न्यूरोलॉजिकल विकारों से पीड़ित मरीजों के लिए 1 फरवरी को निशुल्क स्टेमसेल थेरेपी शिविर 

मुजफ्फरपुर :  हाल. फिलहाल तक यही माना जाता था कि जन्म के दौरान मस्तिष्क को होनेवाली क्षति अपरिवर्तनीय होती है. हालांकि अब उभरते अनुसंधान के साथ हम यह जान गए हैं कि सेल थेरेपी का उपयोग कर क्षतिग्रस्त मस्तिष्क के ऊतकों की मरम्मत संभव है. वहीं आज भी भारत में बहुत से ऐसे लोग हैं जिन्होंने गर्भनाल रक्त बैंकों के माध्यम से अपने स्टेम कोशिकाओं को संरक्षित नहीं किया है. उन सभी रोगियों के लिए जिन्होंने न्यूरोलॉजिकल संबंधित विकारों के लिए एक नया इलाज खोजने की सारी उम्मीदें खो दी हैए वयस्क स्टेम सेल थेरेपी एक नई उम्मीद प्रदान करती है.

न्यूरोजेन ब्रेन ऐंड स्पाइन इंस्टीट्यूट बिहार में रहनेवाले न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर के सभी मरीजों के लिए 1 फरवरी 2020 को पटना में एक निःशुल्क कार्यशाला सह ओपीडी परामर्श शिविर का आयोजन कर रहा हैं. न्यूरोजेन को एहसास है कि स्पाइनल कॉर्ड इंजुरीए मस्क्युलर डिस्ट्रॉफीए ऑटिज्मए सेरेब्रल पाल्सी इत्यादि विकारों से पीड़ित मरीजों को सिर्फ परामर्श के उद्देश्य से मुंबई तक की यात्रा करना काफी तकलीफदेह होता हैए इसलिए मरीजों की सुविधा के लिए इस शिविर का आयोजन किया जा रहा है. असाध्य न्यूरोलॉजिकल विकारों से पीड़ित मरीज इस निःशुल्क शिविर में परामर्श हेतु समय लेने के लिए पुष्कला से 09821529653/ 09920200400 पर संपर्क कर सकते हैं.

न्यूरोजेन ब्रेन ऐंड स्पाइन इंस्टीट्यूट के निदेशकए एलटीएमजी अस्पताल व एलटीएम मेडिकल कॉलेज सायन के प्रोफेसर व न्यूरोसर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. आलोक शर्मा ने कहा ष्ष्आटिज्मए सेरेब्रल पाल्सी, मानसिक मंदता, मस्कयुलर डिट्रॉफी, रीढ़ की हड्डी में चोट, लकवा, ब्रेन स्ट्रोक, सेरेब्रेलर एटाक्सिया ;अनुमस्तिष्क गतिभंगद्ध और अन्य न्यूरोलॉजिकल ;मस्तिष्क संबंधी विकार जैसी स्थितियों में स्टेम सेल थेरेपी उपचार के नए विकल्प के तौर पर उभर रही है. इस उपचार में आण्विक संरचनात्मक और कार्यात्मक स्तर पर क्षतिग्रस्त तंत्रिका ऊतकों की मरम्मत करने की क्षमता है.

न्यूरोजेन ब्रेन ऐंड स्पाइन इंस्टीट्यूट की उपनिदेशक व मेडिकल सेवाओं की प्रमुख डॉ नंदिनी गोकुलचंद्रन ने कहा न्यूरोजेन ब्रेन ऐंड स्पाइन इंस्टीट्यूट में दी जानेवाली स्टेम सेल थेरेपी एससीटी बेहद सरल और सुरक्षित प्रक्रिया है. इस प्रक्रिया में एक सुई की मदद से मरीज के स्वयं के बोन मैरो अस्थि मज्जा से स्टेम सेल ली जाती हैं और प्रसंस्करण के बाद उसके स्पाइनल फ्लुइड रीढ़ की हड्डी में तरल पदार्थ में वापस इंजेक्ट की जाती हैं. चूंकि इन कोशिकाओं को मरीज के शरीर से ही लिया जाता है ऐसे में रिजेक्शन अस्वीकृति और साइड इफेक्ट दुष्प्रभाव का खतरा नहीं रहता है जो एससीटी को पूरी तरह से एक सुरक्षित प्रक्रिया बनाता है.


