भक्तो के ह्रदय में निवास करते है भगवान राम

निरसा : भगवान राम न तो बैकुंठ में निवास करते है ओर न ही योगियों के ह्रदय में. वे तो केवल निश्छल मन व निर्मल ह्रदय वाले भक्तो के ह्रदय में निवास करते है.

ये बातें श्रम कल्याण केंद्र निरसा में चल रहा रामकथा अमृतवर्षा के तीसरे दिन कथाबाचक डॉ० रामेश्वर प्रपन्नाचार्य शास्त्री जी ने रामजन्म कथा पर प्रकाश डालते हुए कही.

भगवान राम का सम्पूर्ण जीवन व उनका चरित्र त्याग समर्पण व समाज में फैली कुरीतियों को जड़ से समाप्त करने का संदेश देती है.

भगवान का ध्यान करने का तीन विधिया है - जप,तप व समर्पण.

जो भक्त प्रभु के प्रति समर्पित होते है भगवान उन्हें सांसारिक बन्धनों से मुक्त कर शरणागति प्रदान करते है.

उन्होंने अपने जीवन से समाज सेवा व छुआछूत को दूर कर लोगो को संगठित करने का संदेश दिया.

उन्होंने सबरी के जूठे बेर खाए.निषाद राज का आतिर्थ स्वीकार किया.

समाज के निम्न तबके बानर, भालुओ को संगठित कर उनके माध्यम से तीनो लोक प्रतापी रावण से युद्ध जीता.

उनका जीवन सदेव समाज में प्रेरणा व समर्पण का भावना का संदेश देता है.

रामजन्मोत्सव के अवसर पर मंगलपाठ, मंगलगान एवं भजन कीर्तन किया गया.

उक्त अवसर पर विभिन्न झाकिया प्रस्तुत की गई.

कार्यक्रम को सफल बनाने में नर्मेदेश्वर सिंह, माधव प्रसाद खरकिया, अखिल गोयेल, सौरभ तायल, शंकर शर्मा, सुभम अग्रवाल, राहुल तायल, विनय तायल, गोपाल अग्रवाल, गुड्डू साव, मनोज साव सहित अन्य की भूमिका रही.

Web Title : RAM KATHA AT NIRSHA