झारखंड- खनन लीज घोटाला:बसंत सोरेन को राजभवन से राहत मिलने के आसार, हेमंत सोरेन पर संशय कायम

झारखंड- खनन लीज घोटाला:बसंत सोरेन को राजभवन से राहत मिलने के आसार, हेमंत सोरेन पर संशय कायम

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के भाई दुमका से झामुमो विधायक बसंत सोरेन को खनन कंपनी में साझीदार होने के मामले में राहत मिलने की उम्मीद है. सूत्रों के अनुसार, बसंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता पर खतरा नहीं है. बसंत सोरेन 2020 में दुमका उप चुनाव में निर्वाचित हुए हैं. यह सीट मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने छोड़ी थी.

सीएम सोरेन 2019 विधानसभा चुनाव में बरहेट और दुमका दो सीटों से लड़े और जीते. बाद में उन्होंने दुमका सीट छोड़ दी. इस सीट पर उपचुनाव में बसंत झामुमो के प्रत्याशी के रूप में निर्वाचित होकर विधानसभा पहुंचे. बाद में भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया कि बसंत सोरेन चंद्र स्टोन वर्क्स में पार्टनर हैं. ग्रैंड माइनिंग कंपनी में भी साझीदार हैं. इस बाबत भाजपा ने राज्यपाल रमेश बैस से शिकायत की और उन्हें लोकप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 9 ए के तहत विधानसभा की सदस्यता खत्म करने की मांग की. राज्यपाल ने इस मामले में भारत निर्वाचन आयोग से परामर्श मांगा. आयोग ने मामले में सुनवाई करने के बाद राज्यपाल को अपना मंतव्य नौ सितंबर को भेज दिया.

ईसीआई सूत्रों के अनुसार बसंत सोरेन ने उपचुनाव से पहले नवंबर 2020 में अपने चुनाव नामांकन से संबंधित घोषणा पत्र में खनन कंपनी में साझीदार होने की जानकारी दे रखी है. इस कारण चुनाव आयोग ने बसंत के मामले में फैसला राज्यपाल पर छोड़ा है. राजभवन की ओर से इस संबंध में अधिकारिक रूप से जानकारी अप्राप्त है.

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खनन लीज मामले में चुनाव आयोग ने अपना मंतव्य 25 अगस्त को ही राजभवन को सौंपा दिया है. अब राज्यपाल के फैसले का इंतजार किया जा रहा है. मुख्यमंत्री की विधानसभा सदस्यता को लेकर सियासी पारा चढ़ा हुआ है.

10 फरवरी भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने बसंत सोरेन पर खनन कंपनी में साझीदार होने का आरोप लगाकर उन्हें विधायकी से अयोग्य किये जाने की मांग की.

11 फरवरी राज्यपाल से भेंट कर भाजपा नेताओं के प्रतिनिधिमंडल ने बसंत सोरेन के मामले में शिकायत की और कार्रवाई करने की मांग की. कुछ दिनों बाद राज्यपाल ने आयोग से मंतव्य मांगा.

● 5 मई चुनाव आयोग ने विशेष दूत से बसंत सोरेन को नोटिस भेज कर जवाब मांगा.

● 12 मई बसंत सोरेन ने अपना जवाब आयोग को भेज दिया.

● 30 मई सुनवाई के दौरान बसंत की ओर से संशोधित जवाब दाखिल करने की मांग हुई.

● 10 जून बसंत सोरेन की ओर से संशोधित जवाब दाखिल किया गया

● 15 जून से 29 अगस्त सुनवाई की प्रक्रिया चली

● 9 सितंबर चुनाव अयोग ने अपना मंतव्य राज्यपाल को सौंपा

Web Title : JHARKHAND MINING LEASE SCAM: BASANT SOREN LIKELY TO GET RELIEF FROM RAJ BHAVAN, DOUBTS REMAIN ON HEMANT SOREN

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