राम कथा श्रवन से भक्त भवसागर से हो जाते हैं पार

धनबाद : श्री राम कथा अमृत वर्षा दूसरे दिन भी कथावाचक डॉ० रामेश्वर प्रपन्ना चार्य शास्त्री जी ने की. कहा, राम कथा श्रवन से भक्त भवसागर से पार हो जाते हैं.

उन्होंने कहा जिस प्रकार एक सफल पनिहारिन अपने सर पर पानी से भरे मंटके को रखकर अपने सहेलियों से बातचीत करती रहती है किन्तु उसका ध्यान अपने मटके पर ही रहता है.

उसी प्रकार संसार में सभी व्यक्ति अपना कार्य करते हुए अपने मन को प्रभु के चरणों में समर्पित रखें. उनका जीवन सफल हो जायेगा.

उन्होंने कहाकि यदि गोता लगाना है तो राम राश में लगाओ. मस्तक झुकाना है तो श्री राम चरणों में झुकाओ.

ध्यान करना है तो भगवान श्री राम व माता सीता में लगाओ. ऐसा करने पर मानव भवसागर से पार हो सकता है.

उन्होंने कहा कि कुछ कर्म ऐसे होते है जिन्हें न चाहते हुए भी मानव को कभी कभार करने को बाध्य होना पड़ता है.

लेकिन मानव सांसारिक मायाजाल में रहते हुए भी अपने साधना से भगवान को प्राप्त कर सकता है.

मां-पार्वती ने तमाम सांसारिक झंझावातों व कठिनाइयों को सहते हुए भी अपने साधना से भगवान शिव को प्राप्त किया.

मानव को राजा जनक की तरह बनाना चाहिए. जो राजा होते हुए भी संत थे.

कार्यक्रम को सफल बनाने में श्री राम सेवा समिति के नर्मेदेश्वर सिंह, माधव प्रसाद गोयल, पुरषोत्तम तायल, मनोज साव, कामेश्वर ओझा, प्रदीप तायल, कृष्णा भालोटिया, श्याम बिहारी खरकिया, बिक्की गोयेल, रबिन्द्र पोद्दार आदि की भूमिका रही.

Web Title : RAM KATHA AT NIRSA