चुनावी नतीजों से पहले एग्जिट पोल ने मचाया राजनीतिक भूचाल, सुशासन बाबू को होगा मोदी सुनामी का लाभ

लोकसभा चुनाव नतीजों का काउंटडाउन शुरू हो चुका है. देश के सबसे बड़े चुनाव के नतीजे आने में महज दो दिन बाकी हैं. लेकिन नतीजों से पहले एग्जिट पोल ने राजनीतिक भूचाल ला दिया है और नरेंद्र मोदी को एक बार फिर सत्ता के शिखर तक पहुंचाने का अनुमान जताया है. इतना ही नहीं, मोदी सुनामी में भारतीय जनता पार्टी के सहयोगियों के भी अच्छे दिन आते हुए नजर आ रहे हैं.

ऐसे ही एक सहयोगी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हैं. नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) बिहार की राजनीति करती है और 2014 में उसने अपने दम पर लोकसभा चुनाव लड़ा था. इस चुनाव में जेडीयू का प्रदर्शन बहुत निराशाजनक रहा था. सूबे के मुख्यमंत्री होने के बावजूद नीतीश कुमार अपनी पार्टी को महज 16% वोट शेयर के साथ 2 सीटें जिताने में कामयाब रहे थे. एक दशक में जेडीयू का यह सबसे खराब रिजल्ट था.

इससे पहले 2009 में जेडीयू बिहार की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी और उसने कुल 40 में से अकेले 20 लोकसभा सीटों (24% वोट) पर जीत दर्ज की थी. जबकि बीजेपी 12, आरजेडी 4 और कांग्रेस 2 सीटें ही जीत पाई थी. यानी इस चुनाव में केंद्र में कांग्रेस की सरकार होने के बावजूद बिहार में सुशासन बाबू नीतीश का जादू चला.

हालांकि, नीतीश कुमार की ये हवा जब तब वह बीजेपी के साथ एनडीए में सवार थे. दोनों पार्टियों ने बिहार में गठबंधन में चुनाव लड़ा और मिलकर एकतरफा जीत हासिल की.

नीतीश कुमार के राजनीतिक इतिहास पर नजर डालें तो बीजेपी के सहयोग से उन्हें अहम जिम्मेदारियां संभालने का मौका मिला. नीतीश को गठबंधन राजनीति का माहिर माना जाता है. 1996 में खुलेतौर पर बीजेपी के समर्थन में उतरे नीतीश कुमार केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार का हिस्सा रहे. इसके बाद 2005 में बीजेपी के सहयोग से ही वो बिहार के मुख्यमंत्री बने और उनका ये सफर अब तक जारी है. हालांकि, इस रास्ते में नीतीश ने एक बार बीजेपी का साथ भी छोड़ा.

Web Title : EXIT POLLS WILL BRING POLITICAL EARTHQUAKE, GOOD GOVERNANCE BABU TO MODI TSUNAMI BENEFITS BEFORE POLL RESULTS