फिर एक मां की मौत
By Anonymous
in City, News-Politics on Saturday, September 06, 2014
बालाघाट : जिला चिकित्सालय में प्रसूताओं के मौत का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है. चिकित्सा और चिकित्सकों की लापरवाही के कारण जिला चिकित्सालय में भर्ती प्रसूताओं की मौत की खबरें अब आम हो गई है. बावजूद ना तो प्रशासन की गंभीरता दिखाई दे रही है और ना ही जनप्रतिनिधियों की. चिकित्सालय में शनिवार को फिर एक मां की मौत हो गई. अभी एक घंटे पहले ही छाया मां बनी थी. उसने नार्मल डिलेवरी से एक बच्चे को जन्म दिया था. अभी वह बच्चे को अच्छे से देख भी नहीं पाई थी कि उसकी मौत हो गई.
घर की महिला की मौत से सदमे में परिवार यह समझ नहीं पा रहा था कि आखिर मौत कैसे हुई. उसका आरोप था कि चिकित्सालय की चिकित्सा व्यवस्था और चिकित्सक की लापरवाही के कारण महिला की मौत हो गई. प्रथमदृष्टया यह बात सुनने और देखने वालों को भी जायज नजर आ रही थी. यदि परिजनों की मानें तो बीस मिनट पहले छाया को रक्त लगने की जानकारी चिकित्सक द्वारा दी गई. इससे पूर्व की वह उसका इंतजाम करते छाया की मौत हो गई. परिजनों ने चिकित्सकों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा मचाया लेकिन हर समय की तरह हंगामे के बाद जिला चिकित्सालय प्रबंधन उसे भुल गया.
प्रसूता वार्ड की प्रभारी डॉ. राजरानी खरे की मानें तो संभवतः किसी बीमारी के कारण महिला छाया की मौत हुई है. उनका कहना है कि चिकित्स और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने ईमानदारी से अपना दायित्व पूरा किया. जबकि अधिकांश मरीजों की मानें तो चिकित्सालय प्रबंधन द्वारा उपचार देने में कोताही बरती जाती है और यदि सूत्रों की मानें तो चिकित्सकों के लिए घंटो मरीजों को इंतजार करना पड़ता है. शनिवार को प्रसूता छाया पति मनोज सेन की प्रसव के एक घंटे बाद मौत हो गई.
परिजनों ने इसके लिए चिकित्सालय प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाया है तो चिकित्सालय प्रबंधन का कहना है कि आरोप निराधार है तो फिर क्या और किसी प्रसूता के मौत का इंतजार किया जा रहा है? प्रशासन को चाहिए कि जिला चिकित्सालय से आती लगातार प्रसूताओं की मौत के मामले को गंभीरता से लेकर उसे रोकने के लिए ठोस एक्शन प्लान बनायें और उसकी जवाबदारी से निगरानी करें ताकि फिर किसी बच्चे को मां के आंचल से जुदा न होना पड़े.