एनडीए और ‘इंडिया’ की ओर से झारखंड में लोकसभा की सभी 14 सीटों पर जीत का दावा किया जा रहा है. दोनों तरफ से इस दावे के पक्ष में तर्क भी दिया जा रहा है. दोनों गठबंधन इन सीटों पर सियासी समीकरण को अपने पक्ष में लाने के लिए प्रत्याशियों का चयन कर रहे हैं. एक ओर भाजपा ने 11 सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा करते हुए अनुभवी चेहरों पर ही दांव खेला है तो दूसरी ओर ‘इंडिया’ की ओर से सीट शेयरिंग का ऐलान भी अब तक नहीं हो सका है.
इन दावों पर NDA भर रही दम
भाजपा की ताकत, मुद्दे और चुनौतियों का विश्लेषण करते हुए राजनीतिक जानकारों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते एक मार्च को धनबाद से सामूहिक अपील के माध्यम से दावा किया था कि एनडीए लोकसभा चुनावों में झारखंड समेत देशभर की 400 से अधिक सीटें जीतेगा.
पीएम ने भ्रष्टाचार, वंशवादी शासन और अवैध वसूली को लेकर झामुमो के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ झारखंड सरकार पर हमला बोला था. भाजपा भ्रष्टाचार के खिलाफ अपने अभियान पर भरोसा कर रही है, जिसमें झारखंड के पूर्व सीएम और जेएमएम के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन और कांग्रेस के नेताओं पर ईडी और सीबीआई के छापे, कानून और व्यवस्था के मुद्दे, महिलाओं के खिलाफ अपराध और कथित जनसांख्यिकीय परिवर्तन आदि शामिल हैं. भाजपा केंद्र सरकार की झारखंड से संबंधित विकास और कल्याण की योजनाओं को भुनाने की कोशिश कर रही है. झारखंड के सिंहभूम (एसटी) लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस की एकमात्र सांसद गीता कोड़ा भाजपा का दामन थाम चुकी हैं. भाजपा को गीता के जरिए सिंहभूम में जीत का भरोसा है.
भाजपा पिछली बार जिन दो सीटों पर जीत नहीं पाई थी, उसमें एक सिंहभूम और दूसरी सीट संताल परगना के अंतर्गत राजमहल है. राजमहल सीट पर झामुमो के विजय हांसदा जीते थे. इस बार इंडिया गठबंधन के तहत यह सीट झामुमो के खाते में जाएगी और विजय हांसदा का महासमर में उतरना तय है. यहां मुकाबला रोमांचक होने जा रहा है.