बेरमो : झारखण्ड बने हुए 19 साल होने को है पर झारखंडियों का जीवन स्तर वंही का वंही रह गया. जब झारखण्ड राज्य अलग हुआ तब पूरे राज्य में एक खुसी का लहर दौड़ पड़ी थी कि अब राज्य का कायाकल्प होगा, लेकिन जितने भी झारखण्डी मंत्री संतरी बने वे दोनो हांथो से राज्य को लूटने में लग गए और बाद में खुद भी जेल की हवा खा गए.
जी हां हम बात आज इसलिए कर रहे की आदिवासी हो या दलित किसी का जीवन मे बदलाव नही आया. आज भी लाखों लोग दातुन पता बेच कर अपना घर चलाने को मजबूर है. और लोहे का काम कर रहे विजय लोहार जो बेरमो के सण्डे बाजार में अपना दुकान लगाते हैं उस दुकान में लोहे का सामान बनाकर बेचते हैं.
उन्होंने कहा कि सरकार की तरफ से उनके कारीगरी का कोई लाभ नही मिल पाता है, अब तो दुकान भी नही चलती है, कैसे गुजारा चलेगा. इतनी महंगाई में तो हमारा कमाई इतनी कम है कि रोज दो किलो चावल का भी दाम नहीं निकल पाता है अब तो पलायन ही एक रास्ता है.