दही-चूड़ा चिन्नी, बाबाजी दुअन्नी

धनबाद : व्हाट्स एप्प के जमाने में गुजरे जमाने का यह नॉनसेंस जुमला नए जमाने के लोग नहीं जानते.

लेकिन, लाई और तिलकूट का क्रेज अब भी है. तभी तो तिल संक्रांति आते-आते धनबाद तिलकूट उद्योग और इसके धंधे में लग जाता है.

तिलकूट की यहां इस मकर संक्रांति में भी जमकर बिक्री हुई.

धनबाद की छोटी-बड़ी सड़कों से लेकर किराना दुकानों से लेकर सड़क किनारे तिलकूट का जगह-जगह बाजार सज गया.

140 से लेकर 200 रुपए तक किलो और उससे आगे की रेंज के भी तिलकूट बाजार में आए.

दूध की कमी या ब्लैकमार्केटिंग की कहीं से खबर नहीं है. मकर संक्रांति स्नान के लिए अभी से नदी के तट पर भीड़ उमड़ने लगी है.

यहां खुदिया, दामोदर, बराकर, कतरी और प्राकृतिक नालों पर स्नान के लिए हर साल भीड़ बढ़ती ही जा रही है.

यहां बड़े पैमाने पर खिचड़ी भोज भी प्रचलित हो चला है.

कह सकते हैं कि एंडराॅयड और व्हाॅट शाॅप के इस जमाने में भी दुअन्नी परंपरा एक उद्योग की तरह दौड़ रही है.

Web Title : ON THE EVE OF MAKAR SAKRANTI AT DHANBAD