रावण ने की थी देवघर में बाबा वैद्यनाथ की स्थापना, पूरे फाल्गुन मास तक बाबानगरी से लेकर मिथिला तक फाग उत्सव

महाशिवरात्रि भगवान शिव का विशेष महत्व वाला माना जाता है. महाशिवरात्रि यूं तो सभी शिवालयों के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है, लेकिन द्वादश ज्योतिर्लिंगों में सर्वश्रेष्ठ कामनालिंग बाबा वैद्यनाथ की पावन नगरी देवघर में इसका और भी अधिक महत्व है. जानकारों की मानें तो महाशिवरात्रि के दिन ही देवनगरी में बाबा वैद्यनाथ की स्थापना हुई है.

मान्यता है कि रावण ने मानसरोवर से बाबा वैद्यनाथ को लंका ले जाने के क्रम में दैवीय शक्ति के कारण देवघर में ही शिवलिंग रख दिया था, इससे बाबा वैद्यनाथ की यहां पर स्थापना हो गयी. ऐसे में देवनगरी में इस पावन पर्व को और भी अधिक उत्साह के साथ मनाया जाता है. प्राचीन काल से ही देवघर में महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर भव्य व विराट मेला लगता है. वहीं वर्ष 1994 से मेले में एक बड़ा बदलाव भी आया.

शिवरात्रि महोत्सव समिति के तत्वावधान में उक्त्त वर्ष से ही यहां पर भव्य शिव बारात निकाली जाती है. आज के समय में शिव बारात की ख्याति अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंच चुकी है. महाशिवरात्रि को लेकर बसंत पंचमी पर बिहार के मिथिलांचल क्षेत्र के कांवरिए तिलक लेकर बाबा दरबार पहुंचते हैं. बाबा पर तिलक अर्पण करने के बाद से ही वह फाग खेलकर खुशियां मनाते हैं. यह फाग पूरे फाल्गुन मास में देवघर से लेकर मिथिलांचल तक उत्सव के रूप में मनाया जाता है.

बाबा बैद्यनाथ की चतुष्प्रहर पूजा महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर परंपरानुसार बाबा वैद्यनाथ की चतुष्प्रहर पूजा की जाती है.

रात्रि काल में ही सभी प्रहरों की विशेष पूजा-अर्चना पुरोहितों की ओर से की जाती है. विशेष पूजन का यहां पर काफी अधिक महत्व है. चतुष्प्रहर पूजा को लेकर बाबा मंदिर में विशेष इंतजाम कराए जाते हैं. मंदिर प्रांगण में महाशिवरात्रि पर जागरण कार्यक्रम होता है. देश-विदेश के विभिन्न हिस्सों से पहुंचे भक्त्त जागरण करते हैं.

नहीं होता है बाबा वैद्यनाथ का शृंगार महाशिवरात्रि के अवसर पर बाबा वैद्यनाथ मंदिर में परंपरानुसार शृंगार पूजन का आयोजन संध्याकाल में नहीं होता है.

देवघर मंडल कारा से हर दिन बाबा वैद्यनाथ के शृंगार पूजन को लेकर बनकर पहुंचने वाला पुष्प मुकुट नहीं भेजा जाता है. बताते चलें कि महाशिवरात्रि के दिन नहीं बनने वाले पुष्प मुकुट के एवज में देवघर मंडल कारा में श्रावण पूर्णिमा के दिन दो पुष्प मुकुट तैयार किया जाता हैं. उसमें एक बाबा वैद्यनाथ के लिए जबकि दूसरा बाबा बासुकीनाथ के लिए भेजा जाता है.



Web Title : RAVANA ESTABLISHED BABA VAIDYANATH IN DEOGHAR, PHAG UTSAV FROM BABANAGARI TO MITHILA FOR THE ENTIRE MONTH OF PHALGUN

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