गांधी तुम बहुत याद आते हो

{डॉ. सी. एस. चतुरमोहता, हृदय रोग विशेषज्ञ, बालाघाट}

बालाघाट. सुनकर अटपटा तो लगेगा और ये बात सही भी है. मैंने गांधी जी को कभी देखा नहीं है. गांव और शहर के चौराहों पर गांधीजी को मूर्तिरूप या फिर नोटो पर छपी तस्वीर में ही देखा है. अगर आज गांधी जी जीवित होते तो आज वे 153 वर्ष के होते. आज गांधी जी के स्वर्गवास को 74 वर्ष हो चुके हैं, और एक निर्बल कृषकाय मात्र एक धोती लपटे व्यक्ति की चर्चा आज भी हो रही है, ये एक सोचने का विषय है? 

बचपन में पढ़ा था कि ‘‘मां खादी की एक चादर दे- दे मैं भी गांधी बन जाऊंगा’’ और फिर एक भजन ‘‘ ईश्वर अल्लाह तेरो नाम सबको सन्मति दे भगवान’’ तब लगता था कि एक ही आदर्श है और वो गांधी ही है. फिर एक दौर ऐसा आया जिसमे पूरी ताकत से ये प्रचारित किया जा रहा है कि गांधी जैसा व्याभिचारी स्वार्थी एवं सांप्रदायिक कोई और नहीं है.

गांधीजी अगर आपने साउथ अफ्रीका में एक अंग्रेज द्वारा ट्रेन से बाहर फेक दिए जाने पर आम हिंदुस्तानी मानसिकता की तरह अगर सहन कर कपड़े झाड़ कर चल दिए होते तो ये देश आज भी आजाद नहीं होता. आपने अहिंसात्मक असहयोग आंदोलन चलाया जिसके चलते अंग्रेजो ने आपको 6 वर्ष एवं 5 माह तक जेल में रखा. एक ऐसा साम्राज्य जिसके बारे में कहा जाता था कि इनके साम्राज्य का कभी सूरज नहीं डूबता. आपके आंदोलनों ने ब्रिटिश सरकार की नींव हिला डाली. वर्षों जेल में बंद रखने के बाद भी आपको जान से मारने की कोशिश नहीं की. इसके उलट आपकी हत्या का प्रयास आपके ही देशवासियों द्वारा किया गया एक दो बार नहीं पांच-पांच बार और अंत में वो सफल भी हुए. आपकी अंतिम तस्वीर को देखकर लगा की इतनी जर्जर काया में समाहित महामानव से वो कितने भयभीत थे. सबसे बड़ी बात तो यह थी आप पर गोली चलाने से पहले उसने आपके पैर छुए थे, ऐसा क्यों हुआ ये आज तक मेरी समझ मे नहीं आया.

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में आज भी गांधी दर्शन पढ़ाया जाता है, गाँधी पर आज भी शोध किये जा रहे है, साऊथ अफ्रीका में नेल्सन मंडेला नें आपके द्वारा प्रतिपादित अहिंसा एवं असहयोग आंदोलन चलाकर आजादी की लड़ाई लड़ी, और साउथ अफ्रीका को आजादी दिलाई. मार्टिन लूथर किंग को दूसरे गांधी की उपाधि दी गई थी.

ऐसा क्या है की आपकी उपलब्धधियों को कमतर करने का प्रयास लगातार किया जा रहा है, आपके द्वारा प्रतिपादित ग्राम स्वराज की अवधारणा सत्ता के विकेंद्रीयकरण  की ओर एक बड़ा कदम था, जिसके कारण ग्रामीण अंचलो का समग्र विकास होना संभव है.

आपका मानना था, की हिंदुस्तान की आत्मा गांव में बसती है, गांधी जी इन्होने आपका चश्मा तो ले लिया, परन्तु आपका नजरिया लेना भूल गए.     शहर के बड़े चौराहे पे लगी मुस्कुराती उपेक्षित मूर्ति को देख कर ऐसा लगता है, वह वर्तमान व्यवस्था का उपहास कर रही है, जो आपको जयंती और पुण्यतिथि पर माला पहनाने आते है वो आपको ठीक से जानते ही नहीं और जो आपकी आलोचना करते है वो तो बिलकुल भी नहीं जानते.

आपकी विचारधारा का विरोध करने वाले भरसक प्रयास करते है की आपकी छवि को जनमानस के हृदयपटल से मिटा दिया जाये, परन्तु ऐसा कर नहीं पर रहे है नोटों पर छपी आपकी तस्वीर को बदलने का कुत्सित प्रयास भी करने की कोशिश की पर वो सिर्फ आपकी तस्वीर का रंग ही बदल सके.

देश में प्रजातंत्र एवं सांप्रदायिक सदभाव को जिन्दा रखने के लिए हमें गांधी के मार्ग पर ही चलना होगा, और इसके लिए गांधी की आलोचना करने वाले और अनुसरण करने वाले दोनों को एक बार गांधी दर्शन एवं गांधी जी की जीवनी पढ़ना जरुरी है गंगा की धारा और गांधी जी के विचार इस देश में अविरल बहते रहेंगे, सत्ताएँ आती और जाती रहेंगी.. . ‘‘सत्यमेव-जयते’’



Web Title : GANDHI, YOU MISS YOU VERY MUCH