सोनेवानी जंगल क्षेत्र में मृत मिला शावक बाघ, बाघो के बीच संघर्ष से मौत, जांच में जुटा वन अमला

बालाघाट. जिले के जंगलो में बाघो की बहुतायत का अंदाजा, इसी बात से लगाया जा सकता है कि हिंसक वन्यप्राणी बाघ की मौत के मामले बीते कुछ समय से लगातार सुर्खियो में है, लामता और वारासिवनी क्षेत्र के बाद लालबर्रा वन परिक्षेत्र के सोनेवानी जंगल के कक्ष क्रमांक 430, चिखलाबड्डी मार्ग पर अव्यवस्क (लगभग 3 साल) नर बाघ की मौत हो गई. हालांकि वन्यप्राणी चिकित्सक और वन्यजीव प्रेमी, इसे बाघो के बीच संघर्ष से मौत होने की बात कर रहे है, वहीं मामले में वनविभाग ने मृतक अव्यवस्क नरबाघ का पीएम करवाकर उसका बिसरा बरामद कर लिया है, जिसकी रिपोर्ट के बाद ही, शावक बाघ की मौत का पता चल पायेगा. हालांकि यह घटना दुःखद है लेकिन इसका सुखद पहलु यह भी है कि जंगलो में बाघो की संख्या बढ़ रही है, जिससे बाघो के बीच इलाका और भोजन को लेकर संघर्ष लाजिमी है.

3 अप्रैल की सुबह लगभग 9 बजे वनविभाग को सूचना मिली कि लालबर्रा वन परिक्षेत्र के सोनेवानी क्षेत्र के चिखलाबड्डी मार्ग पर बाघ का शव पड़ा है. जिसके बाद वन विभाग का अमला घटनास्थल पहुंचा. जहां वनविभाग ने अव्यवस्क नर बाघ का शव बरामद किया. जिसके बाद नियमानुसार वनविभाग ने वन्यजीव चिकित्सक, पशु चिकित्सकों की टीम बुलाकर उसका पोस्टमार्टम करवाया. इसके साथ ही किसी अनजान आशंका के चलते वनविभाग की टीम ने डॉग स्कॉड की मदद से घटनास्थल की भी जांच की.  

मिली जानकारी अनुसार लालबर्रा क्षेत्र के सोनेवानी क्षेत्र को अनुभव क्षेत्र के रूप में विकसित किया जा रहा है, जहां फीस के माध्यम से पर्यटकों को वनविहार कराया जाता है, बताया जाता है कि यहां बड़ी संख्या में वन्यजीव है. वहीं सोनेवानी अभ्यारण्य संघर्ष समिति, इस क्षेत्र को वन्यजीव बाघो के साथ ही अन्य वन्यजीवों की उपलब्धता के कारण, इसे सेंचुरी घोषित किये जाने को लेकर संघर्षरत है, ताकि और अच्छे तरीके से इस क्षेत्र को संरक्षित किया जा सके. चूंकि इस क्षेत्र में बाघ की बहुलता ज्यादा होने से पर्यटक भी यहां खींचे चले आते है. जिससे वनविभाग को एक अच्छी आय हो रही है. हालांकि जानकार यह भी बताते है कि इस क्षेत्र को अच्छे से संरक्षित करने के लिए यहां निवासरत लोगों को विस्थापित भी किया जाना चाहिये, ताकि वन्यजीवो को एक बड़ा क्षेत्र, विचरण के लिए मिल सके, लेकिन सूत्रों की मानें तो विभाग, इस ओर उतनी गंभीरता नहीं दिखा रहा है, जितना गंभीर उसे वन्यजीवों की जंगल में बढ़ती संख्या को लेकर होना चाहिये.  

फिलहाल 3 अप्रैल को जो मृत अव्यवस्क बाघ का शव वनविभाग ने बरामद किया है, उसकी मौत, बाघो के आपसी संघर्ष से होने की बात कही जा रही है. चूंकि वन्यजीव चिकित्सक के अनुसार अव्यवस्क बाघ की सिर की हड्टी टूटी है, जो लगता है कि किसी वयस्क बाघ ने उसे संघर्ष में तोड़ दिया है, जिससे अव्यवस्क बाघ की मौत हो गई. वहीं यह भी बात सामने आ रही है कि वनो में आग के कारण वन्यजीव एक जगह पर आकर सिमट गये है, जिससे भी ऐसी घटना की संभावना जताई जा रही है.

