जिला अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट नहीं होने से सोनोग्राफी में हो रही दिक्कत

बालाघाट. स्वास्थ्य क्षेत्र में चिकित्सकों और विशेषज्ञों की कमी से स्वास्थ्य सेवा खुद ही बीमार है, शासकीय अस्पतालो में चिकित्सकों की भारी कमी का सीधा असर स्वास्थ्य सुविधा लेने पहुंचने वाले लोगो को उठाना पड़ रहा है. शासकीय अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि चिकित्सकांे की कमी से वरिष्ठ अधिकारियों और शासन स्तर को अवगत कराया दिया गया है. अब सरकार और वरिष्ठ अधिकारी ही चिकित्सालय में चिकित्सक और विशेषज्ञोें की कमी को दूर कर सकते है.

लंबे समय के बाद जिला चिकित्सालय में प्रारंभ हुई सोनोग्राफी सुविधा मंे इन दिनोें पुरूष मरीजों को सोेनोग्राफी करवाने के लिए परेशान होना पड़ रहा है, बताया जाता है कि अस्पताल में खाली पडे़ रेडियोलॉजिस्ट के नहीं होने से सोनोग्राफी का कार्य सोनोग्राफी का प्रशिक्षण लेकर आये प्रशिणार्थी द्वारा किया जा रहा है, जिसेे अस्पताल प्रबंधन भी स्वीकार करता है और उसका भी मानना है कि सोनोग्राफी को लेेकर समस्या बनी है लेकिन अस्पताल प्रबंधन चिकित्सक औैर विशेषज्ञ की कमी को बयां कर अपने हाथ खडे़ कर देता है.

बताया जाता है कि जहां निजी सोनोग्राफी सेंटर में जहां सोनोग्राफी कराने का हजारों रूपये लिया जाता है, वहीं शासकीय चिकित्सालय में यह बहुत कम राशि में हो जाता है, जिसके चलते शासकीय अस्पताल में भर्ती मरीजों और महिलायें, सोनोग्राफी के लिए जब सोनोग्राफी केन्द्र पहुंचती है तो उन्हेें परेशान होना पड़ता है और यह कोई आज का मामला नहीं है, रोजाना ही सोनोग्राफी को लेकर मरीजों का समस्या से दो-चार होना पड़ता है, महिलाओं की सोनोग्राफी को लेकर तो ज्यादा दिक्कतें नहीं है लेकिन पुरूष मरीजोें के लिए जिला चिकित्सालय में सोनोग्राफी की सुविधा, केवल और केवल सफेद हाथी बनकर रह गई है. जिसके कारण जिला चिकित्सालय में दूरदराज से आये भर्ती मरीजोें को आवश्यक होने पर जिला चिकित्सायल में सोनोग्राफी नहीं होने सेे उन्हें निजी सोनोग्राफी सेेंटर में जाकर आर्थिक भार उठाना पड़ रहा है, जो जिला चिकित्सालय प्रबंधन भी जानता है लेकिन उसके पास इसके कोई विकल्प नहीं होने से वह भी हाथ पर हाथ धरे बैठा है.

बताया जाता है कि सोनोग्राफी के लिए विशेषज्ञ रेडियोलॉजिस्ट का पद अरसो सेे रिक्त पड़ा है, जिसके कारण सोनोग्राफी का प्रशिक्षण लेकर आये व्यक्ति द्वारा सोनोग्राफी का काम किया जाता है, यदि वह व्यक्ति लंच पर है या फिर अस्पताल से बाहर है, तो सोनोेग्राफी के लिए मरीजों को दिन-दिन भर परेशान होना पड़ता है.  

जिसका कोई हल निकले, ऐसा नजर भी नहीं आता है.  

सोनोग्राफी की जांच होती है महत्वपूर्ण

बताया जाता है कि सोनोग्राफी से चिकित्सक को मरीज के रोेग के संबंध में कई जानकारी मिल जाती है, जिससे मरीज केे उपचार में चिकित्सक को मदद मिलती है. बीते कोरोना कॉल में कोरोना के प्रभाव को पता करने के लिए हर मरीजों की सोनोग्राफी कराई गई है, तब कहीं जाकर पता चल पाया था कि मरीज को कोरोना का असर कितना है. उसी तरह कुछ रोगो में सोनोग्राफी की जांच अति आवश्यक और महत्वपूर्ण होती है लेकिन जिले के सबसे बडे़ जिला चिकित्सालय में सोनोग्राफी की जांच, मरीजों के लिए किसी पहाड़ चढ़ने से कम नहीं रह गई है. जिला चिकित्सालय मेें सोनोग्राफी कराने के लिए मरीजों को लंबा इंतजार करना पड़ रहा है.


इनका कहना है

यह सही है कि सोनोग्राफी को लेकर समस्या है, जिला चिकित्सालय में रेडियोलॉजिस्ट का पद खाली है, जिसके लिए जिले स्तर पर वरिष्ठ अधिकारी और शासन को भेज दिया गया है. अब नियुक्ति करना उनके ही हाथ में है. एक प्रशिक्षित को सोनोेग्राफी के लिए नियुक्त किया गया है, लेकिन महिलाओं की अपेक्षा पुरूषों को सोनोग्राफी कराने में परेशानी हो रही है यह हम भी महसुस कर रहे है.

डॉ. दबड़घाव, सिविल सर्जन, जिला चिकित्सालय


Web Title : THERE IS A PROBLEM IN SONOGRAPHY DUE TO LACK OF RADIOLOGIST IN THE DISTRICT HOSPITAL