पत्थर पर लहलहा रही है फसल

धनबाद: मिट्टी में तो फसल की पैदावार होती है, लेकिन पथरीला भूमि में फसल उगाने की कोई बात कोई बात करे तो अचरज ही होगा.

एकल अभियान के सहयोग से गिरिडीह जिले के परमाडीह गांव के लोगों ने अपने अथक परिश्रम से पथरीला भूमि को उपजाउ भूमि में परिणत कर दिया है.

यह गांव पत्थर पर बसा है. खेत के नीचे पत्थर है और उपर मिट्टी.

एकल अभियान से जुड़कर इस गांव के किसानों ने कृषि का प्रशिक्षण लेकर खेती करने में जुट गए. इस गांव के किसान भरपूर सब्जी की खेती करते हैं.

किसानों के आय का जरिया सब्जी उत्पादन है.

वे लोग सब्जी उगाकर गिरिडीह और आसपास के बाजार में बिक्री कर देते हैं. गांव के किसान ननू प्रसाद, नरेश प्रसाद वर्मा व दिलीप सिंह ने बताया कि एकल अभियान से हमलोगों को काफी लाभ पहुंच रहा है.

खेत में लहलहाता फसल देखकर हमलोग खुश हैं.

एकल अभियान के कारण हमारे गांव में कृषि सहित अन्य क्षेत्रों में क्रांति आया है.

 

जैविक खाद का प्रयोग

इस गांव के किसान के किसान पूरी तरह जैविक खाद का प्रयोग करते हैं.

जैविक खाद बनाने का प्रशिक्षण एकल अभियान में दिया गया है.

जैविक खाद रसायनिक खाद से बेहतर है.

इसके प्रयोग से कृषि पैदावार अधिक होती है.

जमीन को नुकसान नहीं पहुंचता है.

कम लागत में घर में ही मात्र 48 दिनों में घर में ही तैयार हो जाता है. इसे बनाना भी आसान है.

एक मच्छरदानी नुमा नेट में गोबर और केंचुए से इसे तैयार किया जाता है.

एकल अभियान के सदस्य उपलब्ध करवाते हैं.

अच्छी पैदावार देखकर किसानों ने गेहूं, धान, दलहन की खेती भी शुरू की है.

 

सरकारी सुविधा नहीं के बराबर

86 वर्षीय बगरी महतो ने बताया कि गांव में सरकारी सुविधा नहीं के बराबर है.

अबतक नदी पर पुल नहीं बन सका. पुल बनाने की मांग पुरानी है लेकिन किसी सरकार ने ध्यान नहीं दिए.

गांव से बाहर गांव में एक प्राइमरी स्कूल है, हाई स्कूल दूसरे गांव में है.

बरसात के दिनों में नदी में बाढ़ आ जाने के कारण बच्चे महीनों स्कूल नहीं जा पाते. रोजमर्रा का सामान लाने के लिए गांव के लोग घर से निकल नहीं पाते.

गांव में एक भी अस्पताल नहीं है. गंभीर रूप से बीमार पड़ने पर इलाज के अभाव में लोग दम तोड़ देते हैं.

किसानों को बिजली नहीं मिलती. बिजली के खंभे यों ही खड़े कर दिए गए हैं.

कभी-कभार बिजली आती भी है तो लो वोल्टेज रहता है. लो वोल्टेज के कारण खेत का पटवन नहीं हो पाता.

किसानों ने बताया कि सही तरीके से बिजली मिलने पर कृषि पैदावार में और भी बढ़ोतरी होगी.

गांव का ही शिवलाल मोहली बांस का टोकड़ी बनाकर जीवनयापन करता है. अभी इस गांव में एकल विद्यालय नहीं चल रहा है.

सिर्फ मंगलवार को साप्ताहिक पाठशाला आयोजित किए जाते हैं.

  

खंडोली में निर्माणाधीन प्रशिक्षण केन्द्र  

गिरिडीह जिले के खण्डोली में 10 एकड़ भूमि पर एकल अभियान के ग्रामोत्थान संसाधन केन्द्र का निर्माण कार्य चल रहा है.

इस निर्माणाधीन केन्द्र के बगल में जलाशय है. इस केन्द्र में इस इलाके के वनवासी गांव के किसानों को प्रशिक्षण दिया जाएगा.

वनवासियों को स्व निर्भर होने का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा.

महिलाओं को सिलाई, कंप्यूटर व अन्य वोकेशनल ट्रेनिंग दिए जाएंगे.

इस केन्द्र के पास अपना गौशाला है. धीरेकृधीरे इस केन्द्र को और भी व्यापक स्वरुप प्रदान किया जाएगा.

