विधानसभा में किसानों और बहनों से किए वादो की अनदेखी का कितना होगा चुनाव में असर, कांग्रेस नहीं भुना सकी मुद्दे, खामोश मतदाता ने बढ़ाई प्रत्याशियो की चिंता

बालाघाट. लोकसभा चुनाव का शोरगुल प्रचार थम गया है. प्रचार के अंतिम दिन, रामनवमी पर प्रत्याशियों ने पूजा अर्चना कर जमकर प्रचार किया और जनता से जीत का आशीर्वाद मांगा. हालांकि इस चुनाव के दौरान जनता ने सभी प्रत्याशियो को देखा और सुना, ऐसे ही कुछ प्रत्याशी होंगे, जिनका नाम और चेहरा जनता नहीं जानती होंगी. अब जनता अपना बहुमत किसे देगी, यह तो आने वाला समय बताएगा, लेकिन इस लोकसभा चुनाव मंे जनता की खामोशी ने प्रत्याशियों की चिंता जरूर बढ़ा दी है.  भाजपा जहां राम और मोदी के सहारे वैतरणी पार करने में लगी है, वहीं कांग्रेस भाजपा की जीत को देश, लोकतंत्र और संविधान से जोड़ती रही. हालांकि यह देश का चुनाव है, जिसमें राष्ट्रीय विषय और मुद्दे तो होते ही लेकिन संसदीय क्षेत्र की जनता स्थानीय समस्याओं और मुद्दो के निराकरण को लेकर प्रत्याशियों से सुनना चाहती थी. उसकी जुबानी कमी, प्रत्याशियो में जिले की जनता ने देखी.  

दूसरा बड़ा मुद्दा भाजपा के लिए परेशानी भरा दिखाई दे रहा था. जिसमें विधानसभा चुनाव में किसानों से समर्थन मूल्य मंे धान 31 सौ रूपए और गंेहू को 27 रूपए खरीदने का वादा, मोदी गारंटी के नाम पर किया गया था. इसके अलावा रबी की धान को समर्थन मूल्य में खरीदने, लाडली बहनों को आवास और 03 हजार रूप महिने दिए जाने का वादा, भाजपा ने बीते चुनाव में किया था, लेकिन यह वादा विधानसभा चुनाव के दो महिने बाद भी प्रदेश की सरकार पूरा नहीं कर सकी. जिस मुद्दे को जितनी प्रमुखता से कांग्रेस को उठाना था, उसे उठाने में कांग्रेस कमजोर दिखाई दी. वहीं भाजपा इन मुद्दो को लेकर यह मैसेज भिजवाने में सफल दिखाई दी कि मोदी की हर गारंटी को पूरा किया जाएगा. जिससे इन मुद्दो को लेकर जो नेरेटिव, किसानों और महिलाओ में था, उसे कांग्रेस, भुना नहीं सकी. बावजूद इसका असर चुनाव में कितना होगा, यह तो आने वाला समय बताएगा लेकिन कहीं ना कहीं किसानों और महिलाओं से जुड़े मुद्दे, कम ही उठे.  

दूसरी बड़ा मुद्दा जिले की बेरोजगारी, पलायन और आवागमन की सुविधाओं को लेकर था. जिसमें पार्टी प्रत्याशियों ने औद्योगिक विकास की बात तो की, लेकिन वह कैसे पूरा होगा, इसे वह नहीं बता सके. बेरोजगारी और शिक्षा को लेकर प्रत्याशियों का कोई स्पष्ट प्लान नजर नहीं आया है और भी ऐसे कई मुद्दे है, जिन्हें जनता, अपने प्रत्याशियों से सुनकर, उन्हें अपना प्रतिनिधित्व देना चाहती थी, लेकिन वह मैसेज जनता तक प्रत्याशी नहीं पहुंचा पाए. वहीं एक बार फिर देश के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वर्सेस राहुल गांधी के राजनीतिक सोच पर आकर मतदाता खड़ा है. जिसे अब तय करना है कि वह कौन से मुद्दे जो जो उससे सीधे जुड़े है और जिससे, उसका जीवन सरलता से चल सकता है.  


Web Title : WHAT WILL BE THE IMPACT OF IGNORING THE PROMISES MADE TO FARMERS AND SISTERS IN THE ASSEMBLY, CONGRESS COULD NOT CAPITALIZE ON THE ISSUES, SILENT VOTERS INCREASED THE CONCERN OF CANDIDATES