वीरांगना रानी अवंतीबाई भवन को लेकर दो गुट आमने-सामने, पूर्व अध्यक्ष ने वर्तमान अध्यक्ष दिनेश धुर्वे पर लगाया तानाशाही का आरोप, आरोप बेबुनियाद-दिनेश धुर्वे

बालाघाट. विगत एक साल से जब से आदिवासी विकास परिषद में पदाधिकारी बदलने की प्रक्रिया हुई है, तब से आदिवासी समाज में तकरार देखी जा रही है, वहीं आदिवासी समाज संगठनो में मत और मनभेद होने से फाड़ में आदिवासी संगठन नजर आ रहा है. एक बार फिर आदिवासी विकास परिषद के पूर्व अध्यक्ष भुवनसिंह कोर्राम और वर्तमान अध्यक्ष दिनेश धुर्वे के बीच आरोप-प्रत्यारोप की बयानी जंग देखने को मिली.  

इस बार वीरांगना रानी दुर्गावती भवन को लेकर पूर्व अध्यक्ष भुवनसिंह कोर्राम ने वर्तमान जिलाध्यक्ष दिनेश धुर्वे पर भवन का अतिक्रमण करने और तानाशाही रवैया अपनाये जाने का आरोप लगाया तो अध्यक्ष दिनेश धुर्वे के तरफ प्रति उत्तर में आरोप को बेबुनियाद बताया गया.  

बताया जाता है कि भुवनसिंह कोर्राम द्वारा 5 फरवरी को अखिल भारतीय आदिवासी धर्म परिषद की जिला कार्यकारिणी को लेकर बैठक का आयोजन वीरांगना रानी दुर्गावती भवन में किया गया था. जब जिले के आदिवासी समाज संगठनो के पदाधिकारी एवं सगाजन पहुंचे तो देखा कि वीरांगना रानी दुर्गावती भवन में ताला जड़ा था. जिसके बाद अखिल भारतीय आदिवासी धर्म परिषद की बैठक भवन के बाहर प्रांगण में की गई.

जिसको लेकर आदिवासी विकास परिषद के पूर्व जिलाध्यक्ष भुवनसिंह कोर्राम ने वर्तमान जिलाध्यक्ष दिनेश धुर्वे पर आरोप लगाया कि एक साल 2021 से जब से वे अध्यक्ष बने है, तब से समाज के अन्य संगठनों को बैठक के लिए भवन देने से इंकार किया जा रहा है. जबकि आज भी इस भवन का प्रभार मेरे पास है, अध्यक्ष बनने के बाद से आज तक वर्तमान अध्यक्ष ने कभी प्रभार के लिए नहीं कहा. जबकि भवन का संचालन आदिवासी विकास परिषद के पास होता है, चूंकि अब तक प्रभार नहीं लिये जाने से वह अभी भी मेरे पास है, लेकिन वर्तमान अध्यक्ष द्वारा यहां अतिरिक्त तालाबंदी कर भवन का अतिक्रमण कर लिया गया है. जबकि आज अखिल भारतीय आदिवासी धर्म परिषद की जिला कार्यकारिणी के गठन के साथ ही समाज की ज्वलंत मुद्दो को लेकर बैठक में चर्चा की जानी चाहिये थी, लेकिन बैठक के लिए भवन नहीं दिया गया. वहीं तानाशाही रवैया अपनाते हुए भवन का 15 सौ से बढ़ाकर चार्ज 21 सौ रूपये कर दिया गया. हमारा हमेशा से प्रयास रहा कि सामाजिक तरीके से इसका हल निकाल लिया जायें लेकिन वर्तमान अध्यक्ष पूरी तरह से तानाशाही रवैया अपनाकर संगठन का संचालन कर रहे है. अब प्रशासन से ही हमें उम्मीद है कि वह इस मामले में हस्तक्षेप कर समिति का गठन करें ताकि समिति ही इस भवन का संचालन करें.

जबकि दूसरी ओर वर्तमान अध्यक्ष दिनेश धुर्वे ने बताया कि मेरे अध्यक्षीय कार्यकाल में भवन के मैंटनेस, बिजली, साफ-सफाई को लेकर आदिवासी विकास परिषद की कार्यकारिणी की बैठक में सर्वसम्मति से तय किया गया कि महंगाई को देखते हुए भवन का चार्ज बढ़ाकर 21 सौ रूपये किये जायें. जहां तक भवन नहीं देने का सवाल है तो आदिवासी विकास परिषद के अधिन भवन को लेने की प्रक्रिया है कि विधिवत आवेदन दिया जायें, या भवन के सामने अंकित नंबरों पर व्यक्तिगत संपर्क कर भवन की विधिवत अनुमति ली जायें, यदि भवन उस दिनांक में खाली है तो हमें किसी भी भवन देने में कोई आपत्ति नहीं है लेकिन यदि भवन किराये पर दिया गया है तो उसे नहीं दिया जा सकता. बैठक को लेकर सामाजिक ग्रुप से हमें सूचना मिली थी, जबकि विधिवत भवन के लिए कोई आवेदन या सूचना हमें नहीं मिली थी. वहीं युवाओं द्वारा कराये जानी वाली मैराथन दौड़ के मद्देनजर भवन पूर्व से ही बुक था. अध्यक्ष धुर्वे ने कहा कि जब से मैं अध्यक्ष बना हूॅं तब से निरंतर पूर्व अध्यक्ष मुझ पर आरोप लगा रहे है, जबकि मैने कभी उनके अध्यक्ष रहते कोई बात नहीं कही और तो और वर्ष 2011 से वह आदिवासी विकास परिषद के युवा अध्यक्ष रहे है, जिले में आदिवासी विकास परिषद के पूर्व अध्यक्ष को हटाकर मुझे जिम्मेदारी देने का निर्णय वरिष्ठ स्तर से किया गया है, बावजूद इसके मुझ पर आरोप लगाये जा रहे है, जो उचित और न्यायोचित नहीं है.


Web Title : TWO FACTIONS FACE TO FACE OVER VEERANGANA RANI AVANTIBAI BHAWAN, FORMER PRESIDENT ACCUSES CURRENT PRESIDENT DINESH DHURVE OF DICTATORSHIP, CHARGES BASELESS DINESH DHURVE