10 लाख का इनामी माओवादी गिरफ्तार, मरांडी के पुत्र सहित कई जगहों पर नरसंहार का है आरोपी

गिरिडीह : झारखंड जोनल कमेटी का सैक सदस्य 10 लाख का इनामी माओवादी नेमचंद महतो उर्फ साकेत उर्फ संजीव उर्फ डाॅक्टर की गिरफ्तारी से माओवादियों को बड़ा झटका लगा है. गिरफ्तार माओवादी नेमचंद चिराग के दस्ते के साथ गिरिडीह जिले के चर्चित चिलखारी नरसंहार में 17 ग्रामीणों की हत्या, भेलवाघाटी नरसंहार में झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के पुत्र अनूप मरांडी सहित 22 ग्रामीणों की हत्या का आरोपी है.

इसके अलावा गिरिडीह होमगार्ड कैंप पर हमला कर चार सुरक्षा जवानों की हत्या के बाद 183 रायफल लूटकांड, अजीडीह मोड़ पर कैदी वाहन पर हमला कर तीन जवानों की हत्या कर सात हार्डकोर माओवादियों को मुक्त कराने के अलावा मुंगेर के एसपी सुरेंद्र बाबू की हत्या सहित कई विध्वंसकारी घटनाओं को अंजाम देने का भी आरोपी है. इसके अलावा जोनल कमांडर अजय महतो उर्फ टाइगर के साथ भी कई नृशंस घटनाओं को अंजाम देने का वह आरोपी रहा है. लिहाजा नेमचंद महतो की गिरफ्तारी को गिरिडीह पुलिस बड़ी उपलब्धि मान रही है. फिलहाल, गिरफ्तार माओवादी से सघन पूछताछ की जा रही है. एएसपी दीपक कुमार ने बताया कि संगठन में जोनल कमेटी मेंबर के रूप में कार्य कर रहे नेमचंद की पुलिस को वर्षों से तलाश थी.

पुलिसिया पूछताछ में नेमचंद ने कबूल किया है कि पिछले छह साल तक संगठन से अलग रहने के बाद 15 दिन पूर्व ही उसने संगठन में वापसी की थी. गत दिनों अकबकीटांड़ में सुनील मांझी समेत तीन इनामी नक्सलियों के साथ 15 माआेवादियों की गिरफ्तारी के बाद संगठन काफी कमजोर पड़ा है और शीर्ष नेताओं में इसे लेकर भारी खलबली मची है.

लिहाजा पीरटांड़ में एक बार फिर नए जोश खरोस के साथ संगठन को मजबूत करने की जवाबदेही नेमचंद को दी गई थी. एक सप्ताह पूर्व उसने अकबकीटांड़ में बैठक भी की थी, जिसमें दर्जनों लोग शामिल हुए थे. बीते बुधवार को भी वह पीरटांड़ से जमुआ के दलोरीटांड़ पहुंचा, फिर वहां से वापस अपने घर बेंगाबाद के केंदुआगढ़ा लौट रहा था. इसी क्रम में एसपी को गुप्त सूचना मिली और और आनन-फानन में टीम गठित कर उसे दलोरीटांड़ से ही दबोच लिया गया.

एसपी सुरेंद्र झा व एएसपी दीपक कुमार ने बताया कि नेमचंद महतो के खिलाफ गिरिडीह के नगर थाना समेत 10 थानों में 10 नक्सली वारदातों के साथ आर्म्स एक्ट का केस दर्ज है. पुलिस पता लगा रही है कि नेमचंद के पास से बरामद रायफल कहां से लूटा गया था.

कई बड़ी नक्सली घटनाओं को अंजाम देनेवाला 32 वर्षीय माओवादी नेमचंद संगठन का काम छोड़ कर जमुआ के एक स्कूल में बतौर शिक्षक कक्षा 2 व 3 के छात्रों को पढ़ाता था. लेकिन किस स्कूल में वह शिक्षक था, पुलिस इसे गुप्त रखते हुए उसका तमाम प्रोफाइल खंगाल रही है. जिस स्कूल में वह शिक्षक की नौकरी कर रहा था, उस स्कूल से नेमचंद को प्रतिमाह 4 हजार रुपए वेतन भी मिलता था. पुलिस के मुताबिक संभवत: उस स्कूल प्रबंधन को भी यह जानकारी नहीं थी कि उनके स्कूल में पढ़ाने वाला शिक्षक नेमचंद न सिर्फ एक हार्डकोर माओवादी है, बल्कि नरसंहार में कई लोगों की जान ले चुका है. बेंगाबाद के केंदुआगढ़ा का रहने वाला माओवादी नेमचंद संगठन के शीर्ष नेताओं द्वारा पद नहीं दिए जाने के कारण कुछ महीनों से काफी नाराज चल रहा था. इसे लेकर उसने अलाकमान को संगठन छोड़ने तक की धमकी दे डाली थी.


Web Title : 10 LAKH BOUNTY OF MAOISTS ARRESTED, MANY PLACES INCLUDING MARANDIS SON ACCUSED OF GENOCIDE