संविदा पर्यवेक्षकों ने की नियमितिकरण की मांग
By Anonymous
in City, News-Politics on Monday, December 22, 2014, 04:01 PM
बालाघाट: व्यापमं द्वारा महिला एवं बाल विकास विभाग में 2007 में संविदा पर्यवेक्षक चयन में भर्ती पर्यवेक्षकों ने अपनी मांगो को लेकर राज्य मानवाधिकार आयोग भोपाल के नाम मानवाधिकार आयोग संयोजिका फिरोजा खान को रविवार को ज्ञापन सौंपा. संविदा पर्यवेक्षकों ने बताया कि 28 अक्टूबर 2007 को व्यापमं द्वारा पर्यवेक्षक संविदा चयन परीक्षा आयोजित की गई थी. इसमें परीक्षा पास करने के पश्चात वरियता क्रम के आधार हमारा पर्यवेक्षक के लिए उनका चयन किया गया था.
परीक्षा में सीधी भर्ती के लिए स्नातक और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के लिए पुरानी मेट्रिक व बारहवीं को शैक्षिक योग्यता का मापदण्ड बताया गया था. जिसमें आंगनबाड़ी कार्यकर्ता से दो वर्ष का अनुभव मांगा गया था. बावजूद इसके व्यापमं द्वारा नियमित पर्यवेक्षकों के पदों के लिए 14 दिसबंर को परीक्षा ली गई है. इस परीक्षा में संविदा पर्यवेक्षक के लिए परीक्षा पास करके नियमित होने प्रावधान रखा गया है. जबकि हम सात वर्षो से लगातार वर्तमान में विभाग में संविदा पर्यवेक्षक के पद पर शासन की वर्तमान योजनाओं का कार्य करते आ रहे है. शासन द्वारा सभी संविदा पर्यवेक्षकों को नियमित किया जाना चाहिए.
विभाग में 3215 पर्यवेक्षकों के नियमित पद नियमित वेतनमान 5200-20200़2400 ग्रेड पे स्वीकृत किए गए है और वर्तमान में 1019 संविदा पर्यवेक्षक कार्यरत है. ऐसी स्थिति में संविदा पर्यवेक्षकों को नियमित किया जाना न्यायोचित है. संविदा पर्यक्षेकों ने कहा कि नियमित पदों पर कार्य कर रहे पर्यवेक्षकों के समान वे भी सात वर्षो से कार्य कर रहे है और समान कार्य के लिए समान वेतन हमारा अधिकार है. जिसको लेकर राज्य मानवाधिकार से अधिकार की गुहार लगाते हुए मानव अधिकार आयोग संयोजिको को संविदा पर्यक्षेकों ने ज्ञापन सौंपा.
जिसमें अर्चना मेश्राम, सूर्यधारा रामटेके, पुस्तकला मेश्राम, लक्ष्मी चौधरी, निमा बोरकर, भारती चौहान, सुनिता उके, रजनी आम्बिलकर, कमला वल्के, यशोदा उइके, जयागौरी मड़ावी सहित अन्य संविदा पर्यवेक्षक शामिल थी. संविदा पर्यवेक्षकों द्वारा लगाये गये अधिकार हनन के ज्ञापन को लेते हुए मानवाधिकार आयोग संयोजिका श्रीमती फिरोजा खान ने कहा कि पर्यवेक्षकों की मांगों को राज्य मानवाधिकार आयोग को भेजा जाएगा. इनकी मांगें जायज है. इतने वर्षो से शासन की योजनाओं का बखूबी क्रियान्वयन करने वाली संविदा पर्यवेक्षकों का हक बनता है कि उन्हें नियमित किया जायें.