हेमंत सोरेन के इस्तीफा देने के अगले ही दिन क्यों नहीं बनी चंपई सरकार राजभवन ने बताई वजह

हेमंत सोरेन के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने और चंपई सोरेन के सरकार बनने के दावा पेश करने के बाद राजभवन से सरकार बनाने का दवा पेश करने के आमंत्रण देने में हुए विलंब के पीछे कई तकनीकी अड़चन रही है. तकनीकी अड़चन आने के बाद राजभवन की ओर से विधिक मंतव्य भी लिया जा रहा था. इधर, महागठबंधन को भी इस तकनीकी गड़बड़ी की जानकारी हुई, इसके बाद चंपई सोरेन को दोबारा राजभवन जाकर बहुमत के साथ सरकार बनाने का दावा पेश करना पड़ा. हेमंत सोरेन ने 30 जनवरी को महागठबंधन विधायक दल की बैठक बुलायी थी. इसमें ही नए विधायक दल का नेता चुना गया था.  

31 जनवरी को ईडी ने जब हेमंत सोरेन को गिरफ्तार करने की सूचना दी तो इसके बाद हेमंत सोरेन ने राजभवन से इस्तीफा देने के लिए समय मांगा. हेमंत सोरेन सभी विधायकों के साथ राजभवन इस्तीफा देने के लिए जाना चाहते थे, लेकिन राजभवन ने पांच लोगों को ही बुलाया. राजभवन जाने के बाद हेमंत सोरेन ने राज्यपाल को इस्तीफा दिया. उनके इस्तीफे देने के बाद ही चंपई सोरेन ने विधायक दल का नया नेता चुने जाने के साथ ही सरकार बनाने का दावा करते हुए राज्यपाल को पत्र सौंपा. राजभवन ने चंपई सोरेन का पत्र लिया और उस पर विचार कर सूचित करने की बात कही.  

विधि विशेषज्ञों के अनुसार तकनीकी तौर पर यहीं पर गड़बड़ी हुई. नियमों के अनुसार विधायक दल के नेता के इस्तीफा देने के बाद ही विधायक दल की बैठक होती है. इसके बाद नया नेता चुना जाता है. लेकिन हेमंत सोरेन के इस्तीफा देने पहले ही चंपई सोरेन को विधायक दल का नेता चुना गया और उन्होंने हेमंत सोरेन के साथ ही सरकार बनाने का दावा कर दिया. ऐसे में एक समय दो-दो विधायक दल के नेता चुन लिए गए.  

झारखंड के पूर्व महाधिवक्ता अजीत कुमार के अनुसार मुख्यमंत्री के इस्तीफा देने से पहले महागठबंधन के विधायक दल की बैठक हुई. इस बैठक में सीएम के बिना इस्तीफा दिए विधायक दल का एक नया नेता चुन लिया गया. इसके बाद यही पत्र राज्यपाल को जाकर सौंप दिया गया. ऐसे में जब विधायक दल के नेता का पद ही रिक्त नहीं है, तो विधायक दल का नया नेता कैसे चुन लिया गया. इससे एक वैधानिक संकट की स्थिति पैदा हो गई. हेमंत सोरेन के मुख्यमंत्री रहते बैठक में चंपई सोरेन को विधायक दल का नेता चुना गया, इसी वजह से पेच फंसा.

हेमंत ने राजभवन से इस्तीफा देने के लिए मांगा था समय

परंपरा रही है कि विधायक दल के नेता राज्यपाल को इस्तीफा देते हैं. इस्तीफा मंजूर होने के बाद विधायक दल की बैठक होती है. इसमें नया नेता का चुनाव किया जाता है. चुने गए विधायक दल के नेता राज्यपाल के पास जाकर सरकार बनाने का दावा करते हैं. लेकिन इस बार विधायक दल के दो-दो नेता राजभवन पहुंच गए. एक ने इस्तीफा दिया और दूसरे ने तत्काल सरकार बनाने का दावा पेश किया. इस परिस्थिति पर राजभवन मशविरा ले रहा था. इस बीच एक फरवरी को चंपई सोरेन की ओर से दोबारा सरकार बनाने के दावा पेश किया गया. चूंकि यह दावा हेमंत सोरेन का इस्तीफा स्वीकार होने के बाद पेश किया गया था, राज्यापाल ने उन्हें सरकार बनाने का निमंत्रण दिया और बहुमत साबित करने का निर्देश दिया.

Web Title : RAJ BHAVAN EXPLAINS WHY CHAMPAI GOVERNMENT WAS NOT FORMED A DAY AFTER HEMANT SOREN RESIGNS

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