शक्ति आराधना के प्रथम दिन भुख हड़ताल पर रही महिला शिक्षक, हम आतंकवादी या विद्रोही नहीं, सीधे-साधे शिक्षक है-पारधी

बालाघाट. सरकार के शिक्षकों की समस्या को लेकर एक माह में निराकरण के आश्वासन पर भी जब प्रदेश सरकार, अध्यापकों की मांगो को लेकर नहीं चेती, जिसके परिणामस्वरूप आज पूरे प्रदेश सहित जिले में अध्यापक हड़ताल पर है. लगभग 14 दिनों से हड़ताल अब तीव्र हो गई है. जिसमें अध्यापकों ने क्रमिक भुख हड़ताल शुरू कर दी है, वही आजाद अध्यापक संघ के प्रांताध्यक्ष आमरण अनशन आंदोलन पर बैठे है. शिक्षकों का यह आक्रोश गत दिवस हड़ताली शिक्षकों के खिलाफ की गई निलंबन कार्यवाही से बढ़ा है अन्यथा अब तक शिक्षक शांतिपूर्ण ही आंदोलन कर रहे थे. कहीं न कहीं जिले में अध्यापकों की संख्या अनुपात में लगभग 35 से 45 प्रतिशत अध्यापक हड़ताल पर है. जिससे कहीं न कहीं स्कूलों की पढ़ाई पर इसका असर पड़ा है. वहीं जिला मुख्यालय में बालाघाट ब्लॉक में अध्यापकों की हड़ताल के बाद 25 सितंबर शक्ति की आराधना नवरात्र के पहले दिन 9 महिलाओं ने भुख हड़ताल पर रही.

उच्च. माध्यमिक शिक्षक गायत्री पटले ने बताया कि आज से शक्ति की आराधना का पर्व, नवरात्र प्रारंभ हो गया है और आज से ही अध्यापकों ने अपनी मांगो को लेकर क्रमिक भुख हड़ताल शुरू कर दी है. जिसमें पहले दिन 9 महिला साथी, क्रमिक भुख हड़ताल पर बैठी. अध्यापकों का यह आक्रोश सरकार के शांतिपूर्ण आंदोलन पर शासन की दमनकारी नीति के खिलाफ है. जिसका परिणाम सरकार को भोगना होगा.  

शिक्षक ओमप्रकाश पारधी ने कहा कि विगत 13 सितंबर से आजाद अध्यापक संघ के साथ जिले के हजारों अध्यापक पुरानी पेंशन बहाली, क्रमोन्नति, पदोन्नति, गुरूजी को वरिष्ठता और अनुकंपा नियुक्ति सहित अन्य मांगो को लेकर आंदोलन कर रहे है. जिसको लेकर सरकार को लगातार आजाद अध्यापक संघ, अवकाश के दिनों में स्मरण ज्ञापन देकर ध्यानाकर्षण करवा रहा है, बावजूद इसके सरकार गंभीरता नहीं दिखा रही है, जिससे साफ है कि वह अध्यापकों की भलाई नहीं चाहती है. प्रांतीय नेतृत्व पर अपनी मांगो को लेकर अध्यापक साथी हड़ताल कर रहे है, उससे सरकार तिलमिला गई है, जिससे आंदोलन को दबाना चाहती है और निलंबित करने का प्रयास कर रही है. सरकार कम से कम इस मामले में आजाद अध्यापक संघ प्रतिनिधिमंडल से चर्चा कर उन्हें आश्वस्त भी कर देती तो भविष्य बनाने वाले यह अध्यापक अपने भविष्य के लिए आज यहां आंदोलन में नहीं होते लेकिन सरकार ने हमें आतंकवादी और विद्रोही मान रही है जबकि हम सीधे-साधे शिक्षक है, अब तक सरकार के किसी भी प्रतिनिधि ने शांतिपूर्ण तरीके से चर्चा तक नहीं की और कार्यवाही शुरू कर दी, जिससे साफ है कि सरकार, अध्यापकों की एकता और उसके आंदोलन से बौखलाहट में है और वह दमनकारी नीति अपना रही है लेकिन अध्यापक साथी एकसाथ अपने हकों और अधिकारों की मांग को लेकर आवाज बुलंद करते रहेंगे.

प्रथम दिन क्रमिक भुख हड़ताल पर बैठी अध्यापिका श्रीमती गायत्री पटले, 

नंदिनी तुरकर, सीमा धुवारे, किरण चिले, शकुन नगपुरे, टिकेश्वरी बिसेन, सरिता जायसवाल, पूर्णा वर्मा और दीपा गोस्वामी ने क्रमिक भुख हड़ताल की शुरूआत की और शक्ति आराधना के प्रथम दिन सरकार की दमनकारी नीतियों के खिलाफ भुखी रही.


Web Title : WOMEN TEACHERS WHO WENT ON HUNGER STRIKE ON FIRST DAY OF SHAKTI ARADHANA, WE ARE NOT TERRORISTS OR REBELS, WE ARE SIMPLE TEACHERS PARDHI