प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में सोशल मीडिया की युवा प्रतिभाओं को क्रिएटर्स अवार्ड प्रदान किए. तमाम यूट्यूबर्स में एक नाम ´कीर्ति हिस्ट्री´ का भी है जिनका असल नाम कीर्तिका गोविंदासामी है. दीपिका तमिलनाडु की रहने वाली हैं और उन्हें ´स्टोरी टेलर´ की श्रेणी में यह पुरस्कार दिया गया है. दीपिका ने इंस्टाग्राम पर अपनी कहानी साझा करते हुए बताया कि इस पुरस्कार ने उनका जीवन ही बदल दिया. उन्होंने बताया कि वह जिस समाज से आती हैं वहां लड़कियों पर बहुत प्रतिबंध होते हैं. किसी एक घटना को लेकर उनके पिता ने उनसे बोलना तक छोड़ दिया था लेकिन पीएम मोदी से पुरस्कार मिलने के बाद सब कुछ बदल गया.
कीर्तिका ने इंस्टाग्राम पर पोस्ट करते हुए कहा, मेरे साथ वह हुआ जो मैंने कभी नहीं सोचा था. एक रात की बात है, मेरे पिता इसलिए रो रहे थे क्योंकि गांव के लोग मेरे बारे में बुरा-भला बोल रहे थे. वे हमेशा मेरी वजह से शर्मिंदा रहे. ऐसा नहीं है कि मेरा कोई बॉयफ्रेंड था. मैं पढ़ने में भी बहुत अच्छी थी. फिर आखिर क्या हो गया? बात इतनी सी थी कि मैं परिवार के किसी पुरुष पर आश्रित नहीं रहना चाहती थी. मैं अपना काम स्वयं करना चाहती थी.
कीर्तिका ने आगे लिखा, हमारे यहां किसी लड़की को पास की दुकान पर भी जाने की अनुमति नहीं थी. अगर मुझे कुछ चाहिए होता तो भाई से मांगना पड़ता था. एक दिन मैं अपने घर से केवल 100 मीटर दूर स्थित दुकान पर चली गई. इसके बाद मुझे थप्पड़ मार दिया गया. मुझे बुनियादी चीजों के लिए भी जूझना पड़ा. मैं आर्कियोलॉजिस्ट बनना चाहती थी. इसीलिए ग्रेजुएशन में इतिहास विषय लिया. लेकिन ग्रेजुएट होने के बाद कहा गया कि अब बस शादी कर देनी है. मुझे याद है कि उस दिन मैं कितना रोई थी.
कीर्तिका ने बताया, इसके बाद मैंने ठान लिया कि मुझे जो भी काम मिलेगा, मैं करूंगी. मैंने ट्यूशन पढाया, रिसेप्शनिस्ट की नौकरी की. इलेक्ट्रीशियन का काम किया. मुझे एक सेकंड हैंड लैपटॉप खरीदने में डेढ़ साल का वक्त लग गया. मेरे पिता ने मुझसे 6 साल तक बात नहीं की. इसका मतलब यह नहीं कि मेरे पिता ने मेरे लिए कुछ नहीं किया. लेकिन गांव में केवल आपके पिता आपके बारे में फैसला नहीं कर सकते. रिश्तेदारों की भी ड़ी भूमिकाय होती है. वे किसी तरह चीजों को संतुलित करना चाहते थे. वे चाहते थे कि मेरे साथ खड़े रहें. अब बात 2024 की. मैंने पहली बार अपने माता पिता को फ्लाइट मैं बैठाया और जब मुझे प्रधानमंत्री जी से पुरस्कार मिला तो वे भी इस पल के गवाह बने. मैं इस अनुभव को बता नहीं सकती. मैंने उन्हें देखा तो वे सातवें आसमान पर थे. जिस तरह वे मुझे देख रहे थे, मेरी तो जिंदगी ही बदल गई.
कीर्तिका ने कहा, उम्मीद है कि किसी लड़की के जीवन में कांटे ना बिछाए जाएं. उम्मीद है कि लोग समझेंगे कि शिक्षा का मतलब यह नहीं कि आपकी बेटी किसी के साथ चली जाएगी. उन्हं पढ़ने दीजिए और अपना जीवन जीने दीजिए.
बता दें कि कीर्तिकी ऐतिहासिक घटनाओं को लेकर वीडियो बनाती हैं. प्रधानमंत्री मोदी से जब वह पुरस्कार लेने पहुंची थीं तो पैर छुने लगीं. यह देखकर पीएम मोदी खुद उनके आगे झुक गए और पैर छुआने से इनकार कर दिया. पीएम मोदी ने कहा था कि आपका कॉन्टेंट लोगों को शिक्षित कर रहा है. कीर्तिका ने कहा, इतिहास और राजनीति आपस में जुड़ी हैं इसलिए कई बार वीडियो को लेकर उन्हें ट्रोल भी होना पड़ता है.