पुरानी नोटों ने दी रेलवे को राहत

धनबाद : आर्थिक तंगी से गुजर रही रेलवे को पुरानी नोटों ने बड़ी राहत दी है. रेलवे के टिकट घर और आरक्षण केंद्रों में 500 और 1000 के नोट स्वीकार किये जाने से महकमे का खाली खजाना काफी हद तक भर गया है. झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश तक फैले धनबाद रेल मंडल को यात्रियों से होनेवाली आमदनी में करोड़ों का राजस्व अर्जित हुआ है.

10 हजार करोड़ आमदनी वाला धनबाद रेल मंडल दूसरी छमाही तक पिछले वर्ष की तुलना में राजस्व अर्जित करने में पिछड़ गया है. पिछली छमाही में जहां 5182 करोड़ की आमदनी हुई थी वहीं इस वर्ष 4765 करोड़ ही रहा. हालांकि यात्री आय में गिरावट नहीं आयी थी. बावजूद आर्थिक सेहत संवारने में पुराने नोट काफी हद तक मददगार साबित हुये.

नौ नवंबर से पहले बड़ी रकम से बुकिंग करा चुके उपभोक्ताओं को रेलवे ने राहत दी है. उन्हें टीडीआर के दायरे से बाहर रखा गया है. टिकट रद कराने पर कैश की उपलब्धता के आधार पर काउंटर से राशि उपलब्ध करायी जाएगी. रेलवे ने पुराने नोट बंद करने के साथ ही यह आदेश जारी किया था कि नौ से 11 नवंबर तक पुराने नोट स्वीकार किए जाएंगे.

कुछ ग्राहकों ने चालाकी से 11 नवंबर के बाद की तिथियों में फर्स्ट और सेकेंड एसी की टिकटों की बुकिंग करा ली. बाद में टिकट रद कराकर नगदी वसूलने की योजना थी.

11 नवंबर के बाद रेलवे ने पहले 14 नवंबर और फिर 24 नवंबर तक पुराने नोट स्वीकार करने का आदेश जारी कर दिया. इसके साथ ही यह भी निर्धारित कर दिया गया कि पांच हजार या उससे अधिक की बुकिंग कराने और टिकट रद कराने पर रकम वापसी टिकट डिपोजिट फॉर्म (टीडीआर) से होगी. रेलवे द्वारा उठाए गए इस कदम से के बाद अब टिकट में बड़ी रकम खपा चुके लोग आरक्षण केंद्र का चक्कर लगा रहे हैं.

Web Title : RAILWAY : RELIEF FROM OLD NOTES

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