केन्द्र के तरफ आसपास गांव के वनवासी आशा भरी निगाह से देख रहे हैं.

यह केन्द्र उस इलाके के पिछड़े गांव को विकसित गांव की श्रेणी में लाकर खड़ा करेगा.

इस केन्द्र से संथाल परगना तक के वनवासी गांव लाभान्वित होंगे.

स्थानीय स्तर पर एक समिति का निर्माण किया गया है जिसके सदस्यों की संख्या करीब 100 है.

िफलहाल 8 आदिवासी बच्चे केन्द्र के स्कूल श्रमानन्द विद्या निकेतन में रहकर पढ़ाई लिखाई कर रहे हैं, संख्या को बढ़ाकर 15 किया जाएगा.

एकल अभियान के तीन सेवाव्रती कार्यकर्ता केन्द्र में अभी स्थायी रूप से निवास कर रहे हैं.

केन्द्र के व्यवस्था प्रमुख मुकुन्द कुमार सिंह, अध्यक्ष ब्योमेश नारायण देव व सचिव ब्रजेश नारायण सिन्हा हैं.

इस इलाके के काया कल्प करने का जिम्मा यह केन्द्र उठाएगा. शिक्षा, स्वास्थ्य, स्व रोजगार प्रशिक्षण, कृषि प्रशिक्षण, जैविक खेती, संस्कार, धर्म शिक्षण आदि गतिविधियां इस केन्द्र से संचालित किए जाएंगे.

 

कोनाईडीह में है एकल विद्यालय

गिरिडीह जिले के ही कोनाईडीह गांव में एकल विद्यालय चलाया जा रहा है.

इसमें क्लास पांच तक पढ़ाई होती है. करीब 30 वनवासी बच्चे वहां पढ़ाई करते हैं.

एकल विद्यालय एक ही शिक्षक व शिक्षिका से चलाये जाते हैं.

इस स्कूल की शिक्षिका का नाम चांदनी मुर्मू है. वह एकल अभियान के प्रति पूरी तरह समर्पित है.

अपने घर से सटे पिछले आंगन में स्कूल लगाती है.

बच्चे भूमि पर ही बैठते हैं. कक्षा प्रातरू काल लगायी जाती है.

बरसात के दिनों में स्कूल शिक्षिका अपने घर में कक्षा लगाती है. शिक्षा भाषा, अंक, समान्य ज्ञान, मातृभाषा, शारीरिक, व संस्कार की शिक्षा दी जाती है.

गुरुकुल पद्धति से सरस्वती वंदना के बाद कक्षा शुरू हो जाती है.

स्कूल शिक्षिका ने कहा कि एकल विद्यालय में सरकारी विद्यालय से भिन्न शिक्षा दी जाती है.

सरकारी स्कूलों में संस्कार शिक्षा नहीं दी जाती जबकि एकल विद्यालय में संस्कार शिक्षा का अहम स्थान है.

एक गुणवान नागरिक होने के लिए अन्य विषयों का ज्ञान होने के साथ ही उत्तम संस्कार भी होना चाहिए.

एकल विद्यालय में इसका ख्याल रखा गया है. बचपन से ही बच्चों को संस्कार की शिक्षा दी जाती है ताकि आगे चलकर वह देश का होनहार नागरिक बन सके.

 

धर्मांतरण का प्रभाव कम हुआ

लोगों में सांस्कृतिक चेतना आने के बाद धर्मांतरण का प्रभाव कम हुआ है.

एकल विद्यालय का इसमें महत्वपूर्ण अवदान रहा है.

शिक्षिका चांदनी मुर्मू ने कहा कि ईसाई मिशनरी इस गांव के लोगों का भी धर्मांतरण कराना चाहा लेकिन लोगों की जागरूकता व निज संस्कृति से प्रेम के कारण वह असफल होकर यहां से चले गए.

एकल विद्यालय में बच्चों को मातृ भाषा, निज गांव, निज संस्कृति, निज मिट्टी व स्वदेश की शिक्षा दी जाती है.

क्षेत्र में शिक्षा व संस्कृति के प्रति जागरूकता के कारण प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन यहां सफल नहीं हो पाया.

यहां से निकलनेवाले वनवासी बच्चे शत प्रतिशत भारतीय बनकर निकलते हैं.

वह दिन दूर नहीं एकल विद्यालय में पढ़े वनवासी बच्चे सरकारी व गैर सरकारी सेवा में उंचा पद प्राप्त करेंगे.

Web Title : ROCKY BARREN LAND TURNS GREEN FIELD