डॉ. नंदिनी गोकुलचंद्रन ने आगे कहा सेरेब्रल पाल्सी मस्तिष्क पक्षाघात पैदा हुए प्रति एक हजार बच्चों में से हर तीन में से एक को प्रभावित करती है. हालांकि कम वजन के साथ और समय से पहले जन्मे शिशुओं में इसका प्रभाव ज्यादा देखा गया है. सेरेब्रल पाल्सी के अधिकांश कारणों का विशिष्ट उपचारात्मक इलाज नहीं है. हालांकि सेरेब्रल पाल्सी से प्रभावित बच्चों में कई ऐसी चिकित्सा समस्याएं मौजूद होती हैं जिनका इलाज किया जा सकता है या जिनकी रोकथाम की जा सकती है. उपचार के प्रारंभिक चरण में एक इंटरडिसिप्लीनरी टीम शामिल होती हैए जिसमें एक बाल रोग विशेषज्ञ खासकर न्यूरो डेवलपमेंट विकारों के अनुभवी एक न्यूरोलॉजिस्टया अन्य न्यूरोलॉजिकल प्रैक्टिशनर एक मानसिक स्वास्थ्य चिकित्सक एक आर्थोपेडिक सर्जन एक फिजिकल थेरेपिस्ट भौतिक चिकित्सकएक स्पीच थेरेपिस्ट और एक ऑक्युपेशनल थेरेपिस्ट का शुमार होता है. प्रभावित बच्चे के उपचार में टीम के हर सदस्य की महत्वपूर्ण भूमिका और स्वतंत्र योगदान होता है. हालांकि ये उपचार विकल्प इन मरीजों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने में सहायक होते हैंए लेकिन समस्या को जड़ से खत्म करने में कारगर नहीं होते हैं. मॉडर्न मेडिकल साइंस और अनुसंधानों से सेरेब्रल पाल्सी में स्टेम सेल के जरिए विनाशकारी प्रभावों को नियंत्रित करने की क्षमता स्पष्ट हुई है.

डॉ. नंदिनी गोकुलचंद्रन ने आगे कहा अमन और वृषांक को आत्मनिर्भर बच्चे के रूप में देखकर हमें बेहद खुशी है. न्यूरो रीजेनरेटिव रिहैबिलिटेशन थेरेपी मरीजों के जीवन को बदलकर रख देनेवाले सुधार लाती है. यदि चिकित्सा एक या दो वर्ष की आयु में की जाती हैए तो यह बच्चे को विकार से तेजी से छुटकारा पाने में कारगर होता है. एनआरआरटी अभिभावकों के संघर्षों में सकारात्मकता और प्रेरकता लाकर निश्चित तौर पर उनके जीवन में भी बदलाव लाती है.

आज हम सेरेब्रल पाल्सी से पीड़ित डेढ़ साल के बच्चे वृषांक का मामला पेश कर रहे हैं. वृषांक की मां रूनाश्री अपनी गर्भावस्था के दौरान बहुत श्रमशील थीं और नियमित रूप से जांच. पड़ताल कराती थीं. 7 वें महीने के दौरान सभी रिपोर्ट सामान्य आने के कारण उन्होंने अपनी नौकरी जारी रखी. नियमित परीक्षण प्रक्रिया के तहत 8 वें महीने के दौरान उन्हें सोनोग्राफी से गुजरना पड़ा और कुछ और परीक्षण करने का सुझाव दिया गया. बच्चे के घूम जाने के अलावा भ्रूण अवरण द्रव में कमी व बच्चे के गर्दन के चारों ओर लिपटी गर्भनाल की समस्या पाई गई. बच्चे की सुरक्षा के लिए उन्हें सिजेरियन डिलीवरी से गुजरने का सुझाव दिया गया. प्रसव सफल रहा. हालांकि वृषांक का वजन थोड़ा कम थाए लेकिन वह स्वस्थ था. जन्म के तुरंत बाद प्रतिक्रियात्मक रूप में उसने रुदन किया.

