बालाघाट. चैत्र नवरात्रि पर पूरे नौ दिनों तक मां के नौ रूपो की आराधना और उपासना की जाती है. नवरात्र की अष्टमी को मां महागौरी का पूजन किया जाता है और भक्तो द्वारा अष्टमी को देवी मां को अष्टमी का भोग अर्पित किया जाता है. इसी कड़ी में नगर के काली मंदिर में भक्तो ने मां को अष्टमी का भोग चढ़ाया और मां से मनोकामना पूर्ति का आशीर्वाद मांगा. धार्मिक मान्यता है कि अष्टमी तिथि पर सच्चे मन से मां महागौरी की पूजा-अर्चना करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. मां महागौरी को ममता की मूरत भी कहा जाता है.
चैत्र नवरात्रि के आठवें दिन मां दुर्गा के महागौरी स्वरुप की पूजा की गई. नवरात्र में अष्टमी तिथि का विशेष महत्व होता है. इस साल चैत्र नवरात्र पर एक भी तिथि का क्षय न होने के कारण नवरात्रि 9 दिनों की है. जिसके कारण 16 अप्रैल को अष्टमी मनाई गई और कन्याओं को भोज कराया गया है. जबकि कुछ घरो और मंदिरो में आज कन्याओं को भोज कराया जायेगा.
अष्टमी को नगर के देवी मंदिरो में हवन-पूजन किया गया और भंडारे के रूप में देवीभक्तों को महाप्रसाद का वितरण किया गया. नगर के कालीपाठ मंदिर, त्रिपुर सुंदरी मंदिर सहित अन्य मंदिरो में अष्टमी तिथि को हवन-पूजन किया गया. जबकि आज रामनवमी पर मंदिरो में रखे गये मनोकामना ज्योति कलश का विधि विधान से विसर्जन किया जायेगा. जिसके साथ ही चैत्र नवरात्र का समापन हो जायेगा. चैत्र नवरात्र पर मुख्यालय सहित पूरे जिले के देवी मंदिरो में नवरात्र का पर्व पूरी श्रद्वा, आस्था और विश्वास के साथ मनाया गया और देवी मां के नौ रूपो की आराधना और उपासना की गई. इस दौरान मंदिरो में विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम भी आयोजित किये गये. वहीं घरो में भी रखे गये मनोकामना ज्योति कलश और ज्वारे का नौ दिनों तक विधि विधान से पूजा अर्चना के बाद आज नवमी पर ज्योति कलश और ज्वारे का विसर्जन किया जायेगा.