बहरहाल मृत शावक की जानकारी के बाद सीसीएफ सुरेन्द्र कुमार सनोडिया, वनमंडलाधिकारी अमित पटौदी, डीएफओ श्री वरकड़े, पेंच टाईगर रिजर्व से पहुंचे वन्यप्राणी चिकित्सक डॉ. अखिलेश पांडे, पशु चिकित्सक डॉ. घनश्याम परते, रेंजर नितिन पंवार की मौजूदगी में नियमानुसार पीएम के बाद बिसरा बरामद कर बाघ के शव का अंतिम संस्कार कर दिया.

मृत बाघ के शव पर ग्रामीण ने चढ़ाया रूपया

जब अधिकारी मृत बाघ का निरीक्षण कर रहे थे, इस दौरान ही नयागांव निवासी ग्रामीण पतिराम वट्टी, यहां पहुंचा और मृत बाघ के शव पर 50 रूपये का नोट चलाया. ग्रामीण के इस तरह से रूपये चढ़ाये जाने के पीछे, जब वन अधिकारियों ने इससे चर्चा की तो उन्होंने बताया कि वह आदिवासी गोंड समुदाय से संबंध रखता है और बाघ हमारे लिए बाघदेव के रूप में पूज्य है, जिसके चलते उसने यह श्रद्वास्वरूप 50 रूपये अर्पित किये है.

इनका कहना है

सुबह 9. 30 बजे लालबर्रा परिक्षेत्र के सोनेवानी चिखलाबड्डी मार्ग पर बाघ के मृत होने की सूचना मिली थी. जिसके बाद नियमानुसार डॉक्टर और डॉग स्कॉट की टीम से परीक्षण कराया गया. जिसकी रिपोर्ट के आधार पर कार्यवाही की जायेगी. प्रथमदृष्टया यह संघर्ष से मौत होना प्रतित होता है लेकिन जब तक पीएम रिपोर्ट नहीं आ जाती, तब तक कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा. हमारा प्रयास है कि वन्यजीव अनुभव क्षेत्र को सेंचुरी का दर्जा दिलाया जाये.

सुरेन्द्र कुमार सनोडिया, मुख्य वन संरक्षक

प्रथमदृष्टया, यह बाघो के बीच संघर्ष से मौत है. जब कभी अव्यवस्क बाघ, बड़े बाघ के सामने आ जाता है तो अक्सर संघर्ष होता है, इसमें भी बाघो के बीच संघर्ष हुआ है और हमेेशा की तरह अव्यवस्क बाघ की मौत हुई है. जिसकी सिर की हड्डी टूट गई थी. अव्यवस्क बाघ लगभग 3 साल का था. अक्सर बाघो के बीच इलाके और भोजन के लिए संघर्ष होता है. यह अच्छी बात है कि बाघो के संरक्षण के कारण जिले में बाघो की संख्या बढ़ रही है.

डॉ. अखिलेश मिश्रा, वन्यप्राणी चिकित्सक, पेंच टाईगर रिजर्व

घटना दुःखद है लेकिन वाईल्फ लाईफ के अनुसार सुखद भी है. बाघो के बीच संघर्ष होना प्राकृतिक है और अक्सर होते रहते है, लेकिन सोनेवानी में पहली बार हुआ है. जंगल में आग की घटना से फर्क तो पड़ता है, जंगल में आग के कारण बाघ सिमट गये है. हम और विभाग लगातार प्रयासरत है कि सोनेवानी वन्यजीव अनुभव क्षेत्र को सेंचुरी का दर्जा मिल जायें और हमें उम्मीद है कि जल्द ही इसकी घोषणा होगी.

सिकंदर मिश्रा, अध्यक्ष, सोनेवानी अभ्यारण्य संघर्ष समिति

Web Title : CUB TIGER FOUND DEAD IN SONEWANI FOREST AREA, DEATH DUE TO CONFLICT BETWEEN TIGERS, FOREST OFFICIALS ENGAGED IN INVESTIGATION