जन्म के तीसरे दिन दूध पिलाने के बाद वृषांक को बिना डकार दिलाए सुला दिया गया. बाद में वृषांक अचानक झटके के साथ उठ गया और असामान्य रूप से रोने लगा. बाल रोग विशेषज्ञ से तुरंत परामर्श करने के बादए श्वासनली से फेफड़े में दूध चले जाने और फलस्वरूप दम घुटने की समस्या का निदान होने पर उसे एनआईसीयू में भर्ती कराया गया. वृषांक ने अगले 24 दिन एनआईसीयू में बिताए और घर जाने पर उसमें लगातार सुधार दिखाई दे रहा था.

तीसरे महीने के दौरान वृषांक की मां ने अचानक दौरे पर ध्यान दिया और अपने पारिवारिक डॉक्टर से सलाह ली. वृषांक का जन्म समय से पहले पैदा हुए शिशु प्री मेच्योर बेबी के रूप में हुआ कहा गया कि यह समस्या धीरे. धीरे कम होने की उम्मीद थी. हालांकि समस्या कम नहीं होने पर यानी मांसपेशियों में जकड़न के साथ प्रतिदिन 50. 60 बार झटके लगने कीसमस्या होने पर वृषांक की मां ने पुनरू डॉक्टर से सलाह ली और लगे हाथ दिल्ली के डॉक्टर से भी परामर्श किया. परामर्श के आधार पर पटना में ईईजी और एमआरआई कराए जाने पर सेरेब्रल पाल्सी के साथ. साथ दौरा पड़ने की गंभीर स्थिति जिसे वेस्ट सिंड्रोम के रूप में जाना जाता हैए की पुष्टि की गई. वृषांक को दौरे और समग्र शारीरिक विकास को नियंत्रित करने के लिए भारी दवाओं पर रखा गया था. फिजियोथेरेपी भी समानांतर रूप से शुरू की गई थी.

इस दौरान वृषांक की मां नए तरीके और उपचार खोजती रहीं और इस प्रयास में इंटरनेट पर उन्हें न्यूरोजेन ब्रेन ऐंड स्पाइन इंस्टीट्यूट का विवरण मिला. इसके बाद उन्होंने मुंबई के अपने एक रिश्तेदार से नवी मुंबई स्थित केंद्र पर जाकर उपचार का सारा विवरण जानने का आग्रह किया और खुद भी मुंबई आने की तैयारी करने लगीं. इसी दौरान उन्हें न्यूरोजेन बीएसआई की ओर से पटना में आयोजित होने जा रहे निरूशुल्क चिकित्सा शिविर के बारे में पता चलाए तो वे वहां पहुंच गईं. डॉ. नंदिनी गोकुलचंद्रन न्यूरोजेन बीएसआई की उप निदेशकद्ध से परामर्श लेने के बाद वृषांक को उपचार के लिए न्यूरोजेन बीएसआई लाया गया.

न्यूरोजेन बीएसआई में 7 दिनों तक वृषांक का एनआरआरटी न्यूरो रीजेनरेटिव रिहेबिलिटेशन थेरेपी उपचार चलाए जो स्टेम सेल थेरेपी के बाद पुनर्वास का संयोजन है जिसमें फिजियोथेरेपी, ऑक्युपेशनल थेरेपीए एक्वाटिक थेरेपीए एप्लाइड बिहेवियरल एनालिसिसए स्पीच थेरेपी आदि शामिल है.

परीक्षण करने पर वृषांक में मुख्य रूप से ये समस्याएं पाई गईं कि उसका नेत्र-नियंत्रण कमजोर था और एकाग्रता की अवधि कम थी. नेत्र संपर्क नदारद था. गर्दन और धड़ पर नियंत्रण कमजोर था. बिस्तर पर करवट लेने या गति करने में समस्या थी. भोजन को निगल नहीं सकता था. शरीर की भाव. भंगिमा अनुचित थी.

