ईडी कस्टडी में इस्तीफा देने राजभवन पहुंचे थे हेमंत, राज्यपाल ने सोरेन के आरोप को किया खारिज

झारखंड के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने कहा कि हेमंत सोरेन ईडी हिरासत में मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र देने राजभवन पहुंचे थे. उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे का जो पत्र सौंपा है, उसमें भी यह उल्लेख किया है कि ईडी कस्टडी में रहने के कारण उन्होंने त्यागपत्र दिया. राज्यपाल ने गुरुवार को राजभवन में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि उन्होंने अपने संवैधानिक दायित्वों का निर्वहन करते हुए हर लोकतांत्रिक मानदंड का पूरी तरह से पालन किया और 26. 5 घंटे में दावे के मुताबिक चम्पाई सोरेन को सरकार बनाने का न्यौता दिया. उन्होंने कभी राष्ट्रपति शासन की अनुशंसा नहीं की.

राज्यपाल ने पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी और इस्तीफे में राजभवन की भूमिका होने के सत्तारूढ़ खेमे के आरोपों को खारिज किया है. ज्ञात है कि पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी विधानसभा में चम्पाई सरकार के विश्वास मत के पक्ष में बोलते हुए अपनी गिरफ्तारी में राजभवन की भूमिका का आरोप लगाया था. सत्ताधारी दलों के सदस्यों ने भी इस प्रकार के आरोप राजभवन पर लगाए हैं.  

राज्यपाल ने कहा कि 31 दिसंबर को सबसे पहले ईडी की ओर से हेमंत सोरेन को हिरासत में लिए जाने की सूचना राजभवन के प्रधान सचिव को दी गई. इसके बाद मुख्यमंत्री सचिवालय की ओर से सूचना आई कि कस्टडी में होने के कारण हेमंत सोरेन इस्तीफा देने के लिए राजभवन आना चाहते हैं. मुख्य सचिव की ओर से फोन कर बताया गया कि मुख्यमंत्री कुछ अन्य वरिष्ठ मंत्रियों के साथ राजभवन आना चाहते हैं. प्रारंभ में उन्होंने तीन लोगों के साथ हेमंत सोरेन को राजभवन बुलाया. कुछ और लोगों के लिए अनुमति मांगने पर पांच लोगों को आने की इजाजत दी गई.  

सरकार का दावा पेश करने की बात इस्तीफे के समय नहीं
राज्यपाल ने कहा कि उन्होंने कभी नहीं कहा कि हेमंत सोरेन के साथ कौन आएगा कौन नहीं. उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें पहले सूचना नहीं दी गई थी कि हेमंत के साथ आनेवाले विधायक सरकार बनाने का दावा करेंगे. अचानक उन्होंने 47 में से 43 विधायकों का समर्थन होने की बात कहते हुए दावा प्रस्तुत कर दिया. इसपर उन्होंने अगले दिन निर्णय लेकर सूचना देने की बात कही. राज्यपाल ने कहा कि जब हेमंत सोरेन राजभवन इस्तीफा देने आए थे तो दो-तीन लोग उनके बगल में खड़े थे. राज्यपाल के अनुसार, वे नहीं जानते थे कि वे कौन लोग थे. ईडी के अधिकारियों को भी वे नहीं पहचानते. अब भी नहीं पहचान सकेंगे.  

सरकार को समर्थन नहीं देने के गुमनाम फोन आए  
गवर्नर ने नई सरकार गठन में विलंब के संबंध में कहा कि हेमंत सोरेन के त्यागपत्र देने के बाद उनके पास दो गुमनाम फोन आए. इनमें कहा गया कि वे सरकार को अपना समर्थन नहीं देंगे. पूरे घटनाक्रम के कारण असाधरण स्थिति सामने थी. उन्होंने कानून के जानकारों से राय ली. राय मिलते ही उन्होंने एक फरवरी की रात 11 बजे चम्पाई सोरेन को राजभवन बुलाया, लेकिन उनके साथ कांग्रेस के एक विधायक भी राजभवन पहुंचे. चंपाई सोरेन ने कहा कि वे दो फरवरी को शपथ लेना चाहते है. इसके बाद उन्हें सीएम के रूप में दो फरवरी को शपथ दिलाई गई और दस दिनों के अंदर बहुमत साबित करने के लिए कहा गया.  

बिहार से अलग झारखंड में थी स्थिति
बिहार में चार घंटे में नई सरकार बनने तथा झारखंड में देरी के आरोंपों पर राज्यपाल ने कहा कि बिहार में नीतीश कुमार को ईडी ने हिरासत में नहीं लिया था. न ही नीतीश कुमार दो दिनों से गायब थे. इसलिए वहां के राज्यपाल ने उन्हें तुरंत मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी. झारखंड की परिस्थितियां असाधारण थीं. कहा कि अगर लोग राजनीतिक लाभ लेने के लिए कुछ करना चाहते हैं तो इसमें वह क्या कर सकते हैं.  

बंद लिफाफे को भी देखेंगे
हेमंत सोरेन के आफिस आफ प्राफिट मामले में उन्होंने कहा कि वे चुनाव आयोग के बंद लिफाफे को भी देखेंगे. उन्होंने कहा कि विधानसभा में वह अभिभाषण में सरकार की उपलब्धियां ही रख रहे थे. सत्ता पक्ष ने अपनी ही सरकार का जिस तरह का विरोध किया, वह अजीब था. उन्हें लगा कि गवर्नर लौट जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं है. वह अपनी ड्यूटी मरते दम तक निभाएंगे. हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन से यह पूछना चाहिए कि उन्होंने इतना लंबा भाषण क्यों तैयार करवाया.  

Web Title : GOVERNOR REJECTS SORENS ALLEGATION THAT HEMANT REACHED RAJ BHAVAN TO RESIGN IN ED CUSTODY

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