बाढ़ रोकने वाले परकोपाइन पिलर्स भी उखाड़ ले गए चोर खतरे में कोसी का तटबंध

कोसी तटबंध की सुरक्षा को ले नेपाल में बने परकोपाइन पिलरों की हो रही चोरी बाढ़ से निपटने के सरकार के प्रयास को सीधी चुनौती है. जल संसाधन विकास विभाग द्वारा नेपाल के वराह क्षेत्र में कोसी तटबंध की सुरक्षा व निगरानी बढ़ाने की बात कही जा रही है. लेकिन इन तटबंधों के किनारे लगाए गए परकोपाइन पिलरों की चोरी ने कोसी तटबंध की सुरक्षा पर सवाल खड़ा कर दिया है. शनिवार की रात चोरी की जा रही थी. लेकिन  सूचना पर पहुंची नेपाल के प्रकाशपुर पुलिस चौकी ने 17 परकोपाइन पिलर के साथ वाहन को जब्त कर लिया.

नेपाल में कोशी प्रदेश पुलिस प्रमुख डीआईजी राजेश नाथ बास्तोला ने घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि पिलर की चोरी की सूचना मिली थी. उसे जब्त कर लिया गया है. तटबंध इलाके में निगरानी बढ़ाने का निर्देश है. यहां बता दें कि नेपाल प्रभाग के सप्तकोशी नदी के पूर्वी तटबंध में बारिश के समय पानी के बहाव को रोकने के लिए परकोपाइन  बनाई गई थी.

बाढ़ रोकने में मदद परकोपाइन
बहाव रोकने के लिए लगाया जाता है परकोपाइन पिलर पानी के बहाव से पूर्वी तटबंध सुरक्षित रखने के लिए हर वर्ष बरसात के समय में कोशी के पूर्वी किनारे में ‘परकोपाईन’ लगाया जाता है. भारत के जल संसाधन विभाग की ओर से प्रत्येक वर्ष कोसी नदी के तटबंध के समीप जोखिमपूर्ण स्थान को चयन कर परकोपाइन लगाती है. लेकिन बारिश समाप्ति के बाद कोशी किनार में लगाए गए ‘परकोपाईन’ की सुरक्षा व देखरेख नही होने से लगातार चोरी हो रही है. इससे हर वर्ष कोशी और सीमांचल में बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है.

600-800 रुपए में बिकते हैं परकोपाइन पिलर
हर वर्ष तटबंध को सुरक्षित रखने के लिए भारत की तरफ से जल संसाधन विभाग द्वारा ‘परकोपाइन’ लगाया जाता है. लेकिन इसका संरक्षण नही होने से हर वर्ष काफी संख्या मे इन पिलरों की चोरी हो जाती है. स्थानीय नागरिक की माने तो चोरी कर लाये गए पीलर प्रति पीस नेपाली मुद्रा मे 600 से 800 रुपए में बिक्री होती है. तस्कर द्वारा नदी किनारे परकोपाइन को अल सुबह व देर संध्या बेलचा की सहायता से खोद कर गिरा दिया जाता है. फिर से बाजार में अवैध रूप से बेच दिया जाता है.

क्या होता है परकोपाइन पिलर
नदी किनारे के तटबंध को बचाने के लिए व पानी के बहाव को रोकने के लिए बालू, गिट्टी, सीमेंट व रड का प्रयोग कर तीन पिलरों को त्रिभुजाकार बना नट बोल्ट के सहारे कस कर बनाए गए त्रिखुट्टी को परकोपाइन पिलर कहा जाता है. परकोपाइन के बीच में बांस को डाल बालू गिट्टी का मिश्रण डाल कर तटबंध को क्षतिग्रस्त होने से रोका जाता है. यह कटाव निरोध कार्य है. एक सेट में छह पिलर होते हैं. इस वर्ष भी लगाए गए हैं हजारों पिलर इस वर्ष भी कोशी तटबंध अंतर्गत राजावास सबडिवीजन स्पर को मजबूती प्रदान करने के लिए सात हजार लगाया गया था. वहीं चक्रघट्टी सबडिवीजन में करीब 15 हजार परकोपाइन पिलर लगाये गये थे.

Web Title : FLOOD RESISTANT PERCOPENE PILLARS ALSO UPROOTED, THIEVES IN DANGER OF KOSI EMBANKMENT

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