रेलवे में निजीकरण व विदेशी निवेश का विरोध शुरू

धनबाद : केन्द्र सरकार की रेलवे में निजीकरण व विदेशी निवेश की नीति का विरोध शुरू हो गया है.

आॅल इंडिया रेलवे मेन्स फेडरेशन एवं इससे सम्बद्ध जोनल यूनियन पूरे भारतीय रेल में 12-17 जनवरी तक विरोध दिवस मनाने का निर्णय लिया है.

पत्रकार वार्ता में इस्ट सेन्ट्रल रेलवे कर्मचारी यूनियन के कार्यकारी अध्यक्ष डीके पांडेय ने कहा कि यूनियन द्वारा रखी गई विभिन्न मांगों पर केन्द्र सरकार की टालमटोल नीति व श्रम नियमों की उपेक्षा के विरुद्ध पूरे देश के रेलकर्मी आहत हैं.

रेलवे में विदेशी निवेश व निजीकरण की प्रक्रिया लागू करने की सरकार के फैसले के खिलाफ एआइआरएफ एवं हिन्द मजदूर सभा के लगभग 30 लाख कर्मी हड़ताल पर जाने की तैयारी कर रहे हैं.

12-17 जनवरी तक यूनियन के सदस्य सभी डिपु व स्टेशनों पर जाकर निजीकरण, विदेशी निवेश व अन्य मांगों के बारे में रेलकर्मियों को जागृत करेंगे व विरोध दिवस मनाएंगे.

मांगों में शामिल हैं-

नयी पेंशन नीति समाप्त कर पुराने पेंशन नियम को लागू करना.

7 वें वेतन आयोग की अनुशंसाओं को 1 जनवरी 14 से लागू करना.

महंगाई भत्ते को वेतन में समाहित करना.

प्रत्येक रेल कर्मी के आश्रित को रेलवे में योग्यतानुसार नौकरी देना.

रनिंग कर्मियों के कार्य को घंटों में सीमित करना.

ट्रेकमैन के दूसरे विभाग में जाने की प्रक्रिया पर लगी रोक हटाना.

इसके अलावा और भी यूनियन की मांगें हैं.

रेलकर्मियों ने की बैठक

यूनियन की धनबाद शाखा 2 में हुई रेलकर्मियों की बैठक में सहायक महामंत्री मो- जियाउद्दीन व केन्द्रीय संगठन मंत्री एसके सिंह ने एकजुट होकर हड़ताल की तैयारी में लग जाने का आह्वान किया.

बैठक में आरबी सिंह, टीके साहू, तपन विश्वास, राजू चौबे, एनके खवास, पीके सिंह, बीके सिंह, सोमेन दत्ता, ओम प्रकाश, आरएन चौधरी, संजय सिंह, ओपी शर्मा, पीके मिश्रा, पीके सिंह, शंकर रवानी, मो. जाहिद, ए पूरन, कालाचंद आदि मौजूद थे.

Web Title : OPPOSED PRIVATIZATION AND FOREIGN INVESTMENT IN RAILWAYS