रिम्स में बदहाल व्यवस्था, हाड़ कंपाने वाली ठंड में जमीन पर हो रहा इलाज

झारखंड:    राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स में कंपकंपाती ठंड में जमीन पर इलाज हो रहा है. बेड नहीं होने पर रिम्स प्रबंधन ने गलियारे में इलाज की व्यवस्था की है. पर, न्यूरो सर्जरी वार्ड में भर्ती मरीज जितनी अपनी बीमारी से परेशान नहीं हैं, उससे अधिक परेशान ठंड से हैं. इस वार्ड में 170 से अधिक मरीजों को बेड नसीब नहीं हो पाया है. इनका इलाज गलियारे में जमीन पर चल रहा है, जहां ठंडी हवाएं जानलेवा बनी हुई हैं. मरीजों ने गलियारे की खुली जगह में बेड पर बिछाने के लिए मिलने वाली सिंगल यूज बेडशीट बांध रखी है. ताकि रोग दूर होने तक ठंड से तो जान बची रहे. प्रबंधन की तरफ से मरीजों को ठंड से बचाने के कोई उपाय नहीं किए जा रहे हैं. लगभग हर साल ऐसी ही समस्या रहती है, लेकिन प्रबंधन का ध्यान नहीं जाता.

वहीं, रिम्स की ओपीडी में आने वाले मरीजों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. दूसरे जिलों या बिहार और बंगाल से आने वाले मरीज दो-तीन दिनों से रिपोर्ट नहीं मिलने के कारण रिम्स में ही रुके हुए हैं. पैसे की कमी के कारण रिम्स के बरामदे में ही रात बिता रहे हैं. पांच वर्षीय बच्ची को लेकर धनबाद के रुके मरीज ने बताया कि यहां दो से तीन दिन सिर्फ रिपोर्ट मिलने में लगते हैं. जाने-आने के खर्च से बचने के लिए रिम्स में ही रुके रहते हैं.  

सदर अस्पताल में भर्ती मरीजों को कंबल मुहैया कराया जा रहा है. जमीन पर इलाज नहीं हो रहा है. लेकिन, प्रसव के लिए मरीज देर रात या सुबह में पहुंचती हैं. अगर उन्हें इंतजार करना पड़ा तो बाहर ही बैठने कहा जाता है. हालांकि वे अपनी पूरी तैयारी के साथ पहुंचती हैं तो कोई परेशानी नहीं होती. अगर बिना तैयारी के पहुंचीं तो उन्हें प्रबंधन की ओर से ठंड से बचाने के कोई इंतजाम नहीं हैं. रिम्स में इलाज कराने आने वाले अधिकतर मरीज अपना कंबल-बेडशीट लेकर पहुंच रहे हैं. क्योंकि रिम्स मरीजों को सिर्फ एक कंबल ही देता है. इससे ठंड से बच पाना मुश्किल है. दूसरा कंबल मांगने पर नर्स और वार्ड अटेंडेंट कहते हैं कि मरीजों के लिए कंबल और बेडशीट गिनकर मिलते हैं. रिम्स के सभी वार्डों में भर्ती मरीज अपना-अलग कंबल लेकर आए हैं.

Web Title : POOR SYSTEM AT RIMS, TREATMENT IS BEING DONE ON THE GROUND IN THE FREEZING COLD

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