राजनीतिक दलों में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा, कांग्रेस में रूठे-रूठे विश्वेश्वर भगत, रमेश लांजी छोड़ बालाघाट में कर रहे प्रचार, वारासिवनी में भाजपा के कई बड़े नेता घर बैठे

बालाघाट. मध्यप्रदेश आम चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो गई है. अब मतदान को महज 11 दिन शेष है, इससे पूर्व राजनीतिक दलों का प्रचार का जोर बढ़ने लगा है, सभी राजनीतिक दलों ने प्रचार में अपनी ताकत झोंक दी है, कोई भी प्रचार और जनता से मुलाकात में पीछे नहीं रहना चाहता है, कोरोना में जैसी इमरजेंसी में ही लोग घर से बाहर निकालते थे, वैसे ही प्रत्याशी बड़ी ही इमरजेंसी में क्षेत्र छोड़ रहे है अन्यथा सभी बड़े और छोटे राजनीतिक प्र्रतिनिधियों ने अपने विधानसभा में ही डेरा डाल दिया है और जनता के बीच पहुंचकर, आशीर्वाद मांग रहे है, लेकिन इन सबके बीच बड़े राजनीतिक दल, भाजपा, कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है.  

कांग्रेस में जहां पूर्व सांसद विश्वेश्वर भगत, रूठे-रूठे से नजर आ रहे है तो मनाने के बाद भी वह उस मन से माने हो, ऐसा दिखाई नहीं देता है. पूर्व सांसद विश्वेश्वर भगत के कटंगी में आयोजित 04 नवंबर को कांग्रेस की बड़ी सभा में नजर नहीं आने पर जिले की कांग्रेस राजनीति में तूफान मच गया. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नाराज हो गए तो पूर्व सांसद को मनाने कांग्रेस के बड़े नेता मनुहार करने लगे, अंततः उन्होंने कह दिया कि यदि वह माने तो इसका मीडिया में बखान भी होना चाहिए और जैसा पूर्व सांसद विश्वेश्वर भगत चाहते थे कि मीडिया की भीड़ के आगे वह दिखाई दे तो कांग्रेस ने उनके लिए मीडिया की बारात खड़ी कर दी. फिर क्या था, कांग्रेस की सभा में नहीं आने और पूर्व सांसद की नाराजगी को लेकर मीडिया के सामने कांग्रेस के कनिष्ठ नेताओं ने उनको लेकर, जमकर कसीदे पढ़े, जिनके जनसभा में नहीं पहुंचने की वजह उनका फेक्चर होना बताया गया, यही नहीं मीडिया के सामने कथित प्रायोजित रूप से बड़े नेता की मोबाईल चर्चा को भी बड़े ही अंदाज में पेश किया गया, लेकिन पूर्व सांसद भाऊ हमारे कहीं से भी फेक्चर जैसी स्थिति में दिखाई देने वाले मरीज के रूप में नजर नही आए, बल्कि वह तो मस्त-मौला के रूप में दिखाई दिए. बातो ही बातो में कह दिया कि वह थोड़ा-थोड़ा प्रचार संभाल लेंगे. यही नहीं बल्कि उन्होंने प्रत्याशी को सेकंडरी और कमलनाथ को प्रायमरी भी बता दिया.

बात करें भाजपा की तो यहां एक नहीं बल्कि दो-दो जगह नेताओ की नाराजगी साफ दिखाई दे रही है. पहले बात करें लांजी विधानसभा के पूर्व विधायक रमेश भटेरे की तो यहां टिकिट घोषणा के बाद, विरोध के बड़े योद्धा के रूप में दिखाई दिए और ऐसी धमक दिखाई की लगा कि वह जमीन और आसमान एक कर देंगे. बदलेंगे.. बदलेंगे.. बदलेंगे.. का ऐसा डायलॉग मारा की एक बार तो लगा कि वह चांद से तारे तोड़ लाएंगे लेकिन समय बीतने के बाद उनके लिए अंगूर खट्टे है जैसी स्थिति हो गई और आज वह अपनी विधानसभा और अपने समर्थकों को छोड़कर बालाघाट विधानसभा की खाक छान रहे है. बताया जाता है कि अपने प्रेरणास्त्रोत गौरीशंकर बिसेन के चुनाव प्रचार में इन दिनों वह बालाधाट में प्रचार कर रहे हैं. इसे कहते है लौट के बुद्धु घर को आए.  

जिले की दूसरी बड़ी वारासिवनी विधानसभा में प्रदीप जायसवाल के पहले प्रवेश और बाद में टिकिट के खिलाफ लामबंद दिखाई दिए, भाजपाई समय के साथ एक-एक कर जुड़ते जा रहे है. जिसमें तो कुछ एक का मानना है कि हमारे लिए पार्टी पहले प्रत्याशी बाद में है, कल तक जिसकी खिलाफत में खड़े थे, आज उसके समर्थन में वह ना केवल फोटो बल्कि खबरो में आने वाले नामो में भी आगे है, लेकिन कुछ ऐसे भी है, जो इससे दूर घर बैठ गए है. संभवतः उन भाजपाईयों के लिए प्रत्याशी पहले और पार्टी बाद में है या फिर वह स्वाभिमानी है, जिन्हें स्वाभिमान के आगे झुकना मंजूर नहीं है. उन्हें परिस्थिति से समझौता तो मंजूर है लेकिन परिस्थिति के साथ चलना मंजूर नहीं है. फिलहाल यह सभी घटनाक्रम, भविष्य में पार्टी की राजनीति में कितना गहरा प्रभाव डालेंगे तो यह तो वक्त ही बताएगा लेकिन राजनीतिक पार्टी में सब कुछ अच्छा नहीं चल रहा है, यह तो पक्का है.


Web Title : ALL IS NOT WELL IN POLITICAL PARTIES, VISHWESHWAR BHAGAT, RAMESH LANJI LEAVING CONGRESS AND CAMPAIGNING IN BALAGHAT, MANY BIG BJP LEADERS SITTING AT HOME IN WARASIWANI.