एटक यूनियन कर्यालय में बैठक,जन जागरण को लेकर हुई चर्चा

बरेमो - केन्द्र की मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों का एक सारभूत मजदूर वर्ग को श्रम कानून के जरिए उन सभी लाभों और ट्रेड यूनियन अधिकारियों से वंचित करना है. जो उन्हें श्रम कानूनों के जरिए मिलते हैं और जिन्हें भारत के मजदूर वर्ग की पिछली कई पीढ़ियों ने अनगिनत संघर्षों बलिदानों के बाद हासिल किया था. भाजपा सरकार को सत्ता में लाने के लिए भारत की पूंजीपति वर्ग और विशेषकर कुछ कारपोरेट घरानों ने सक्रिय भूमिका निभाई थी सरकार के सत्ता में आते ही उन्होंने भाजपा सरकार पर जोर डालना शुरू कर दिया कि जिस तरह वह चाहते हैं श्रम कानूनों में उस वक़्त से संशोधन किए जाए उनका नमक अदा करने के लिए सरकार ने सत्ता में आने के 3 महीने पूरे होने से पहले ही तीन कानून फैक्ट्री कानून 1948 अप्रेंटिस कानून 1961 और श्रम कानून कुछ संस्थानों को रिटर्न जमा करने और रजिस्टर रखने से कानून 1988 में संशोधन को स्वीकृति दे दी. और उसके बाद अन्य श्रम कानूनों में भी संशोधन का सिलसिला शुरू हो गया कोयला मजदूरों की संख्या में कटौती की जा रही है मृत मजदूरों के आश्रितों के नौकरी से वंचित करने के लिए तरह-तरह की शर्तें लगाई जा रही है हजारों मजदूरों जो बीमारी से ग्रसित है उन्हें मेडिकल अनफिट की सुविधा से वंचित किया जा रहा है एवं उनके परिवार को भुखमरी के कगार पर लाकर छोड़ दिया गया है मोदी सरकार ने कोयला उद्योग एवं कोयला मजदूरों पर भी जबरदस्त हमला बोल दिया है ऑल इंडिया के 63 हजार करोड़ आरक्षित कोर्स को हड़प कर केंद्र सरकार ने कोल इंडिया को कंगाल तो बना दिया अब कमर्शियल माइनिंग की छूट देकर निजी खान मालिकों को खुले बाजार में कोयला बेचने की छूट दे दी है. अभी तक सरकार ने 20% शेर खुले मार्केट में बिक चुकी है तथा 10% शेयर बेचने की तैयारी कर रही है. उक्त बातें जरंगडीह स्थित एटक यूनियन कार्यालयके बैठक को संबोधित करते हुए महामंत्री यू सी डब्लू यू लखन लाल महतो ने कही. बैठक का मुख्य उद्देश जान जागरण मो लेकर चर्चा किया गया. बैठक की अध्यक्षता चन्द्रशेखर झा ने किया.

Web Title : ETC MEETING IN UNION KARAYALAY, DISCUSSIONS ON MASS AWAKENING