कोरोना ने छीनी गणेश महोत्सव की रौनक, घर बैठे ही भक्त करेंगे गणेश भगवान का लाइव दर्शन

झरिया (Manoj Kumar Sharma) : गणेश महोत्सव पर कोरोना का असर दिख रहा है. कोरोना के कारण इस बार का महोत्सव का आयोजन बिलकुल ही साधारण ढंग से किया जाएगा. न तो किसी मेले का आयोजन होगा और न ही कोई कार्यक्रम होगा.

कोयलांचल में गणेश महोत्सव की तैयारी काफी पहले से ही शुरू हो जाती थी, लेकिन कोरोना के कारण इस बार पूरी तरह से फीकी रहेगी. मूर्तिकारों में भी इस बार निराशा के भाव हैं. लोग इस बार घर से ही पूजा करेंगे. 10 सिंतबर शुक्रवार से गणेश महोत्सव शुरू हो जाएगा.  

गणेश महोत्सव के अवसर पर मेले से लेकर कई तरह के बड़े कार्यक्रमों का आयोजन डिगवाडीह में होता था. लोगों की भींड भी यहां देखते बनती थी. 15 दिनों तक चलने वाले इस गणेश महोत्सव में झारखंड समेत पड़ोसी राज्यों से लाखों लोग यहां पहुंचते थे. कोरोना के कारण इस बार का महोत्सव का आयोजन बिलकुल ही साधारण ढंग से किया जाएगा. न तो किसी मेले का आयोजन होगा और न ही कोई कार्यक्रम होगा.

छोटी मूर्ति की मांग ज्यादाशहर में गणेश महोत्सव को लेकर जगह-जगह पंडालों का भव्य निर्माण कर उनमें बड़े आकर्षक और सुंदर गणपति की प्रतिमाएं स्थापित की जाती थी, लेकिन कोरोना के कारण बड़ी गणपति की प्रतिमाओं की मांग में कमी आई है. इस बार गणपति की छोटी प्रतिमाओं की मांग की जा रही है. मूर्तिकारों का मानना है कि पहले जहां लोग बड़े पूजा पंडालों में गणपति की प्रतिमा स्थापित करने के बड़ी प्रतिमाओं की मांग करते थे. वहीं, इस वर्ष लोग छोटी मूर्तियों की मांग कर रहे हैं. ऐसे में उनकी आमदनी पर भी इसका असर पड़ा है.

गणेश पूजा समिति के सचिव दिनेश यादव ने बताया कि गणेशोत्सव के अवसर पर पिछले 33 साल से जहां भव्य मंदिर की प्रतिकृत बनाई जाती थी, वहीं कोरोना को ध्यान में रखते हुए  मंदिर परिसर में ही अत्यंत छोटा मंडप बनाकर उसमें मात्र ढाई फीट ऊंची श्रीगणेश की मूर्ति स्थापित की गई है. मंडप में श्री गणेश का दर्शन करने के लिए भक्तों को पास देने के बजाय उन्हें घर बैठे यूट्यूब, फेसबुक एवं केबल के माध्यम से दिखाया जाएगा.

मूर्तिकार मंटू पाल ने बताया कि मूर्ति निर्माण सामग्री हुई महंगी इसके साथ ही मूर्ति निर्माण में लगने वाली सामग्रियों की कीमत में भी कोरोना के कारण इजाफा हुआ है. 5 हजार की सामग्री 7 से 8 हजार में खरीदनी पड़ रही है. मूर्ति निर्माण की सामग्री ज्यादातर कोलकाता से आती है. कोलकाता में लॉकडाउन रहने के कारण सामग्री औने पौने दामों पर खरीदना पड़ रहा है. मूर्तिकारों ने कहा कि कुल मिलाकर अब इस कला में पेट पालना भी मुश्किल हो रहा है.

उन्होंने बताया कि पहले गणेश उत्सव से लेकर दुर्गा पूजा तक मूर्तिकारों को एक पल की भी फुर्सत नहीं मिलती थी और लगातार मूर्तियों को आकार देने का काम चलता रहता था. कोरोना ने उनकी व्यस्तता और रोजगार छीन ली है. दुर्गा पूजा के लिए जिन्हें विशेष रूप से पहले 50 से 80 मूर्तियां बनाने के आर्डर मिला करते थे. उन्हें अभी मुश्किल से पांच से छह मूर्तियों के आर्डर मिले हैं. उनका कहना है कि अभी दूर्गा पूजा के लिए काफी समय है. इससे उम्मीद है कि अभी ग्रामीण क्षेत्रों के साथ ही शहर से भी आर्डर मिलेंगे और उन्हें भी आर्थिक लाभ होगा.