एनसीपी (अजीत पवार गुट) के हुसैनाबाद विधायक कमलेश कुमार सिंह ने हेमंत सोरेन सरकार से समर्थन वापस ले लिया है. बुधवार को कमलेश कुमार सिंह ने राजभवन को समर्थन वापसी का पत्र भेज दिया.
समर्थन वापसी के बाद झारखंड सरकार को अब कुल 49 विधायकों का समर्थन प्राप्त है. कमलेश सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री से कई बार हुसैनाबाद को जिला बनाने की मांग की. शरद पवार ने स्वयं इस मामले को लेकर सीएम से फोन पर बात की, लेकिन कोई पहल नहीं की गई. ऐसे में समर्थन वापस लेने के अलावा कोई विकल्प नहीं था. चार साल में हमने सिर्फ हुसैनाबाद जिला मांगा था, कोई बोर्ड या निगम की मांग नहीं की थी. एनसीपी प्रवक्ता सूर्या सिंह ने कहा कि समर्थन मांगने सीएम खुद आए थे.
एनसीपी के प्रवक्ता सूर्या सिंह ने कहा कि झामुमो के लोग कहते हैं कि एनसीपी से समर्थन किसने मांगा था, लेकिन ऐसा कहने वाले पूरी बात सीएम हेमंत सोरेन से ही पूछ लें कि समर्थन मांगा गया था या नहीं. समर्थन मांगने लोग हुसैनाबाद तक आए थे. इसके बाद सरकार को समर्थन दिया गया था.
सीएम अगर ये कहेंगे कि किसी ने समर्थन नहीं मांगा था, तो इसका जवाब डिटेल में देंगे. सूर्या ने कहा कि पलामू में आज यूपीए के पास एक विधायक नहीं है. एकमात्र विधायक कमलेश सिंह यूपीए में थे, उनका समर्थन भी वापस हो गया. इधर, कमलेश सिंह ने प्रेस कांफ्रेंस में समर्थन वापस लेने की वजहें बताई. बार-बार आश्वासन के बाद हुसैनाबाद को जिला नहीं बनाने व बालू घाट का टेंडर नहीं होने को बड़ा कारण बताया.
कमलेश का राजनीतिक सौदेबाजी का पुराना इतिहास: झामुमो
सत्तासीन झामुमो के महासचिव सह प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा है कि एनसीपी विधायक कमलेश सिंह का राजनीतिक सौदेबाजी का पुराना इतिहास रहा है. उन्होंने नीतियों पर समर्थन दिया था. हुसैनाबाद को जिला बनाने की शर्त समर्थन नहीं दिया था. अच्छा हुआ तन और मन से एक जगह पहुंच गए. पहले शरीर से यूपीए के साथ थे और मन से एनडीए के साथ. सरकार हुसैनाबाद की जनभावना के साथ चलेगी.