जिले में रोजगार के साधन नहीं होने से जिले से बहुतायत संख्या में युवा, मजदूर जिले से पलायन कर बाहर प्रदेश के बड़े महानगरों और प्रदेश से बाहर जाते है. जिसका अब तक कोई आंकड़ा नहीं था, लेकिन कोविड-19 से बीमारी के बाद पहली बार यह आंकड़े सामने आ रहे है. कोविड-19 से निपटने किये गये लॉक डाउन के बाद काम धंधे और पढ़ाई बंद होने से बड़ी संख्या में मजदूरों और विद्यार्थियों का घर आने का सिलसिला लगातार जारी है. अब तक लगभग एक लाख के करीब लोग बालाघाट पहुंचे चुके है. जिसमें मजदूर तो विद्यार्थी भी शामिल है. हालांकि इसमें भी मजदूरों की संख्या ज्यादा है, जो जिले में रोजगार नहीं होने से काम धंधे की तलाश में जिले से पलायन कर प्रदेश के बड़े महानगरों और अन्य प्रदेश में चले गये थे.  

जो कोविड-19 से निपटने किये गये लॉक डाउन के बाद काम धंधे बंद होने से किसी तरह घर पहुंचे है, इस दौरान उन्होंने न जाने कितनी परेशानियों का सामना किया और कितना दर्द सहा. जिसका अनुभव भी रोंगटे खड़े कर देने वाला है. ऐसे ही बालाघाट और वारासिवनी के कुछ युवा महाराष्ट्र के पुणे में काम की तलाश में गये थे. जो लॉक डाउन के बाद वहां फंस गये थे. लॉक डाउन के बाद काम धंधे बंद होने से बालाघाट और वारासिवनी के युवा पुणे में फंसे होने के कारण किसी तरह घर आना चाहते थे. इस दौरान उन्होंने अपनी मदद के लिए काफी प्रयास भी किये, लेकिन उनके प्रयास विफल ही रहे. इस दौरान उन्होंने बालाघाट में संजु शेंडे से संपर्क कर उन्हें अपनी समस्याओं से अवगत कराया और बालाघाट तक लाने के लिए मदद मांगी. जिले के युवाओं की पुणे में फंसे होने की जानकारी संजु शेंडे द्वारा समाजसेवी संयोग कोचर को दी गई. युवाओं के पुणे में फंसे रहकर मुश्किलो से गुजार रहे दिनों की स्थिति जानने के बाद समाजसेवी संयोग कोचर ने प्रशासन ने इस बाबत चर्चा ओर अपनी ओर उन्हें बालाघाट तक लाने के प्रयासा में जुट गये. जिसका परिणाम है कि आज पुणे से रीवा श्रमिक ट्रेन से युवा रीवा और वहां से बस के माध्यम से बालाघाट पहुंचे. जिन्होंने बालाघाट पहुंचकर उनके बालाघाट पहुंचने में मददगार बने समाजसेवी संयोग कोचर और संजु शंेडे का कृतज्ञता पूर्वक आभार जताया. संजु शेंडे ने बताया कि बालाघाट के कुछ युवा पुणे में काम की तलाश में गये थे. जहां कोविड-19 से निपटने किये गये लॉक डाउन के कारण विगत 2 महिने से बिना किसी रोजगार के वह फंसे थे. इस दौरान युवाओं ने बड़ी मुश्किल से अपने दिन गुजारे. मोबाईल के माध्यम से युवाओं ने उनसे संपर्क किया था. जिसके बाद उन्होने युवाओं की पीड़ा से समाजसेवी संयोग कोचर को अवगत कराया. एक हफ्ते की कोशिशों के बाद समाजसेवी संयोग सिंह कोचर द्वारा इन्हें बालाघाट लाने का प्रबंध किया गया एवं शासकीय पास इन्हें उपलब्ध कराये गये. जो आज पुणे से रीवा ट्रेन के माध्यम से रीवा पहुंचे, जहां से इन्हें बस के माध्यम से बालाघाट लाया गया.  

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आज अन्य राज्यों से 1274 मजदूर पहुंचे बालाघाट 

कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए घोषित लाकडाउन के दौरान बालाघाट जिले से अन्य राज्यों में काम की तलाश में गये मजदूरों का निरंतर आना जारी है. 23 मार्च से 15 मई तक जिले में 96 हजार से अधिक मजदूर वापस आ चुके है. जिले के बार्डर चेक पोस्ट पर आज 15 मई को 1274 मजदूर पहुंचे है.

बार्डर चेक पोस्ट पर पहुंचने वाले सभी मजदूरों का स्वास्थ्य परीक्षण करने के बाद उनके भोजन की व्यवस्था की गई है. बार्डर चेक पोस्ट से मजदूरों को उनके गांव तक पहुंचाने की भी व्यवस्था की गई है. आज 15 मई को रजेगांव चेकपोस्ट से 802, बोनकट्टा चेकपोस्ट से 246, कोयलारी से 77, कारंजा से 63, रिसेवाड़ा से 03, नाटा से 03, धनवार से 16, कुमनगांव से 25, खैरलांजी से 09 एवं सालेटकरी चेकपोस्ट से 30 मजदूरों ने बालाघाट जिले में प्रवेश किया है. रजेगांव चेकपोस्ट पर 15 मई को आने वाले मजदूरों में तेलंगाना से 101, हैदराबाद से 91, छत्तीसगढ़ से 67, कर्नाटक से 19, गुजरात से 10, महाराष्ट्र से 502 एवं तमिलनाडू से 12 मजदूर आये है. अन्य राज्यों से जिले में आने वाले सभी मजदूरों को स्वास्थ्य जांच के बाद अपने घर पर ही होम क्वेरंटाईन में रहने की सलाह दी गई है. उनसे कहा गया है कि वे 14 दिनों तक अपने घर पर ही रहें और गांव में किसी से मिले-जुले नहीं. सर्दी, खांसी, बुखार एवं सांस लेने में तकलीफ की शिकायत होने पर अपने गांव की आशा कार्यकर्ता एवं विकासखंड के फिवर क्लीनिक से संपर्क करने की सलाह भी दी गई है.


Web Title : SOCIAL WORKER INCIDENTALLY, YOUTH STRANDED IN PUNE FROM KOCHHAR REACH BALAGHAT