त्यागी विभूतियों के दर्शन सिर्फ भारत भूमि में ही संभव-अजित सागर जी,भाजपा कार्यालय में मुनिसंघ की मौजूदगी मंे दी गई आचार्य विद्यासागरजी को श्रद्धाजंलि

बालाघाट. भाजपा कार्यालय में आयोजित संत शिरोमणि 108 आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के मोक्ष गमन पर श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किया गया. जिसमें निर्यापक मुनि 108 श्री प्रसाद सागर जी महाराज साहब, मुनिश्री 108 अजीत सागर जी महाराज साहब, मुनिश्री निरामय सागर जी महाराज साहब, मुनिश्री 108 चंद्र प्रभु सागर जी महाराज साहब, विवेकानंद सागर जी महाराज साहब, एलक मुनि महाराज श्री की प्रमुख रूप में श्रद्वाजंलि दी गई.   

श्रद्धांजलि सभा के दौरान मुनि श्री अजीत सागर जी ने बताया कि कि भारत भूमि तपस्वियों की भूमि है, पूरे विश्व में पैसे से अमीर या अन्य प्रकार के व्यक्ति तो मिल सकते हैं लेकिन त्यागी विभूतियांे के दर्शन के लिए उन्हें भारत भूमि में ही आना होगा. भारत भूमि का यह सिद्धांत रहा है की या तो कृषि करो या ऋषि बनो दोनों का मतलब अपने आप में यही है की परोपकारी बानो. परोपकार करना हमारी संस्कृति रही है, आज हम यदि परोपकार की बात करते हैं तो आचार्य विद्यासागर जी का सारा जीवन उनका आचरण हमें परोपकार की प्रेरणा देता है. उनके जीवन का मूल्य मंत्र ही परोपकार था, उन्होंने इस बात को चरितार्थ करके दिखाए, इसलिए भी वे आज भगवान के रूप में पूजे जा रहे हैं. वास्तव में उनका जीवन अत्यंत प्रेरणादायक है. मुनि श्री ने अयोध्या में भगवान श्री राम की प्रतिष्ठा का जिक्र करते हुए बताया कि वास्तव में अयोध्या पुण्य आत्माओं की भूमि रही है, केवल भगवान श्री राम ही नहीं जैन पंथ के अनेक तीर्थंकरों का अयोध्या से गहरा नाता रहा है. मुनी प्रसाद सागर जी महाराज ने आचार्य विद्यासागर जी के द्वारा राष्ट्र निर्माण के लिए के लिए शिक्षा नीति का जिक्र करते हुए बताया की उन्होंने जीवन पर्यंत मातृभाषा में शिक्षा और भारत की संस्कारित शिक्षा पद्धति पर जोर दिया. भारत में जो नई शिक्षा नीति लागू हो रही है उसके मुख्य सलाहकार समिति में आचार्य विद्यासागर जी भी शामिल थे. मोदी जी जब भी शिक्षा के विषय में कोई संदर्भ आता था तो इस विषय पर काम करने वाले विशेषज्ञों को हमेशा अचार विद्यासागर जी से सलाह लेने की बात करते थे.  

केंद्र सरकार का प्रतिनिधिमंडल नई शिक्षा नीति को लेकर के हमेशा उनके संपर्क में था. उन्होंने इंडिया नहीं भारत कहो, खादी अपनाओ, गौरक्षा, जीव दया ऐसे अनेक प्रकल्प को चलाया, जो आज एक उत्कृष्ट उदाहरण बनकर के हमारे सामने आ रहे हैं. उनका जीवन सिर्फ परोपकार से पूर्ण था. उन्होंने हमेशा अपने आचरण से ही लोगों को संदेश दिया है बोलकर नहीं. उनका यह ध्येय वाक्य की ना तन की ओर ध्यान दो, न वेतन की ओर ध्यान दो, ध्यान ही देना है तो वतन के लिए ध्यान दो. राष्ट्र निर्माण की भावना से ओतप्रोत था.  

कार्यक्रम में भाजपा जिला अध्यक्ष रामकिशोर कावरे, पूर्व मंत्री गौरीशंकर बिसेन, पूर्व जिला अध्यक्ष रमेश रंगलानी, लोकसभा संयोजिका श्रीमती लता एलकर, महेश खजांची, सुशील जैन, डॉ. बी. एम. शरणागत, ऋषभदास वैद्य, महेंद्र सुराना, मीडिया प्रभारी अभय कोचर सहित बड़ी संख्या में सभी समाज के नागरिक बंधु एवं गणमान्य लोग उपस्थित थे. कार्यक्रम का संचालन भारती पारधी ने किया व अंत मे आभार प्रदर्शन अभय सेठिया द्वारा किया गया.  


Web Title : DARSHAN OF TYAGI PERSONALITIES IS POSSIBLE ONLY IN THE LAND OF INDIA: AJIT SAGAR JI, TRIBUTE PAID TO ACHARYA VIDYASAGAR JI IN THE PRESENCE OF MUNISANGH AT BJP OFFICE