मुंगेर के एक इलाके में पांच साल से किसी लड़के की शादी नहीं हुई है. लड़की वाले इस गांव में अपनी लड़की नहीं भेजना चाहते क्योंकि उन्हें असमय उसके सुहाग उजड़ने की चिंता रहती है. गांव के लोगों की मानें तो गांव के 50 से अधिक लड़के ऐसे हैं जिनकी शादी की उम्र तो हो चुकी है लेकिन किसी के हाथ अबतक पीले नहीं हुए हैं. एक लंबा अरसा हो गया है गांव में शहनाई नहीं बजी है.
मामला मुंगेर के नक्सल प्रभावित गांव पैसरा का है. यह काफी बड़ा एरिया है. लोग बताते हैं कि जिन बेटियों की शादी यहां हुई, उनके हसबैंड की असमय मौत हो गई. लोग नक्सलियों के भय से यहां के लड़के से अपनी बेटी के हाथ पीले नहीं करना चाहते. गांव के गौतम कोड़ा के भाई और बहन की भी काफी उम्र हो गयी पर कहीं शादी नहीं हो रही है. पैसरा के अलावा आसपास बंगलवा, सखौल, जतकुटिया, पैसरा, आजिमगंज आदि ऐसे गांव हैं जो विकास से भी काफी दूर है. बेटी की शादी तो किसी तरह दूसरी जगह जाकर कर लेते हैं, लेकिन बेटे की शादी करने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है
इन गांवों की जिन लड़कियों की शादी हो गई है वे मायके लौट कर कभी नहीं आई हैं. माता-पिता भी नहीं चाहते कि बेटियां कभी भी दामाद के साथ उनके घर आएं. वहीं दूसरी ओर माता पिता बेटों के फ्यूचर को लेकर भी चिंतित हैं.
बता दें कि इसी साल 24 जुलाई की रात नक्सलियों ने गांव के एक शख्स की हत्या पुलिस मुखबिर बताकर कर दी थी. शख्स की शादी कुछ महीने पहले ही हुई थी. इससे दो साल पहले भी एक चौकीदार की गला रेत कर हत्या कर दी थी. गांव के लोग बताते हैं कि ऐसी घटनाएं इन क्षेत्रों में आम है. नक्सली कब किसे अपना निशाना बना लेंगे कहा नहीं जा सकता है.