न्यूरोजेन में एक स्वनिर्धारित पुनर्वास कार्यक्रम के साथ वृषांक का स्टेम सेल थेरेपी उपचार आरंभ हुआ. पुनर्वास कार्यक्रम का उद्देश्य विघटन और चाल प्रशिक्षण विकसित करनाए थेरेपी के जरिए बिना थकान के प्रभावित क्षेत्रों की ताकत बढ़ाना और मरीज की समग्र सहनशक्ति बढ़ाना था. उसे ऐसे एक्सरसाइज कराए गए जिससे उसके संतुलनए चलनेए सीढ़ियां चढ़ने, संज्ञान, आसन और उसकी पकड़ को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी. ये एक्सरसाइज मरीज को पर्याप्त आराम के अंतराल के साथ एक व्यवस्थित पैटर्न में कराए जाते हैं. कुल मिलाकर पुनर्वास कार्यक्रम का उद्देश्य उसके जीवन की समग्र गुणवत्ता में सुधार लाना था. श्री सुमन कुमार सिंह और श्रीमती रूनाश्री  को न्यूरोजेन की स्टेम सेल थेरेपी से नई उम्मीद मिली है. घर वापस जाने पर इसी तरह की चिकित्सा जारी रही.

न्यूरो रीजेनरेटिव रिहेबिलिटेशन थेरेपी के बाद वृषांक में मुख्य सुधार यह देखा गया कि गर्दन को संभाल पाने की उसकी क्षमता में व्यापक सुधार आया है. एकाग्रता और नेत्र. संपर्क में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है. अब वह बिस्तर पर मुड़ने और गति करने में सक्षम है. सोते समय या बिस्तर में लेटते ही स्थिति और करवट बदलने में सक्षम है. निगलने में सक्षम हो गया है और भोजन को चबाना भी शुरू कर दिया है. विभिन्न खाद्य पदार्थों और स्वादों के बीच अंतर कर पाने में सक्षम है. शरीर की भाव. भंगिमा बेहतर हुई है. न्यूनतम समर्थन के साथ बैठने और खड़े होने में सक्षम है. अब वह अपना नाम पुकारे ज्ाने पर और अन्य विभिन्न ध्वनियों की ओर आकृष्ट होता है.

वृषांक की मां रूनाश्री ने कहा स्टेम सेल थेरेपी ने मेरे बच्चे में सुधार को बढ़ावा दिया है. स्टेम सेल थेरेपी की अवधारणा अभी भी अज्ञात है और कई ऐसे लोगों को इसके बारे में जानकारी नहीं हैए जिन्हें इससे लाभ हो सकता है. इसलिए जागरूकता की अत्यधिक आवश्यकता है. मैं उपचार के इस नए रूप का तहेदिल से समर्थन करती हूं और इसकी सिफारिश करती हूंए जो उपचार के अन्य पारंपरिक रूपों के साथ अधिकतम लाभ प्रदान करता है.

कुछ ऐसे विकार होते हैं जिनमें उपलब्ध सर्वश्रेष्ठ मेडिकल और पुनर्वास उपचार के बाद भी आज तक मेडिकल साइंस अभिभावकों को मेडिकल और भौतिक लाक्षणिक मामले में संतोषजनक राहत देने या समाज के साथ एकीकृत होने का संबल प्रदान करने में पूर्णतरू सक्षम नहीं है. मानसिक मंदताए ऑॅटिज्म, सेरेब्रल पाल्सी, मस्क्युलर डिस्ट्राफी, लकवा आदि कुछ ऐसे ही विकार हैं. चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में प्रगति के विकास पर एक नजर डालने से पता चलता है कि मुश्किल लाइलाज बीमारियों का समाधान अक्सर मल्टी. डिसिप्लीनरी अप्रोच बहु अनुशासनिक दृष्टिकोणद्ध से मिलता है. यह तभी होता है जब लाइलाज या उपचार के लिहाज से मुश्किल विकारों के मामलों में अलग-अलग विशेषताओं के लोग अपने ज्ञानए कौशल और संसाधनों का संयुक्त प्रयोग करते हैं.

डॉ. आलोक शर्मा ने सारांश में कहा उन लाखों को मरीजों को जिन्हें हमने पहले कहा कि अब चिकित्सकीय रूप से आपकी बीमारी के लिए कुछ नहीं किया जा सकता हैए अब उचित विश्वास के साथ कह सकते हैं कि स्टेम सेल थेरेपी व न्यूरोरिहैबिलेशन की युग्मित चिकित्सा की उपलब्धता के साथ ष्अच्छे दिन आने वाले हैं.

Web Title : FREE STEMCELL THERAPY CAMP ON FEBRUARY 1 FOR PATIENTS SUFFERING FROM NEUROLOGICAL DISORDERS

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