ग्रामीण आदिवासी किसान की बेटी बनी कृषि विभाग में एडीओ, सफलता के लिए मेहनत और लगन जरूरी-यागनी टेकाम

बालाघाट. कहते हैं कि ‘‘यत्न करने से वीराने में भी सुमन जग जाते हैं जो फटे आंचल तो कच्चे धागों से भी सील जाते हैं, अगर उमंगों से भरा हो मन और कर्मों पर हो विश्वास तो मीरा को कृष्ण भी मिल जाते हैं’’ इन पंक्तियों को अपने जोश, उमंग और यत्न से साकार किया है, परसवाड़ा क्षेत्र के नारंगी उकवा निवासी यागनी तेकाम ने. आदिवासी किसान परिवार से आने वाली यागनी टेकाम ने कृषि में पीएचडी की, और अपने ही क्षेत्र में उसे कृषि विभाग में एडीओ के पद पर नियुक्ति मिली है. जिसके एडीओ बनने के बाद प्रथम बार ग्राम आगमन पर परिजनों, स्नेहीजनांे और ग्रामीणों ने ढोल, नगाड़ो की धुन और आतिशबाजी से स्वागत किया. ग्राम पहुंची यागनी तेकाम ने अपनी सफलता का श्रेय अपने परिजनों और गुरूजनों को दिया है.  यागनी तेकाम ने यह सफलता अपनी मेहनत और लगन से हासिल की है और उन आदिवासी परिवार के युवाओं के लिए प्रेरणा बनी है, जो आगे नहीं बढ़ पाते है.  

यागनी तेकाम के पिता पेश से किसान और मां प्राथमिकी शिक्षिका है. जिनके प्रोत्साहन से यागनी, ने यह सफलता अर्जित की है. मीडिया से चर्चा में यागनी तेकाम ने बताया कि उनकी प्राथमिक शिक्षा के उकवा के ग्राम नारंगी में हुई. जिसके बाद माध्यमिक शिक्षा नवोदय विद्यालय, कृषि स्नातक की पढ़ाई, जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर से की. जिसके उपरांत मैंने पीएचडी की. उन्होंने बताया कि पढ़ाई के दौरान उन्हें बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ा. यागनी ने कहा कि आदिवासी समाज की समस्याओं और पारिवारिक परिवेश के चलते समाज की बेटियां पीछे रह जाती हैं, लेकिन उन्हें याद रखना पड़ेगा कि अपने भविष्य की निर्माता वह स्वयं है, यदि कोई अपने लक्ष्य को पाने, मेहनत और लगन से प्रयास करता है तो सफलता अवश्य मिलती है.  


Web Title : DAUGHTER OF RURAL TRIBAL FARMER BECOMES ADO IN AGRICULTURE DEPARTMENT, HARD WORK AND DEDICATION NECESSARY FOR SUCCESS: YAGANI TEKAM