आज से शारदेय नवरात्र होंगे प्रारंभ, भव्य पंडालो में विराजेगी मां दुर्गा, मंदिरो में प्रज्जलवित होंगे कलश

बालाघाट. प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी नवरात्र पर्व जिले में पूरी आस्था, श्रद्वा और विश्वास के साथ भक्तिभाव से मनाया जायेगा.  आज 26 सितंबर सोमवार से शारदेय नवरात्र का प्रारंभ होने जा रहा है. नवरात्रि के दिनों में मां दुर्गा की अलग-अलग स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जायेगी. नवरात्र मंे भक्त माता रानी की विशेष कृपा पाने के लिए उपवास भी रखते हैं. मान्यता है कि मां दुर्गा अपने भक्तों के कष्टों को दूर करती हैं और मन की मुरादें पूरी करती हैं.  

प्रतिवर्ष मुख्यालय सहित पूरे जिले में नवरात्र पर्व बड़ी ही आस्था, विश्वास और श्रद्वाभाव के साथ उत्साह से मनाया जाता है. शहर में ही करीब 5 दर्जन स्थलों पर इस वर्ष  मां दुर्गा की प्रतिमा विराजित की जायेगी. इसके अलावा गांव-गांव में मां दुर्गा की प्रतिमा विराजित की जाकर भक्तिभाव से पूरे नौ-दिनों तक मातारानी की आराधना और उपासना की जायेगी. मां दुर्गा का उपासना और आराधना के पर्व नवरात्र को लेकर सार्वजनिक स्थलो में मां दुर्गा की प्रतिमा को विराजित करने के लिए दुर्गा पंडालों का भव्य निर्माण अंतिम दौर में है. वहीं देवी मंदिरो में रखे जाने वाले ज्योतिकलश और ज्वारें को लेकर भी तैयारिया लगभग पूरी हो गई. नवरात्र में मंदिरो और घरो मंे ज्वारे भी रखे जाते है, ऐसा माना जाता है कि नवरात्रि में ज्वारे के बिना मां दूर्गा की पूजा अधूरी मानी जाती है. शारदीय नवरात्रि हो या फिर गुप्त नवरात्रि या फिर चैत्र नवरात्रि, सभी नवरात्रि में ज्वारे का काफी महत्व होता है. मान्यता है कि कलश या घट स्थापना के साथ ही जौ बोये जाते हैं, क्योंकि इसके बिना मां दूर्गा की पूजा अधूरी मानी जाती है. जहां जिले में मां दुर्गा की प्रतिमा को विराजित करने के लिए पंडाल तैयार हो गये है, वहीं मूर्तिकार भी मां दुर्गा की प्रतिमाओ को अंतिम रूप देने में लगे है. बाजारो में नवरात्र पर्व को लेकर चहल-पहल देखी जा रही है. चूंकि नवरात्र पर बड़ी संख्या में हिन्दु धर्मावलंबी दो समय और एक समय का उपवास करते है.  हालांकि इस नवरात्र पर प्रशासन द्वारा मां दुर्गा की प्रतिमा की उंचाई को लेकर कोई दिशा निर्देश जारी नहीं किये गये है, लेकिन प्रशासन ने त्यौहारों को आपसी सद्भावना एवं भाईचारे के साथ मनाने की अपील जिलेवासियों से की गई है.  

आज से शुरू होगा मां आदिशक्ति की उपासना का पर्व शारदेय नवरात्र 

मां आदिशक्ति की उपासना का पर्व शारदेय नवरात्र आज से प्रारंभ हो रहा है, आज प्रथम दिन मां शैलपुत्री का पूजन किया जायेगा और पूरे नौ दिन मां के नौ स्वरूपों की पूजा अर्चना की जायेगी. देवी मंदिर और पंडालो में मां की आराधना की जायेगी. शारदेय नवरात्र में मंदिरो में प्रज्जलवित होने वाले मनोकामना ज्योति कलश और पंडालो में मां दुर्गा की प्रतिमा को विराजित करने की तैयारी पूरी हो गई है. सोमवार को शुभ मुहुर्त में देवी मंदिरो में कलश को प्रज्जलवित किया जायेगा. वहीं भव्य पंडाल में मां दुर्गा की मनोहारी प्रतिमा विराजित की जायेगी.  

