अंडरपास ब्रिज का रास्ता साफ, चार घंटे के भीतर ठेकेदार ने गडर और ट्रेक लाईन बिछाने का काम किया पूरा

बालाघाट. मुख्यालय के सरेखा रेलवे क्रार्सिंग पर बनाए जा रहे रेलवे ओवरब्रिज से आवागमन में हो रही समस्या के मद्देनजर, पास से ही एक अंडरपास ब्रिज बनाया जा रहा है. जिसके अब तक दोनो पटरी के दोनो छोर से काम किया गया लेकिन रेलवे पटरी के नीचे से अंडरपास ब्रिज को ले जाने के लिए जरूरी था कि पटरियों के नीचे गडर बैठालकर ट्रैकलाईन को बिछाया जाए, जो काम इतना आसान नहीं था, चूंकि इस रेल आवागमन पर इसका असर पड़ता. वहीं गडर नहीं बनाए जाने से रेलवे लाईन के नीचे से अंडरपास ब्रिज को ले जाना संभव नहीं था. जिसके लिए पूर्व में जब गडर बैठालने, ठेकेदार को रेलवे विभाग से ब्लॉकेज की अनुमति ठेकेदार को अनुमति मिली थी तो मशीन के बालाघाट पहुंचते तक समय निकल गया था. जिससे मशीन को वापस भिजवा दिया गया था. जिससे अंडरपास ब्रिज के काम में देरी होने से, शहर में छोटे वाहनों के बायपास को लेकर समय यथावत थी.  जिसको लेकर जिला प्रशासन के अंडरपास ब्रिज को लेकर दबाव का ही परिणाम है कि ठेकेदार ने रेलवे विभाग से गडर डालने, ब्लॉकेज की अनुमति मांगी और बीते 20 मई के प्रथम पहर में यह काम पूरा किया. जिसके बाद अब रेलवे लाईन के नीचे से अंडरपास ब्रिज बनाने का रास्ता साफ हो गया है.

बताया जाता है कि इस कार्य के लिए ठेकेदार को लगभग 04 घंटे का समय दिया गया था. जिसमें ब्लॉकेज की समय सीमा में अंडरपास ब्रिज में गडर डालकर, गडर के ऊपर पटरी बिछाकर रेलवे ट्रैक को जोड़ना और विद्युत व्यवस्था बहाल करना था. रेलवे विभाग ने ठेकेदार को यह अनुमति 19 मई की रात 11. 55 बजे से लेकर 20 मई की सुबह 4. 10 तक के लिए दी थी. जिससे भी कम समय में अंडरपास ब्रिज का निर्माण कर रही कंपनी ने यह कार्य पूरा कर लिया. ठेकेदार ने निर्धारित समयावधि में रेलवे पटरी को हटाकर अंडर ब्रिज के लिए गडर को बैठाला और उस पर नई पटरी बिछाकर उसे पुरानी ट्रैक से जोड़ने का काम भी किया गया. इसके अलावा इसी समय सीमा में गडर लाइन की पटरी को मुख्य ट्रेक लाइन से जोड़कर विद्युत व्यवस्था भी बनाई गई और गडर के ऊपर से कई बार ट्रेन को इधर से उधर चलकर उसका सफल प्रशिक्षण भी किया गया. इस तरह गडर पर बिछाई गए ट्रेक की सुरक्षा को लेकर सभी औपचारिकता पूरी करने के उपरांत ट्रेनों का आवागमन पूर्व की भांति सुचारु किया गया.

जानकारी अनुसार 58 टन वजनी गडर को बैठालने, हेवी कै्रेन की मदद ली गई. रात्रि में इतवारी-रीवा ट्रेन गुजरने के बाद विद्युत लाइन को डिस्कनेक्ट कर पटरी उखाड़ने का काम किया गया. इसके उपरांत उखाड़ी गई पटरी को हैवी क्रेन के माध्यम से हटाकर वहां पर लगभग 85 टन वजनी गडर को अंडरपास ब्रिज के लिए ट्रेक के नीचे रखा गया. इसके उपरांत गडर के ऊपर पुनः दूसरी पटरी बिछाकर उसे पुरानी पटरी से कनेक्ट किया गया. यह काम रेलवे के दर्जन भर अधिकारियों, कर्मचारियों, इंजीनियरों और विभागीय अधिकारियों कर्मचारियों की उपस्थिति में पूण्र किया गया. जिसके उपरांत विभिन्न अधिकारियों कर्मचारियों ने गडर लाइन के कार्य का बारीकी से निरीक्षण किया. इसके उपरांत इस ट्रैक से कई बार ट्रेनों को इधर-उधर गुजार कर इसका सफल परीक्षण किया गया. तब कही जाकर फाइनल ट्रायल के बाद इस अंडर पास ब्रिज गड़र लाइन से सोमवार की सुबह ट्रेनों का आवागमन शुरू किया गया.  बताया जा रहा है कि अंडरब्रिज लगभग 100 साल तक की गारंटी वाला बनाया जा रहा है. वर्तमान में यहां से गुजरने वाली ट्रेनों की अधिकतम स्पीड 30 किलोमीटर प्रति घंटे रखी गई है. बाद में इसकी स्पीड बढ़ाई जाएगी.  


Web Title : THE WAY FOR THE UNDERPASS BRIDGE WAS CLEARED, WITHIN FOUR HOURS THE CONTRACTOR COMPLETED THE WORK OF LAYING GIRDER AND TRACK LINE.