एशिया पर मंडराता आर्थिक संकट, बढ़ रहा है कर्ज और घट रहा है विदेशी मुद्रा भंडार

एशिया पर मंडराता आर्थिक संकट, बढ़ रहा है कर्ज और घट रहा है विदेशी मुद्रा भंडार

दुनिया भर में बढ़ रही महंगाई के कारण एशिया में उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों पर कर्ज का बोझ बढ़ रहा है. इस वर्ष अप्रैल से जून तक की तिमाही में इन देशों पर सरकारी और निजी दोनों क्षेत्र पर कर्ज का बोझ बढ़ा. जबकि इसके पहले लगातार चार तिमाहियों में रुझान कर्ज का बोझ घटने का था. एशियाई देशों के कर्ज की स्थिति के बारे में ताजा जानकारी अमेरिकी संस्थान- इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल फाइनेंस (आईआईएफ) की रिपोर्ट से मिली है.

बुधवार को जारी इस रिपोर्ट के मुताबिक उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों में अब कर्ज की मात्रा उनके सकल घरेलू उत्पाद की तुलना में 252. 4 फीसदी हो गई है. साल भर पहले ये आंकड़ा 250. 2 फीसदी था. सिंगापुर सरकार पर अब कर्ज जीडीपी की तुलना में 176. 2 फीसदी और चीन में 76. 2 फीसदी हो गया है. प्राइवेट सेक्टर के कर्ज में भी बढ़ोतरी हुई है. वियतनाम की कंपनियों पर कर्ज की मात्रा वहां के जीडीपी की तुलना में 107. 9 फीसदी हो गई है. साल भर पहले ये आंकड़ा 100. 6 फीसदी ही था. उधर हांगकांग में घरेलू कर्ज अब जीडीपी की तुलना में 94. 5 फीसदी हो चुका है.

आईआईएफ के मुताबिक अगर पूरी दुनिया पर गौर करें, तो अप्रैल से जून की तिमाही में सार्वजनिक और निजी कर्ज जीडीपी की तुलना में 349 फीसदी तक पहुंच गया. रिपोर्ट में कहा गया है कि उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों पर कर्ज के बोझ में तेजी से हो रही बढ़ोतरी वहां आर्थिक वृद्धि दर में तेजी से आ रही गिरावट का परिणाम है. रिपोर्ट में कहा गया है- ‘खास कर चीन और यूरोप की अर्थव्यवस्था में गिरावट और ऊर्जा एवं खाद्य पदार्थों की महंगाई के कारण बढ़ रहे सामाजिक तनाव से चिंता बढ़ रही है. इस स्थिति में संभावना है कि सरकारें और ज्यादा कर्ज लेंगी. ’ उद्योग संगठनों ने अनुमान लगाया है कि जीडीपी की तुलना में वैश्विक कर्ज की इस वर्ष के अंत तक 352 प्रतिशत तक पहुंच जाएगी.

आईआईएफ ने चेतावनी दी है कि अमेरिकी मुद्रा डॉलर की कीमत लगातार बढ़ने के कारण उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों के लिए कर्ज लेना लगातार ज्यादा मुश्किल होता जा रहा है. इस वर्ष जनवरी से जून तक ऐसे देश सिर्फ 60 बिलियन डॉलर के बॉन्ड ही बेच पाए, जबकि पिछले साल इसी अवधि में ये आंकड़ा 105 बिलियन डॉलर था. जानकारों के मुताबिक श्रीलंका के डिफॉल्ट करने और कई और देशों के ऐसा करने की आशंका के कारण निवेशक कमजोर अर्थव्यवस्था वाले देशों को बॉन्ड खरीदने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं.

इस बीच वेबसाइट एशिया टाइम्स की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि एशियाई के देशों के विदेशी मुद्रा भंडार में तेजी से गिरावट आ रही है. जिन देशों का विदेशी मुद्रा भंडार गुजरे महीनों में सबसे तेजी से घटा है, उनमें थाईलैंड, मलेशिया और भारत पहले तीन नंबर पर हैं. स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक की सिंगापुर में स्थित अर्थशास्त्री दिव्या देवेश ने एशिया टाइम्स को बताया कि उभरती अर्थव्यवस्था वाले एशियाई देशों का विदेशी मुद्रा भंडार 2008 की आर्थिक मंदी के बाद आज सबसे कमजोर स्थिति में है.

Web Title : ECONOMIC CRISIS LOOMS OVER ASIA, DEBT IS INCREASING AND FOREIGN EXCHANGE RESERVES ARE DECREASING

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