हिंदू कैलेंडर के मुताबिक शारदीय नवरात्रि हर साल शरद ऋतु में अश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवरात्र का पर्व शुरू हो जाता हैं, जिसका विशेष महत्व है. नवरात्रि में नौ दिनों तक भक्त मां के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा-अर्चना करते हैं और मां को प्रसन्न करने के लिए व्रत भी किया जाता है. मान्यता है कि शारदीय नवरात्रि धर्म की अधर्म पर और सत्य की असत्य पर जीत का प्रतीक है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इन्हीं नौ दिनों में मां दुर्गा धरती पर आती है और धरती को उनका मायका कहा जाता है. उनके आने की खुशी में इन दिनों को दुर्गा उत्सव के तौर पर देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है. श्रद्धालु पहले दिन कलश स्थापना कर इन नौ दिनों तक व्रत-उपवास करते हैं. नवरात्र में मंदिरो और घरो मंे ज्वारे भी रखे जाते है, 

नवरात्रि मनाये जाने को लेकर दो पौराणिक कथाएं प्रचलित है. पहली कथा के अनुसार महिषासुर नामक एक राक्षक ने ब्रह्मा जी को प्रसन्न कर उनसे वरदाना मांगा था कि दुनिया में कोई भी देव, दानव या धरती पर रहने वाला मनुष्य उसका वध न कर सके. इस वरदान को पाने के ​बाद महिषासुर आतंक मचाने लगा. उसके आतंक को रोकने के लिए शक्ति के रुप में मां दुर्गा का जन्म हुआ और मां दुर्गा और महिषासुर के बीच नौ दिनों तक युद्ध चला और दसवें दिन मां ने महिषासुर का वध कर दिया. दूसरी कथा के अनुसार जब भगवान राम लंका पर आक्रमण करने जा रहे थे तो उससे पहले उन्होंने मां भगवती की अराधनी की. भगवान राम ने नौ दिनों तक रामेश्वर में माता का पूजन किया और उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर मां ने उन्हें जीत का आर्शीवाद दिया. दसवें दिन राम जी ने रावण को हराकर लंक पर विजय प्राप्त की थी. तभी से विजयदशमी का त्यौहार मनाया जाता है.

मंदिरो में प्रज्जलवित हांेगे कलश, सार्वजनिक रूप से विराजित की जायेगी मां की प्रतिमा

जिले सहित मुख्यालय मंे मां कालीपाठ मंदिर, हनुमान चौक दुर्गा मंदिर, काली मंदिर, त्रिपुर सुंदरी मंदिर, गायत्री मंदिर, देवीतालाब के पास दुर्गा मंदिर, मां ज्वालादेवी, लांजी के लंजकाई मंदिर, किरनापुर के किरनाई मंदिर सहित जिले के देवीमंदिरो एवं घरो में मनोकामना ज्योति कलश प्रज्जलवित किये जायेंगे. वहीं पूरे जिले और मुख्यालय में शारदीय नवरात्र पर सार्वजनिक रूप से भव्य पंडालों मंे मां की प्रतिमा को विराजित किया जायेगा. मुख्यालय में ही कई स्थानो पर मां दुर्गा की प्रतिमा विराजित की जायेगी.  

बड़ी संख्या में दर्शन करने मुख्यालय आते है देवीभक्त

मुख्यालय मंे नवरात्र के पर्व की उत्साह देखते ही बनता है. नवरात्र की पंचमी के बाद मुख्यालय में विराजित प्रतिमाओं के दर्शन करने बड़ी संख्या में देवीभक्त पहुंचते है. वहीं देवी मंदिरो में भी नवरात्र के प्रारंभ दिनों से ही भक्तों की भीड़ मां के दर्शनार्थ और जल चढ़ाने आती है.  


Web Title : NAVRATRI 2018: GODDESS DURGA TO BE WORSHIPPED IN GRAND PANDALS