भक्त और भगवान के मिलन में भक्ति की प्रधानता – नीलम गायत्री

गोमो : महिला समिति कॉलोनी में श्री कृष्ण जन्मोत्सव के मौके पर मानस सत्संग समिति के तत्वाधान में आयोजित प्रवचन के दौरान चित्रकूट से पधारी नीलम गायत्री ने शुक्रवार की रात कहा की भक्त और भगवान के मिलन में भक्ति की प्रधानता है. यदि परमात्मा की कृपा प्राप्त करनी हो तो भक्ति से सम्बंध जोड़ना होगा.

उन्होंने कहा की महाराज जनक ने सीता जी को बेटी के रूप में स्वीकार किया और जब भक्ति(सीता)जनक जी को प्राप्त हो गई तो जनकपुर में राम जी को बुलाना नहीं पड़ा बिना निमंत्रण के भगवान मिथिला में दौड़े चले आए.

बड़े बड़े ज्ञानी जब परमात्मा की प्राप्ति नहीं कर पातें है लेकिन जनकपुर वालों ने ऐसा कौन सा गुण अर्जित किया की श्री राम उनके मेहमान बन गये.

इसका मात्र एक कारण यही है सीता जी भक्ति है और राम जी अखंड ज्ञान है अर्थात जब जीवन में भक्ति आ जाती है तो ज्ञान वैराग्य की कौन कहे इन दोनों को जन्म देने वाला इनके पिता महाराज दशरथ तक को समधी बनना पड़ा.

जब जीवन  भगवान की भक्ति से नाता जोड़ लेता है तो परमात्मा कहीं भी हो एक दिन उसे भक्त के जीवन में प्रकट हो कर कृपा की वर्षा करनी पड़ती है.

वहीं काशी के कथावाचक अच्युतानंद पाठक ने कहा की परमात्मा कौशल्या के लिए प्रकट हुए है. परमात्मा सबका होता है और वह सब जगह होता है.

श्रीराम कौशल्या के लिए प्रकट होते है. परमात्मा का अवतार होने में विलंब नहीं होता है. आज कल के समय पुत्र अपने माता पिता का अनादर करता है लेकिन त्रेता युग में श्री राम ने अपनी माता की आज्ञा से चौदह वर्ष के वनवास को चला जाता है. उन्होंने कहा की बेटी दिये के समान होती है. संतो को कभी ठुकराना नहीं चाहिए.

मौके पर ब्यास त्रिपाठी, एमएल चौबे, बबन राम, हरिनारायण झा, पुरुषोत्तम मिश्रा, सतेंद्र पांडेय, एमके शुक्ला आदि उपस्थित थे.

Web Title : PRIMALITY OF DEVOTION IN THE UNION OF THE DEVOTEE AND LORD NEELAM GAYATRI